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माँ के पैरों में कंस के अँगुलियों के निशान आज भी मौजूद

अज्ञानी पापी कंस का विनाश करने के लिए नन्द के घर प्रकट होने वाली महामाया भक्तों की रक्षा करने के लिए विन्ध्य पर्वत पर विराजमान हो गयी। ज्ञान की देवी माँ अष्टभुजा नन्द के घर पैदा हुई और पापी कंस के हाथों से छुट कर विन्ध्याचल पर्वत पर वास कर भक्तों को अभय प्रदान कर रही हैं। पापों का संहार करने वाली माँ के पैरों में कंस के अँगुलियों के निशान आज भी मौजूद हैं। विन्ध्य पर्वत पर त्रिकोण मार्ग पर स्थित विद्या की देवी माँ सरस्वती रूप में माँ अष्टभुजा के दर्शन के लिए नवरात्र में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है।

असुरों के नाश के लिए आदिशक्ति ने लिया जन्म

पं० राजन मिश्रा ने बताया कि जब-जब पृथ्वी पर असुरों का साम्राज्य बढ़ा है, तब-तब आदिशक्ति ने उनके नाश के लिए अवतार लिया है। असुरों के भय से नर व नारायण को मुक्ति दिलाने वाली माँ के विभिन्न रूपों में एक रूप माता अष्टभुजा का भी हैं। माँ के अवतार लेने के बारे में मार्कण्डेय पुराण में वर्णन मिलता है कि ”नन्द गोप गृहे जाता यशोदा गर्भ संभवा, ततस्तौ नाशयिष्यामी विन्ध्याचल निवासिनी…..।” द्वापर में पृथ्वी पर कंस के बढ़ते अत्याचार से लोगों को मुक्त करने के लिए बाबा नन्द के घर सातवें संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण की बहन बनकर महामाया ने अवतार लिया। अपने मौत के भय से कंस ने जब नन्ही बालिका को पत्थर पर पटककर मारना चाहा तो उसके हाथों से छुट कर बालिका ने अष्टभुजा का रूप धारण कर लिया। पापी कंस से कहा की ‘हे दुष्ट ! तू मुझे क्या मारेगा, तुझे मारने वाला तो पैदा हो चुका है‘ यह कह कर देवी विन्ध्य पर्वत पर आकर विराजमान हो गयी। माँ के बाये पैरों पर आज भी कंस की अँगुलियों के निशान मौजूद हैं। माँ अष्टभुजा ज्ञान की देवी है इनका दर्शन करने से सारी कामना सिद्ध होती है।

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योग माया के रूप में नन्द के घर अवतरित हुई माता

गर्ग ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर माता विंध्यवासिनी ने हजारवें अंश से योग माया के रूप में नन्द के घर अवतरित हुई और पापी कंस के बोझ से पृथ्वी को भार मुक्त किया। माता के दरबार में मनोकामना लेकर पहुंचे भक्तों को असीम खुशी मिलती है। भक्त सबकुछ भूलकर बार-बार दयामयी माता के दरबार में आने व माँ की ममतामयी कृपा पाने की कामना रखते है। पिछले कई वर्षों से लगातार माँ के दरबार में नौ दिनों तक प्रार्थना करने वाले फिल्म कलाकार भी अपनी उपलब्धि को माँ का आशीर्वाद मानते है। अनादिकाल से ही विन्ध्य क्षेत्र लोक कल्याणकारी भावना का शक्ति पुंज विश्व कल्याण के लिए सदैव भक्तों को अपनी और आकर्षित करती रही है। ज्ञान की देवी का दर्शन करने मात्र से मानव का कल्याण होता है और उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है।

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