उत्तर प्रदेश के कानपुर के प्राणी उद्यान में पशु पक्षियों व जानवरो के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके चलते बीती देर रात एक मादा तेंदुए की प्राणी उद्यान के अंदर मौत हो गई. इस मादा तेंदुआ चंचल को रेस्क्यू में बचाकर प्राणी उद्यान लाया गया था. जिसके बाद शनिवार देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी मौत हो गयी.
बीती शाम तबियत बिगड़ने के बाद हुई तेंदुए की मौत:
कानपुर के जू में बीती रात एक मादा तेंदुआ चंचल की मौत हो गई. बता दें कि चंचल वृद्धावस्था में थी, जिसकी वजह से वह बीमार चल रही थी। चंचल को 2008 में जनपद बहराइच से रेस्क्यू कर कानपुर जू लाया गया था. तब चंचल की उम्र महज 7-8 वर्ष थी.
मादा तेंदुआ चंचल के दांत टूट जाने से वह कई दिनों से कुछ खा नहीं पा रही थी. जिसके चलते कल देर शाम उसकी तबियत बिगड़ गयी. इसके बाद चिकित्सकों ने उसे अस्पताल ले जाकर इलाज शुरू कर दिया लेकिन चंचल को बचाया नहीं जा सका और देर रात उसकी मौत हो गयी.
इसकी जानकारी जब प्राणी उद्यान के निदेशक के.के सिंह को हुई तो उन्होंने मौके पर पहुँच कर मौत के कारणों की जानकारी ली. जिसके बाद निदेशक के.के सिंह ने बताया कि डॉक्टरों से मिली जानकारी के अनुसार मादा तेंदुआ चंचल के दांत टूट जाने से वह कई दिनों से कुछ खा नहीं पा रही थी. जिसके चलते मादा तेंदुआ चंचल काफी कमजोर हो गयी थी.
उन्होंने ये भी बताया कि मादा तेंदुआ चंचल अपनी 18 साल की आयु भी पूरी कर चुकी थी . उन्होंने कहा कि आज इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ) के चिकित्सकों की टीम चंचल का पोस्टमार्टम करेगी.
कानपुर जू में अब 9 नर और 3 मादा तेंदुआ ही बचे:
बता दें कि अब कानपुर प्राणी उद्यान में 9 नर और 3 मादा तेंदुआ ही बचे है. चंचल ने 24 मई 2010 को चार शावकों को जन्म दिया था.
वहीं अब मादा तेंदुआ चंचल की मौत के बाद जू आने वाले वन्य जीव प्रेमियों व दर्शकों को मायूस होना पड़ेगा, क्योंकि चंचल दर्शकों के बीच बहुत लोकप्रिय थी. यहां 10 वर्षों से रहने के चलते वह यहां के माहौल में पूरी तरह ढल चुकी थी। कुछ सालों से वो शांत स्वभाव की हो गई थी, जिस कारण दर्शक उसे आसानी से बाड़े के बाहर आने पर देख सकते थे।