यूपी वित्त पोषित स्वतंत्र (शुल्क का विनिमय) विधेयक 2017 का प्रस्तावित मसौदा तैयार हुआ है. इस मसौदे पर अभी 22 दिसंबर तक आपत्तियां मांगी गई हैं. अगले शैक्षिक सत्र से इसे लागू किया जाएगा. मंडलायुक्त को अध्यक्षता में एक कमेटी शुल्क के विवादों की सुनवाई करेगी. उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इसकी जानकारी दी. भविष्य में स्कूल से जुड़े मामलों के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा. ये प्रस्ताव सभी बोर्ड के स्कूलों के लिए हैं.




 

हर साल में एडमिशन फीस नहीं ली जायेगी:

  • इसमें कहा गया है कि कक्षा 5 तक एक ही होगा
  • कक्षा 6 से 8वीं तक एक ही होगा.
  • 9 और 10वीं तक एक ही होगा.
  • आवागमन में बिना सुविधा लिए फीस नही देना होगा.
  • जितने भी ऐच्छिक शुल्क है , वह बिना सुविधा लिए नही देना होगा.
  • डेवलोपमेन्ट काम के लिए जो फीस ली जायेगी उससे उनका काम भी दिखाना होगा
  • स्कूल में जो दुकान ,या व्यापारिक गतिविधि ट्रस्ट के नाम् पर चलते थे, उसकी आय को विद्यालय की आय में ही शामिल होगी और उसी हिसाब से छात्रों की फीस काम करनी होगी.


 व्यय क्या होंगे विद्यालय के: 

  • टीचर के भत्ते में वृद्धि कर सकते है लेकि बीच सत्र में फीस नही बढ़ा सकते.
  • स्कूल को अपने आय व्यय , शुल्क, आदि अपने आने वाले सत्र के लिए 31 से पहले ही हर साल वेबसाइट पर अपलोड करना होगा.
  • डेवलपमेन्ट का फंड सिर्फ विद्यालय की पूरी आय की 15 प्रतिशत ही हो सकती है.
  • फीस , सालाना की अनिवार्यता नहीं होगी, चाहे मासिक , तिमाही या छमाही या सालाना, स्वच्छिक होगा.
  • किसी भी शुल्क वृध्दि या आय व्यय, का व्योरा शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले वेबसाइट में देना होगा.
  • मंडलीय आयुक्त को अधिकार होगा जो किसी तरह के सत्र के दौरान किसी तरह के परिवाद को सुनेंगे.
  • एक समिति बनाना होगा और आयुक्त समेत समिति निर्णय लेगी, और जरूरत पड़ने पर जुरमाना लगा सकेगी.
  • 20 हज़ार से ज्यादा शुल्क लेने वाले स्कूल इस प्रस्तावित कानून के दायरे में आएंगे.




 

स्कूलों पर लगेगा भारी जुर्माना:

  • जो स्कूल उल्लंघन करेंगे उन पर 1 लाख का जुर्माना पहली शिकायत पर होगा.
  • दूसरी शिकायत साबित होने पर 5 लाख का जुर्माना देना होगा.
  • एडमिशन फीस बार बार नही ले सकते स्कूल.
  • पांचवीं तक, फिर क्लास 6 में एडमिशन फीस ले सकते हैं और फिर क्लास 9 में एडमिशन फीस ले सकते हैं.
  • फीस सालाना लेना अनिवार्यता नही होगी.
  • स्कूलों में व्यावसायिक एक्टिविटी से आय को स्कूल के आय में जोड़ा जाएगा और फिर बच्चों की फीस तय होगी.
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