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नरेन्द्र सिंह राणा ने कहा त्रिनेत्रधारी हैं नरेन्द्र मोदी

हिन्दु संस्कृति में देवों के देव महादेव शिव शंकर को त्रिनेत्रधारी कहा गया है। भगवान शंकर का तीसरा नेत्र खुला तो समझो की सब स्वाहा। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास भी ज्ञान-वैराग्य व भक्ति के तीन नेत्र है। सम्पूर्ण विश्व इस बात पर हामी भरता है कि मोदी केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं है उनमें चुम्बकीय शक्ति है। जिससे मिलते है, वह उनका फैन हो जाता है। यह बात नरेन्द्र सिंह राणा ने प्रेसवार्ता के दौरान कही।

कहा कि मोदी के पास शब्दभेदी बाण भी है। भारत सहित सभी देश उनकी बातों को महत्व देते है गौर से सुनते है। लोकतंत्र में राजा की वाणी बाण समान होती है। विरोधियों को चुभती है परास्त करती है अपनों को प्रभावित करती है। अतः मोदी के पास शब्दभेदी बाण भी है। लोकतंत्र की खुबसुरती वाणी की अभिव्यक्ति में समाहित है। शब्द भेदी बाण भगवान शंकर के पास है, त्रेता में अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पास था। कालिकाल में राजा पृथ्वीराज चौहान के पास था। इतिहास बताता है कि पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को 14 बार युद्ध में पराजित किया। गौरी के माफी मांगने पर उसे हर बार माफ कर दिया। केवल एक बार धोखे से गायों को सामने कर गौरी ने युद्ध में पृथ्वीराज को बंदी बना लिया। गौरी जानता था कि राजपूत राजा पृथ्वीराज गाय पर वार नहीं करेगा। अतः उसने षडयंत्रकर उनको बंदी बना लिया और माफ नहीं किया बल्कि अपनेे साथ अफगानिस्तान ले गया। तरह-तरह के अत्याचार पृथ्वीराज पर किये।

पृथ्वीराज के मित्र हरचंदबरदायी भाट थे। जब उनको अपने राजा पर हो रहे अत्याचारों की खबर मिली तो वह स्वयं अफगानिस्तान गए। पृथ्वीराज के मोहम्मद गौरी ने दोनों नेत्र फोड़ दिये थे और उनको कैदखाने में डलवा दिया था। हरचंदबरदायी ने मोहम्मद गौरी को भेंट का प्रस्ताव दिया कि वह पृथ्वीराज का कोई गुप्तभेद गौरी को देना चाहता है। मोहम्मद गौरी लालच में मिलने को तैयार हो गया। दोनों की भेट हुई, हरचंदबरदायी ने कहा कि पृथ्वीराज के पास ऐसी एक शक्ति है कि वह सौ लोहे के तवों को एक बाण से भेद सकता है। गौरी वह पराक्रम देखने को राजी हो गया। सौ लोहे के तवे मंगवाए गए और उनको जगह-जगह बांधा गया। हरचंदबरदायी ने कहा कि गौरी पृथ्वीराज के आपने नेत्र फोड़ दिए है अतः आप उनको आदेश दीजिए तभी वह बाण चलायेगें।

पृथ्वीराज से मिलकर हरचंदबरदायी ने कहा कि यह मुगल और जाने आपके ऊपर कौन-कौन से अत्याचार करेगा। अतः आप इसको अपने शब्दभेदी बाण से मार दीजिए। मैंनें व्यवस्था कर डाली है। पृथ्वीराज ने कहा कि इसका परिणाम होगा यह कि मुगल मेरे साथ-साथ तुमको भी कठोर दण्ड देंगे। हरचंदबरदायी ने कहा कि आप उसकी चिन्ता न करें मेरे पास कटार है आप मुझे उससे मारवा दीजिएगा। मेरा प्रण है आपकी हार का आपके ऊपर हो रहे अत्याचार का बदला लेना। पृथ्वीराज ने कहा ठीक है मैं तैयार हूॅ। तय दिन और समय अनुसार तैयारी की गई। मोहम्मद गौरी ऊपर महल पर बैठ गया और उसने आज्ञा दी कि अपना जौहर दिखाओं। उस समय चंदबरदायी ने कहा 4 बांस 24 गज अंगुल अष्ठ प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चुको चौहान। गौरी की आवाज पर पृथ्वीराज ने बाण मारा जो सीधा उसके मुख में घुस गया वह महल से नीचे गिरा और उसका काम तमाम हो गया। इसके बाद पृथ्वीराज ने कहा कि मित्र हरचंद अपनी कटार से मुझे मार डालो वरना ये लोग बहुत अत्याचार करेंगे। हरचंदबरदायी ने कहा आप मेरे राजा है मैंने आप का नमक खाया हैं मैं आपको नहीं मार सकता पहले आप मुझे मार दीजिए। पृथ्वीराज चौहान ने कटार ली और पहले हरचंदबरदायी को शहीद किया फिर उसी कटार से अपने को शहीद कर दिया। यह बात तो शब्द भेदी बाण की हो गयी।
अब बात करते है वैराग्य के नेत्र की वैराग्य के बारे में कुछ भी कहना कम पड़ता है। रामचरितमानस के रचयिता पूज्य गुरूदेव भगवान तुलसीदास जी ने चौपाई में लिखा ‘‘कहो तात् सो परम् वैरागी-तृन सम तिन सिद्धि त्यागी‘‘ अर्थात परम वैरागी उसी को जानना चाहिए जिसने तीनों सिद्धयों को तिनके की भांति त्याग दिया हो। हमारे पूज्य प्रधानमंत्री यशस्वी नरेन्द्र मोदी ने बचपन से ही वैराग्य को अपनाया उन्होंने अपने राष्ट्र की सेवा के लिए अपने परिवार का त्याग किया। हिमालय में संतो का सानिध्य प्राप्त किया। संतो के आदेशानुसार देश सेवा के लिए निकल पडे़। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुडे़ संगठनमंत्री, प्रदेश प्रभारी, महामंत्री संगठन तक का दायित्व बखूबी निभाया। भाजपा की योजनानुसार राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्णयानुसार गुजरात के मुख्यमंत्री बने। अपने मुख्यमंत्री के तीनों कार्यकाल मेें उन्होंने अपने वैराग्य पर आंच नहीं आने दी।

उसी समय जहां अन्य प्रान्तों के मुख्यमंत्री पर आय से अधिक की सम्पत्ति, भ्रष्टाचार, के आरोप सिर चढकर बोल रहे थे। मोदी जी की ईमानदारी, सेवा, कठिन परिश्रम को भी भारत देख रहा था। उनके इसी परिश्रम, ईमानदारी, व सेवा से प्रभावित हो भारत की तरूणाई ने अगड़ाई ली और पूरे देश में मोदी-मोदी की गूंज निरन्तर सुनाई पड़ने लगी। संतो ने आगे बढ़कर मोदी जी की आवश्यकता लोगों को बताई। भाजपा ने मोदी जी को अपना स्टार प्रचारक घोषित किया। उसके बाद देश की जनता की आवाज पर मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। सम्पूर्ण देश में मोदी जी की आंधी चल पड़ी। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी जी ने इतिहास में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2014 में जिस भारत को दुनियां एक भ्रष्टाचारी, जातिवादी, तुष्टीकरणवादी, वंशवादी पिछडा राष्ट्र मानती थी। उसी देश ने 2017-2018 आते आते एक मजबूत, राष्ट्रवादी, ईमानदार, भ्रष्टाचार मुक्त दुनिया को दिशा देने वाला देश बन कर दिखाया।

अब मोदी जी की भक्ति की बात करते है। मोदी जी जहां जहां गए अपनी ईश्वर भक्ति, राष्ट्रभक्ति को लोगोें को दिखाया-समझाया। विरोधी दल के एक नेता तो बेचारे गुजरात चुनाव में मंन्दिर मंन्दिर जाने लगें। मन्दिर में पूजा के लिए कैसा बैठा जाता है यह तक उनको मालूम नहीं था। पुजारी जी ने समझाया कि कैसे बैठो भईया तब जाकर बैठना आया। मोदी जी जब नेपाल गए तो पशुपतिनाथ मन्दिर में विधिवत पूजन किया। गुजरात में माता के मन्दिर में पूजा अर्चना की। सोमनाथ मन्दिर में जाते ही रहते है, मोदी जी का जीवन ही ज्ञान, वैराग्य और भक्ती से भरा है। व्यक्ति के लिए इन तीन में से एक ही काफी है परन्तु देवयोग, प्रभुकृपा से हमारे मोदी जी के पास तो तीनों का खजाना है। लोग कहते है सब भाग्य से मिलता है, बिल्कुल ठीक कहते है लोग। हमारा भाग्य ही तो है तभी तो मोदी जी जैसा ज्ञानवान-वैराग्यवान और भगवान पर अटूट विश्वास रखने वाला प्रधानमंत्री हमें मिला है। मोदी जी तो अपनी तुलना अति साधारण तरीके से ही करते है। रहीम दास ने क्या खूब कहा ‘‘बडे बड़ाई न करें, बडे न बोले बोल-रहिमन हीरा कब कहे लाख टका है मोल।

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