राजधानी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के बुजुर्ग बाघ शिशिर का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उसकी उम्र 18 वर्ष थी। शिशिर लंबे समय से बीमार था। हालांकि, 13 जुलाई को उसके स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार नजर आया था और अपने बाड़े में चहलकदमी की थी। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले आठ-दस महीनों से ही उसमें वृदावस्था के लक्षण दिखने लगे थे। उसने बाड़े में घूमना-फिरना बंद कर दिया था। वह सुस्त पड़ा रहता था। उम्र बढ़ने के साथ ही उसके दांत भी घिस गए थे। जिसके बाद उसे नरम गोश्त दिया जा रहा था। आर के सिंह के मुताबिक, शिशिर को वर्ष 2007 में नन्दन उद्यान से लाया गया था। उस समय उसकी उम्र लगभग 6-7 वर्ष थी। फिलहाल शिशिर के निधन से चिड़ियाघर में शोक की लहर दौड़ गई है।
बुजुर्ग बाघ शिशिर की बुधवार सुबह सांसें थम गईं। वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहा था। चंद दिन पहले ही उसने भोजन छोड़ दिया था। सिर्फ लिक्विड डाइट ले रहा था। डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा था, लेकिन उम्र ज्यादा होने की वजह से तबीयत में ज्यादा सुधार नहीं हो सका। बाघ शिशिर की मौत से लखनऊ चिड़ियाघर में शोक की लहर दौड़ गई। कर्मचारी, कीपर, के अलावा अधिकारी भी दुखी हैं। जू के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि भोजना छोड़ने के बाद शिशिर सुस्त और कमजोर हो गया था।
चिड़ियाघर के पशु चिकित्सकों की देखरेख में शिशिर की देखभाल की जा रही थी। औसतन एक बाघ की उम्र 14 से 15 साल तक की ही होती है। फिलहाल अभी पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। मौत का स्पष्ट कारण रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। 2007 में ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित नंदन कानन प्राणि उद्यान से शिशिर को लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में लाया गया था। उस समय शिशिर की आयु करीब छह वर्ष थी। शिशिर के साथ ही बाघिन इप्सिता भी नंदन कानन प्राणि उद्यान से लखनऊ चिड़ियाघर लाई गई थी।