उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान सोमवार सुबह 7:00 बजे से शुरू हो गया। इस बार शाम 6 बजे तक वोट डाले जाएंगे। दोनों सीटों पर बीजेपी और सपा-कांग्रेस व बसपा गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है। चुनाव आयोग ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की है। हर मतदान केन्द्र के सभी पोलिंग बूथ पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वीवीपैट भी लगाया गया है। वीवीपैट से हर मतदाता अपने मतदान की तस्दीक कर सकेगा। मतदान करते ही वीवीपैट से एक पर्ची कट रही है जिसमें मतदाता देख सकता है कि उसका मतदान हुआ और जिस प्रत्याशी को मत देना चाहता था उसे वोट पड़ा कि नहीं।
कैराना लोकसभा सीट पर कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं दूसरी ओर नूरपुर विधानसभा सीट पर कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। कैराना लोकसभा सीट पर मुकाबला मुख्यत: भाजपा की उम्मीदवार मृगांका सिंह और रालोद की प्रत्याशी तबस्सुम हसन के बीच है। मृगांका सिंह पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बैटी हैं। इसी तरह नूरपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला भाजपा की उम्मीदवार अवनि सिंह और सपा के नईमुल हसन के बीच है। अवनि सिंह पूर्व विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान की पत्नी हैं।
उत्तर प्रदेश का कैराना लोकसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव अहम माना जा रहा है। बीजेपी सांसद हुकूम सिंह की मौत हो जाने के चलते इस सीट पर चुनाव कराना आवश्यक हो गया था। उनकी बेटी मृगांका सिंह उपचुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हैं। उनका सीधा मुकाबला राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन से है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी तबस्सुम का समर्थन कर रही हैं।
कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोधी गठबंधन की तस्वीर भी तय करेगा। चुनाव नतीजे तय करेंगे कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह की सपा बसपा के संभावित गठबंधन में कोई जगह होगी या नहीं। कैराना अजित सिंह का गढ़ मानी जाने वाली सीटों में से एक है और इसीलिए भले ही 2014 में भाजपा ने रालोद के इस गढ़ को तोड़ दिया था, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती ने कैराना और नूरपुर दोनों सीटों पर रालोद के उम्मीदवारों के पक्ष में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे।
बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। योगी के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी सहारनपुर और शामली में प्रचार किया। इनके अलावा बीजेपी ने कम से कम पांच मंत्रियों को चुनावी रण में प्रचार के लिए उतारा। इनमें आयुष राज्यमंत्री धर्म सिंह सैनी, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और धार्मिक मामले, संस्कृति, अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज मंत्री लक्ष्मी नारायण शामिल हैं। सैनी और राणा क्रमश: नकुड़ और थानाभवन से विधायक हैं।
सपा ने रालोद उम्मीदवार का समर्थन किया जबकि मायावती ने भले ही प्रकट रूप से कोई एलान नहीं किया लेकिन रालोद ने बसपा में रही पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की पत्नी को ही अपना उम्मीदार बनाया है। जबकि मुकाबले में भाजपा ने दिवंगत सांसद हुकम सिंह की बेटी को मैदान में उतारा है। कैराना में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। उसके बाद जाट, गूजर और दलित मतदाताओं की तादाद है। फिर वैश्य ब्राह्रण पिछड़े वर्ग के मतदाता हैं। रालोद, सपा गठजोड़ और बसपा के मौन समर्थन से रालोद को उम्मीद है कि उसके उम्मीदवार के पक्ष में मुस्लिम, दलित, जाट मतदाताओं का समर्थन एकमुश्त रहेगा और हुकुम सिंह परिवार के राजनीतिक विरोधी गूजरों का भी साथ मिलेगा। जबकि भाजपा को अपने पक्ष में गूजरों, जाटों और अन्य वर्गों के एक मुश्त वोट पडने का भरोसा है।