अमेठी जनपद में लोहिया आवास के लाभार्थी अधिकारियों को ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे आवास आवंटन का लक्ष्य पूरा करने में प्रशासन के पसीने छूट गये। ऐसा नहीं है कि जिले में गरीब न हों ऐसा भी नहीं है कि अब सबके अपने मकान बन चुके है, लेकिन प्रशासन की नजर में कोई गरीब नहीं बचा है। जिसका मकान बनाने के लिए सरकार से बजट दिला सकें। यहां तक कि जो बजट सरकार द्वारा जारी किया गया है, अब उसके लिए भी गरीब नहीं मिल पा रहे हैं।
गरीबों के साथ हो रहा छलावा
- प्रशासन द्वारा लोहिया आवासों के लिए तैयार की गई सूची सिर्फ मजाक बनकर रह गई है,
- जबकि शासन ने जनपद में अल्पसंख्यक वर्ग के लाभार्थियों के लिए आवास का लक्ष्य निर्धारित किया था,
- लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की उदासीनता के चलते शासन के सपने को पंख नहीं लग पाये।
- चालू वित्तीय वर्ष में मुसाफिरखाना विकास खंड के 6 लोहिया समग्र ग्राम में,
- अल्पसंख्यक वर्ग के कोटे के लोहिया आवास के लिए पात्र के नहीं मिल पाने की वजह से लगभग दो दर्जन कोटा रिक्त चल रहा है।
- सूची से साफ पता चल रहा है कि न तो सही तरह से सर्वे किया गया है और न ही पारदर्शिता बरती गई है.
- अधिकारी गरीब की तलाश नहीं कर पाए तो आवासों का बजट वापस जा सकता है।
- विकासखंड में चालू वित्तीय वर्ष में लगभग छह लोहिया समग्र गांव में
- पलिया चंदापुर में छह, सुरपुरकाशीपुर में छह, पलियापूरब में छह, गुन्नौर तथा नंदौर में चार लोहिया आवास अल्संख्यक कोटे के रिक्त है।
- पलिया चंदापुर और सुरपुर काशीपुर में अल्पसंख्यक आबादी नहीं है,
- जबकि पलियापूरब में कोई अल्पसंख्यक पात्र ही नहीं मिला।
- ऐसी दशा में लोहिया आवास का आवंटन कोटा भर पाना मुमकिन नहीं हो सका।
ग्राम प्रधान और विकासकर्मी का खेल
- जानकारी के अनुसार कुछ ग्राम प्रधान और विकासकर्मी इस रिक्त कोटे को अपने यहां समायोजित करने की फिराक में है।
- प्रभारी वीडीयो संभू दयाल वर्मा का कहना है कि अल्पसंख्यक कोटे के लोहिया आवासों को दूसरी ग्राम सभा में से समायोजित किया जा सकता है,
- लेकिन चुनाव आचार संहिता के समय में इस संदर्भ में कोई कारण निर्णय नहीं लिया जा सकता।
- इसलिए इन रिक्तियों को पाना संभव नहीं है,
- वही दूसरी ओर जनपद के गरीब अल्पसंख्यक पात्रों को अपनी कमाई से पक्का घर बनवाना एक सपना ही है।
- पात्र बताते है कि हमें किसी ने सलाह दी कि सरकार पक्का मकान बनवाने के लिए धन दे रही,
- तो ब्लॉक से लेकर विकास भवन तक प्रार्थना पत्र लेकर दौड़ लगाई,
- लेकिन आश्वासन के आलावा कुछ कुछ नहीं मिला।
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