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हड्डी डॉक्टरों के अभाव में मरीजों के लिए संकटमोचन बन रहे नीम हकीम

Neem Hakim Treating Patients due to Lack of Orthopedic Doctors

Neem Hakim Treating Patients due to Lack of Orthopedic Doctors

राजधानी लखनऊ के बीकेटी इलाके स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हड्डी रोग विशेषज्ञ के नहीं होने से मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन मरीजों के लिए संकटमोचन क्षेत्र के नीम हकीम बने हुए हैं। नीम हकीम के पास रोजाना इलाज के लिए 100 मरीज आते हैं। इनमें से कई मरीज हड्डी रोग से पीड़ित होते हैं। वहीं हड्डी टूटे व स्लिप डिस्क से पीड़ित मरीजों को बाहर जाने में बड़ी परेशानी होती है। ऐसे में मरीजों के लिए ये नीम हकीम वरदान साबित हो रहे हैं। हकीम की माने तो मामूली मारपीट, लड़ाई झगड़ा, एक्सीडेंट आदि मामलों में मरीजों को इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल जाना पड़ता है। लेकिन ज्यादातर मरीज फायदा होने के कारण उनके पास आते हैं।

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हड्डी टूटने, मोच, दर्द, चलने-फिरने में परेशानी का इलाज बड़े शहरों के अस्पताल में महंगा होता है। ऐसे में अधिकतर मरीज अपना इलाज इन नीम हकीमों से कराते हैं। हालांकि अप्रशिक्षित लोगों द्वारा खींचतान करने पर कई बार शरीर को नुकसान हो जाता है। इससे मरीजों को जिंदगी भर परेशानी झेलनी पड़ती है। लेकिन चौधरी के घर हकीमी खानदानी होने के कारण इलाके के लोग काफी प्रसन्न रहते हैं।

बता दें कि राजधानी के बीस किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत माधवपुर (मरपा) अपना इलाज कराने के उद्देश्य से प्रदेश भर के लोग आते हैं। यहां नीम हकीम विनोद चौधरी के घर 100 वर्षों से खानदानी परंपरा चली आ रही है। विनोद ने बताया कि टूटे हाथ पैरों का इलाज करते इसकी शुरुआत 100 वर्ष पहले स्वर्गी बिहारी लाल चौधरी ने किया था। जिनकी मृत्यु के पश्चात उनके बेटे स्वर्गीय कल्लू राम चौधरी ने संभाली और 40 वर्षों तक लगातार टूटे हुए हाथ पैरों को जोड़ते रहे। इनकी मृत्यु के पश्चात इनके बड़े बेटे रमेश चंद्र चौधरी ने संचालन शुरू किया। 30 वर्षों से लगातार रमेश चंद्र चौधरी इसका संचालन कर रहे हैं। उनका कहना है अब तक उन्होंने 10,0000 से भी अधिक लोगों के टूटे हुए हाथ पैरों को जोड़ा है।

इनपुट – ज्ञानेंद्र

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