उत्तर प्रदेश के मेरठ के मेडिकल कॉलेज के माथे पर एक बार फिर से कलंक का दाग लगा है। प्रसव पीड़ा से कराहती महिला कैंपस में घंटों तक भटकी जिसके बाद आखिर खुले आसमान के नीचे प्रसव हो गया। ठंड की चपेट में आकर शिशु की मौत हो गई। आशा ज्योति केंद्र के हस्तक्षेप के बाद मरीज को भर्ती किया गया। लेकिन तब तक महिला अपने बच्चे को खो चुकी थी।
यह है घटनाक्रम
- जानकारी के मुताबिक, लावड़ निवासी 32 वर्षीय महिला मंगलवार को प्रसव पीड़ा में सात घंटे तक तड़पती रही।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सीएचसी, जिला महिला चिकित्सालय से लेकर मेडिकल कॉलेज में इलाज नहीं मिला।
- मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने भर्ती करने से इंकार किया।
- परिजन उसे लेकर चल दिए ऐसे में करीब सात घंटे की पीड़ा के बाद महिला को मेडिकल कॉलेज में खुले में प्रसव हो गया।
- इसके बाद हंगामा हुआ और मामले ने तूल पकड़ा तो आनन-फानन में महिला को भर्ती कर लिया गया।
देवर ने सुनाई दर्द भरी कहानी
- महिला के देवर कामिल की जुबानी सुनकर आपका कलेजा भी कांप जाएगा।
- लेकिन मेडिकल कॉलेज में बैठे चिकित्सकों की दिल नहीं पसीजा।
- कामिल का कहना है कि उसकी भाभी को सुबह नौ बजे प्रसव पीड़ा हुई थी।
- वह उसे लावड़ पीएचसी पर लेकर पहुंचे तो उन्होंने दौराला सीएचसी रेफर कर दिया।
- 108 एंबुलेंस पर फोन किया तो एंबुलेंस नहीं आयी।
- ऐसे में किराये के वाहन से सीएचसी पर पहुंचे लेकिन वहां से जिला महिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।
- वहां पर करीब 2 घंटे तक इंतजार करने के बाद एंबुलेंस पहुंची।
- जिसके बाद जिला महिला चिकित्सालय पहुंचे वहां पर चिकित्सकों ने देखते ही कहा कि इनकी हालत गंभीर है।
- इन्हें वेंटिलेटर पर लेना पड़ सकता है क्योंकि महिला में खून की कमी है।
- इसलिए मेडिकल कॉलेज में ले जाओ वहीं पर कंप्लीट ट्रीटमेंट मिल सकता है।
- ऐसे में हमने जिला अस्पताल में एंबुलेंस मांगी तो उन्होंने 108 पर बात कराई।
- लेकिन काफी देर इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची ऐसे में किराये का वाहन करके मेडिकल कॉलेज पहुंचे।
- कामिल ने बताया कि जिस वक्त मेडिकल कॉलेज में पहुंचे तो हम लोग जिला महिला अस्पताल से दी गई रेफर रसीद लेकर डॉक्टर से मिले तो उन्होंने कहा कि कागज में लिखा है कि बच्चे की पेट में ही मौत हो चुकी है।