बीते दिन अमीषा सिंह राणा की खबर को uttarpradesh.org द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज मामले में संज्ञान में लेते हुए पुलिस को देर रात सिविल मामले में दबिश ना करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि आशियाना निवासी अमीषा के घर देर रात 20 पुलिस वालों जाने और अभद्रता करने के बाद सीएम योगी ने ये निर्देश दिए हैं .
अमीषा के घर में पहुंचे थे 20 पुलिस वाले:
मामला राजधानी लखनऊ के आशियाना निवासी अमीषा सिंह का हैं, जिन्होंने uttarpradesh.org को अपने और अपने परिवार के साथ पुलिस द्वारा की गयी बदसलूकी के बारे में बताया था
24 तारीख की रात अचानक ही आशियाना निवासी अरविन्द सिंह राणा के घर पर 20 पुलिस वाले आ जाते. पुलिस वाले जोर जोर से घर का दरवाजा खटखटाते हैं. जिसके बाद घर पर मौजूद अरविंद की पत्नी मीरा, बेटी अमीषा और बेटा प्रखर के साथ बदसलूकी पर उतारू हो जाते हैं.
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इतने सारे पुलिस वालों, जो की 3 जीप और कई मोटरसाइकिलों से उसके घर पर पहुंचे थे, परिवार वाले देख कर घबरा जाते हैं. उसके बाद पुलिस द्वारा जोर जोर से दरवाजा पीटने और गेट खोलने को कहा जाने पर परिजन और डर जाते है. पुलिस वालों का हुजूम अमीषा और उसकी माँ के साथ न केवल अभद्रता से बात करते हैं, बल्कि घर का गेट फांद कर जबरन घर में घूस जाते हैं.
पुलिस का ये रवैया देख जब अमीषा इस का वीडियो बनाने की कोशिश करती है तो उसके हाथ से जबरन फोन छीन कर वीडियो डिलीट कर दिया जाता है. नाबालिग प्रखर को लाठी से मारने को बोलकर डराया जाता है.
सीएम योगी ने देर रात सिविल मामलो में दबिश ना करने के दिए निर्देश:
जिसके बाद आज सीएम योगी ने फैसला लेते हुए यूपी पुलिस को देर रात सिविल मामलों में दबिश ना करने के निर्देश दिए हैं. सीएम योगी ने कहा कि पुलिस जघन्य अपराधो के अलावा अन्य सामान्य अपराध के आरोपी या अभियुक्त के लिए रात में दबिश नहीं करेगी.
ये फैसला 24जून को आशियाना निवासी अरविन्द सिंह के घर 20 पुलिस वालों के जाने और बीते दिन uttarpradesh.org की खबर के बाद आज लिया हैं.
#लखनऊ – @WeUttarPradesh की खबर पर संज्ञान लेते हुए CM @myogiadityanath ने पुलिस को सिविल मामलों में देर रात दबिश ना देने के दिए निर्देश. @CMOfficeUP @lucknowpolice @Uppolice @DeepakKumarIPS2 @amishasinghrana pic.twitter.com/yEfoyylgn0
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) June 27, 2018
इतना ही नहीं सीएम योगी ने इस पूरे मामले की जांच कर दो दिन में रिपोर्ट प्रेषित करने के भी निर्देश दिए हैं.
क्यों आई पुलिस:
अरविंद सिंह राना ने बताया कि कानपुर में पोस्टेड अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य, डॉक्टर करन सिंह का मकान अरविंद ने बनाया था. इसके लिए अरविंद साईं प्लाई के करन अग्रवाल से सामान मंगवाते थे.
जिसके बाद साईं प्लाई पर अरविन्द के 80 हजार रुपये बकाया थे. वहीं डॉ करन सिंह के मकान बनाने के बदले में अरविन्द को 21 लाख 51 हज़ार 418 रुपये मिलने थे, जो डॉ ने बकाया कर रखा हैं.
जिसके बाद अपना भुगतान न मिलने से साईं प्लाई के करन अग्रवाल ने अरविंद के खिलाफ मुकदमा कर दिया. अरविन्द की माली हालत खराब चल रही हैं. उन्होंने डॉ पर बकाया अपना पैसा माँगा तो डॉ ने आना कानी की. जिसके बाद अरविन्द ने इसके खिलाफ शिकायत करने की ठानी. लेकिन उनकी शिकायत तक दर्ज नहीं की गयी.
अरविंद ने लिया कर्ज:
एक ओर डॉ करन उनका लगभग 21 लाख से अधिक का बकाया पैसा देने को तैयार नहीं, दूसरी ओर परिवार की माली हालत खराब होने की वजह से अरविन्द ने अपनी पत्नी के जेवर तक गिरवी रख दिए.
इतना ही नहीं अरविन्द ने केन्द्रीय मंत्री नंद गोपाल नंदी और कोशाम्बी विधायक लाल बहादुर से भी बकाया पैसा वापस करवाने को लेकर शिकायत की. लेकिन कोई हल न निकला. डॉ करण भी अपने रसूख के दम पर अरविन्द सिंह को पैसा वापस करने को लेकर टरकाते रहे .
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इसके बाद 24 तारीख की रात साईं प्लाई की एफआईआर के चलते पुलिस अरविंद सिंह के घर पहुंची थी. लेकिन अरविंद सिंह उस दौरान इटावा गये हुए थे.
अब सवाल ये उठता है कि जब भले ही अरविंद सिंह आरोपी हो, लेकिन उनके ना रहने पर उनके परिवार के साथ बदसलूकी, महिलाओं के साथ गलत व्यवहार और एक 80 हजार बकाया मामले में 20 पुलिस वालों का बिना महिला सिपाही के आना कितना सही है.