आम आदमी पार्टी द्वारा नगर निगम के (3000 RTI) टेंडर घोटाले में लगाई गई आरटीआई का जवाब न मिलने पर पार्टी पदाधिकारियो ने आज मुख्य अभियन्ता से मुलाक़ात कर आरटीआई का जवाब न मिलने का कारण जानने का प्रयास किया।
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- जिला संयोजक गौरव माहेश्वरी ने बताया कि पूर्व में नगर निगम के टेंडर घोटाले पर 3000 आरटीआई लगा कर विभिन्न मदो में प्रत्येक वार्डो में किये गए कार्यो की जानकारी मांगी गई थी।
- जिस पर सभी नगर अभियंताओं ने लिख कर भेज दिया कि मांगे गए प्रारूप पर जवाब देना संभव नहीं है।
- ज्ञात हो कि गौरव माहेश्वरी ने उसी प्रारूप पर जानकारी मांगी थी जिस प्रारूप पर टेंडर घोटाले की जांच कर रहे अपर नगर आयुक्त अवनीश सक्सेना ने नगर अभियंताओं से जानकारी मांगी थी।
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छ: डिविजनल इंजिनियर ही दोषी?
- गौरव माहेश्वरी ने मुख्य अभियंता को दोबारा पत्र देकर अवगत कराया कि नगर अभियन्ता अपने आप को बचाने के लिए जानबूझ कर ऐसे जवाब दे रहे हैं।
- अतः बिना गुमराह कर जवाब दिलवाया जाए अन्यथा राज्य सूचना आयोग में अपील दायर करनी पड़ेगी।
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- ज्ञात हो की लखनऊ नगर निगम के 8500 करोड़ के टेंडर घोटाले पर आम आदमी पार्टी पिछले एक वर्ष से संघर्ष करती आ रही है।
- ई-टेंडरिंग प्रक्रिया की शुरुआत से अक्टूबर 2015 तक लगभग 8500 करोड़ रुपये के फर्जी टेंडर कराये गये।
- जिसका खुलासा होने पर जांच कमिटी बनाई गई और शासन में भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार सम्बंधित बाबू और छ: डिविजनल इंजिनियर ही दोषी बताये गये।
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8500 करोड़ रूपये की सामूहिक लूट
- उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक बात है यह थी कि तथाकथित एक सदस्यीय जांच कमिटी ने मात्र एक बाबू और छ: डिविजनल इंजिनियर को ही दोषी पाया।
- जबकि टेंडर कमेटी में बाबू एवं डिविजनल इंजिनियर सहित चीफ़ इंजिनियर, फाइनेंस कंट्रोलर एवं अपर नगर आयुक्त (प्रभारी-इंजिनियरिंग) भी शामिल हैं।
- इस तरह (3000 RTI) यह पूरी की पूरी कमिटी उपरोक्त लगभग 8500 करोड़ रूपये की सामूहिक लूट में शामिल है एवं बराबर के साझेदार थी।