राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश कार्यालय पर आज राष्ट्रीय सचिव शिवकरन सिंह की उपस्थिति में और रालोद नेता बीएल प्रेमी के अथक प्रयासों से रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इण्डिया (ए) तथा समतावादी रिपब्लिकन पार्टी के दर्जनों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की नीतियों में अपनी आस्था व्यक्त करते हुये राष्ट्रीय लोकदल का दामन थामा। इस अवसर पर युवा रालोद के प्रदेश अध्यक्ष अम्बुज पटेल, महिला प्रकोष्ठ उप्र की अध्यक्ष डाॅ. कृष्णा जायसवाल मुख्य रूप से मौजूद रहे।
शामिल होने वालों में मुख्य रूप से जावेद अहमद, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष, समतावादी रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, विनीत कुमार गौतम सहित चांद खां, जीत बहादुर वर्मा, मो. शरीफ, राम कैलाश गौतम, महेश्वर, रामकुमार, सुशील मिश्रा, रामप्रकाश, राघवेन्द्र वर्मा, अजमत उल्लाह, नरेन्द्र सिंह यादव, अजीज उल्लाह, छेदीलाल यादव, शिवशरण कनौजिया, शिवबहादुर शर्मा, मेवालाल तिवारी सहित कई दर्जन लोगों ने रालोद की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर रमावती तिवारी, प्रीति श्रीवास्तव, महबूब आलम, सूरज सिंह, सुमित सिंह, आरपी वर्मा, आशीष यादव सहित कई रालोद नेता भी मौजूद रहे।
कानून-व्यवस्था के मुख्य मुददे भाजपा विफल: रालोद
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने पत्रकार बन्धुओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक मोर्चे पर इस प्रकार विफलता की ओर जा रही है जैसा कि अभी तक कोई भी लोकतांत्रिक सरकार विफल नहीं हुयी। कानून-व्यवस्था के मुख्य मुददे पर बनी वर्तमान सरकार आज तक इसी व्यवस्था पर विफल है। प्रदेश की राजधानी में कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता है कि जिस दिन जघन्य अपराध न घटित होता हो और सरकार अपनी वाहवाही के कसीदे पढ़ने में व्यस्त रहती है।
भाजपा का एजेंडा आरएसएस से ग्रसित
राष्ट्रीय लोकदल मांग करता है कि प्रदेश सरकार भारतीय जनता पार्टी का एजेन्डा लागू करे क्योंकि अभी तक की कारगुजारी आरएसएस के एजेन्डे से ग्रसित प्रतीत हो रही है। आज चारों ओर का वातावरण धार्मिक उन्माद, वर्ग संघर्ष एवं जातीयता की संकीर्ण भावनाओं मे जकड़ा हुआ है। सामाजिक संघर्ष के मोर्चे पर भगवाधारी लोग सफल हो रहे हैं और जातीय संघर्ष को बढावा दे रहे हैं। जिससे यह स्पष्ट है कि देश का लोकतंत्र खतरे में प्रतीत हो रहा है।
किसानों के साथ धोखेबाजी का काम कर रही सरकार
सरकार किसानों के साथ प्रत्येक मोर्चे पर धोखेबाजी का काम कर रही है। धान क्रय केन्द्रों की व्यवस्था सुचारू रूप से लागू नहीं हो सकी, किसानों का ऋण एजेन्डे के अनुसार माफ नहीं किया जा सका और किसानों की फसलों को लागत मूल्य का डेढ गुना समर्थन मूल्य अब तक निर्धारित नहीं किया गया जबकि रबी की फसल तैयार होने वाली है। गन्ना किसानों का बकाया अब तक पूर्णतः भुगतान नहीं हो सका और उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार बकाया मूल्य का ब्याज भी अब तक गन्ना किसानों को भुगतान नहीं किया गया।