भारत में नोटबंदी का दौर खत्म होते होते कई हस्तियों,नेताओं और राजनेताओं की पोल खुल गयी पर नेशनल इलेक्शन वॉच ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे आकड़ों को उजागर कियाहै जिससे भरतीय राजनीति सवालों में घिर गयी है.साल 2004-2015 तक राष्ट्रीय और जिला नेताओं की आमदनी 11,367.34 करोड़ दर्ज की गयी है.
69% प्रतिशत आमदनी अज्ञात स्रोतों से
- साल 2004 से 2015 तक की कमाई में 69 प्रतिशत कमाई अज्ञात है.
- 16प्रतिशत कमाई रिकॉर्ड में है जिसका एक रिकॉर्ड है और मान्य है.15 प्रतिशत कमी दूसरे श्रोतों से की गयी है.
- इन सालों में राष्ट्रीय दलों की कमाई में 313 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
- इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद नेशनल इलेक्शन वॉच के संस्थापक जगदीप छोकर ने बहुत अहम बात कही है.
- जगदीप ने राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने को कहा है.
- एक नयी प्रणाली को लाने की बात कही है.जिसमें पार्टियों के खातों की सालाना ऑडिटिंग हो.
- जो संस्था या व्यक्ति इस ऑडिटिंग में शामिल हो वो पूरी तरह स्वतंत्र हो.
- किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव उस व्यक्ति पर ना हो.
समाजवादी पार्टी की अज्ञात स्रोत 94 प्रतिशत
- रिपोर्ट के आकड़ों पर गौर किया जाए तो समाजवादी पार्टी की 94प्रतिशत आय अज्ञात स्रोत से है.
- दूसरे स्थान पर अकाली दल है इस पार्टी की 86प्रतिशत आय अज्ञात स्रोत से है.
- तीसरे नम्बर पर कांग्रेस आ रही है.कांग्रेस की 83 प्रतिशत फंडिंग अज्ञात बताई जा रही है.
- भाजपा का अज्ञात स्रोत सबसे निचले स्तर यानी 65 प्रतिशत है.
काले धन को रोकने में नोटबंदी रही बेअसर
- जगदीप छोकर,नेशनल इलेक्शन वॉच के संस्थापक के मुताबिक़ केंद्र द्वारा लिया गया नोटबंदी
- का फैसला राजनीतिक गलियारों में नोटबंदी को नहीं रोक पाया है.
- अज्ञात स्रोत पार्टी में काले धन की बरसात कर रहे हैं.
- सबसे बड़ा सवाल ये है की पार्टियों की फंडिंग में पारदर्शिता किस प्रकार आएगी.
- नोटबंदी पर राजनीतिक पार्टियों ने बहुत बड़ा बवाल खड़ा कर दिया था.
- अगर इस तरह की प्रणाली लागू होगी.तो विपक्ष फिर तमाशा कर सकती है.
- प्रधानमन्त्री अब इन आंकड़ों पर कौन सा चक्रव्यूह बनायेंगें.
- भ्रष्टाचार का खात्मा करना इतना आसान नहीं होगा.