2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में फंसे भाजपा नेताओं के खिलाफ गैर जमानती वारेंट जारी किया गया हैं. गौरतलब है कि कोर्ट में गैर हाजिरी के चलते साध्वी प्राची सहित संजीव बालियान और विधायक उमेश मालिक पर एनबीडब्ल्यू लगाया गया हैं.
सांसद संजीव बालियान और साध्वी प्राची के खिलाफ वारेंट:
मुज़फ्फरनगर में 2013 में दंगों के दौरान कंच के नाबाला मंदौड़ में हुई पंचायत में भड़काऊ भाषण के आरोप में कई भाजपा नेताओ के खिलाफ अदालत में मामला चल रहा है।
जोमे कोर्ट में पेश ना होने के कारण अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय की अदालत ने सांसद संजीव बालियान, विधायक उमेश मालिक और साध्वी प्राची के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया है।
इस पूरे मामले में जब भाजपा के अधिवक्ता चन्द्रवीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये अदालत की प्रक्रिया हैं. गैर हाजिर होने की वजह से इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।
उन्होंने बताया कि इसमें मुख्य रूप से सांसद संजीव बालियान, विधायक उमेश मलिक है और साध्वी प्राची का नाम है।
बहरहाल कोर्ट ने 22 जून को चार्ज फ्रेम करने की तारीख दी हैं. बता दें कि चार्ज फ्रेम तब होता है जब सभी आरोपी हाज़िर हो और अभी तक सभी आरोपी हाज़िर नहीं हो सके हैं.
बता दें कि मुजफ्फरनगर दंगो में भड़काऊ भाषण देने के मामले में केस 29 मई 2018 को द्वितीय एसीजीएमके के यहां लगाया गया था. केस 31 अगस्त 2013 के दंगो से सम्बंधित हैं.
क्या हैं मामला:
गांव मलिकपुरा की एक युवती से छेड़खानी से छेड़खानी किए जाने पर 27 अगस्त 2013 को थाना कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल के समीप पीड़िता के दो भाई सचिन और गौरव ने आरोपी शहनवाज की मारपीट की थी, जिसमें उसकी मौत हो गयी थी।
इस घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने सचिन और गौरव को पीट-पीट कर मार डाला था। इसी बात को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया।
इस दरम्यान 30 अगस्त को नगड़ा मंदौड़ में एक पंचायत आयोजित करने का ऐलान किया गया, इसकी जानकारी दूसरे समुदाय को हुई, उसने एक दिन पहले ही यानी 29 अगस्त को मुजफ्फरनगर के खालापार में एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया था।
जिसमें कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए। उसके बाद नगला मंदौड़ में आयोजित पंचायत बेनतीजा समाप्त हो गई थी।
इसके बाद 7 सितंबर को नंगला मंदौड़ृ के इंटर कॉलेज के मैदान में पंचायत आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। यहां भाजपा नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे। इस पंचायत के समाप्त होने के बाद मुजफ्फरनगर में दंगे भड़क गए थे।
सांप्रदायिक हिंसा में 60 से अधिक लोगों की जानें गईं थी जबकि 50 हजार लोगों को पलायन करना पड़ा था। दंगों की आग शामली, बागपत, सहारनपुर तक फैली थी।