अमेठी की एक वृद्धा फरियादी से सरेआम घूस लिए जाने का विडियो बहुत तेज़ी से वायरल हुआ था. लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. इस मामले में विभागीय जांच भी नहीं की जा रही है. नतीजतन यह मामला ठन्डे बसते में पड़ा हुआ दिखाई दे रहा है.
किसी भी बड़ी घटना के बाद आला अधिकारी विभागीय जांच का आदेश देकर पल्ला झाड़ लेते हैं ये विभागीय जांच कब पूरी हुई, क्या कार्रवाई हुई और उसका क्या असर हुआ,यह पता ही नहीं चलता पिछले कुछ मामलों की विभागीय जांच पर गौर फरमाएं तो यही हालात नजर आते हैं जांच की रिपोर्ट अक्सर अफसरों के यहां डंप हो जाती है.
शासन स्तर पर उसका संज्ञान नहीं लिया जाता नतीजा, जांच दर जांच के बाद भी किसी पर कोई आंच नहीं आती और पूरी कवायद महज खानापूर्ति तक सिमटकर रह जाती है.
पूरा प्रकरण:
अमेठी के शुकुल बाज़ार थाने में तैनात एक दीवान राजमणि द्वारा एक वृद्धा फरियादी से सरेआम घूस लिए जाने का वीडियो मई के अंतिम सप्ताह में सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था वीडियो में आरोप लगा था कि दीवान को 1500 रुपये मिल गए तब जाकर ही मामला दर्ज हो सका यही नहीं जलालत के समंदर में डूबे दीवान राजमणि ने पीडि़त पक्ष से घूस के रूप में लिए 1500 रुपयों को नाकाफी भी बताया वृद्धा फरियादी धनराजी वीडियो में बयान दे रही थी उससे 1500 रुपये लेकर बाद में मामला दर्ज किया गया.
वृद्धा फरियादी ने अपनी पीड़ा किसी व्यक्ति से व्यक्त की थी जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था.
खबर को उच्चाधिकारियो ने संज्ञान में लेकर दिए जाँच के आदेश-
इस वायरल वीडियो की खबर को Uttarpradesh.Org ने प्रमुखता से प्रकाशित किया जिसके बाद पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया और घूसखोरी के इस मामले की जाँच क्षेत्राधिकारी मुसाफिरखाना सूक्ष्म प्रकाश को सौंपी गई लेकिन आरोप है कि जाँच आज भी सिर्फ फाइलों में कैद है.
इनका कहना है-
वही जब इस मामले को लेकर अमेठी संवाददाता राम मिश्रा ने क्षेत्राधिकारी मुसाफिरखाना सूक्ष्म प्रकाश से बात की तो उन्होंने बताया कि मामले की जाँच कर दोषियों के साथ दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.
सबसे बड़ा सवाल-
अमेठी में इस घटना को पूरी तरह झूठा साबित करने की कोशिश की जा रही है .आरोप है कि अमेठी में भ्रष्टाचार की कई जांच जहां अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है वहीं अनेक मामलों में दोषी पाए गए आरोपियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.