एक माह पूर्व अखबारों में विज्ञापन…, तमाम जगह होर्डिंग… और पम्पलेट आदि का वितरण…। साथ ही उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह का यह तक कहना कि नौ तारीख को उनकी परीक्षा है, के बावजूद एलडीए व्यावसायिक संपत्तियों को बेच पाने में असफल साबित हुआ। तमाम तैयारियों के बीच बुधवार को व्यावसायिक संपत्तियों की नीलामी के लिए गिने चुने लोग ही आए। नतीजा, 326 व्यावसायिक संपत्तियों में से महज 26 ही बिक सकीं, जिससे महज 21 करोड़ रुपए ही आमदनी हुई।

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 लोगों में भ्रम के कारण हुआ यह हाल

  • मजे की बात यह कि इस संपत्ति के महज प्रचार के लिए बीते एक माह में 42 लाख रुपए तक खर्च हुए।
  • अब इसके लिए जीएसटी के कारण लोगों में डर को बताया जा रहा है।
  • लेकिन एक पक्ष यह भी है कि इससे जुड़े अधिकारियों ने भी नीलामी को लेकर रुचि नहीं दिखायी।
  • साथ ही, प्रापर्टी का आरक्षित मूल्य भी कम न था और संपत्तियां भी मौके की ना थीं।
  • बुधवार की दोपहर एलडीए के सभागार में नीलामी हो रही थी।
  • यहां बैठे करीब दो दर्जन लोगों के बीच बोली के लिए आवाज लगाने वाला कर्मी चीख-चीख कर बढक़र बोली लगाने को कह रहा था।
  • लेकिन किसी ओर से कोई आवाज न आ रही थी।
  • आखिरकार उर्मिला सिंह की ओर से पांच सौ रुपए बढ़ा दिये गए और संपत्ति उनकी हो गई।
  • सभी ने उनकी इस बोली पर भौंहें समेट ली।
  • लोगों ने बताया कि बालागंज में 67 नंबर का भूखंड इन्होंने लिया है जो बेहद बेकार है।

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  • वहीं, उर्मिला के चेहरे पर भी अधिक बोली का अफसोस साफ दिखायी पड़ रहा था।
  • दरअसल, एलडीए में संपत्तियों की नीलामी को लेकर लोगों में कोई खास जोश दिखायी नहीं दिया।
  • सचिव की अध्यक्षता में करायी गयी नीलामी में 376 संपत्तियों के सापेक्ष 26 संपत्तियों की बोली प्राप्त हुई।
  • इनका विक्रय मूल्य लगभग 21 करोड़ रुपए है।
  • प्राधिकरण की ओर से नीलामी समिति के सदस्य नजूल अधिकारी, वित्त नियंत्रक, नगर नियोजक, विशेष कार्याधिकारी मौजूद रहे।

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सीमा सिंह ने लगायी सबसे ऊंची बोली

  • इस दौरान अलीगंज के सेक्टर ई के 1/36 के लिए सीमा सिंह ने सबसे ऊंची बोली लगाई।
  • उन्होंने 12 स्क्वायर मीटर के भूखंड के लिए आरक्षित मूल्य 46 हजार 310 रुपए प्रति स्क्वायर मीटर के मुकाबले दो लाख 12 हजार500 रुपए की बोली लगाई।
  • इस हिसाब से साढ़े पांच लाख की संपत्ति साढ़े पच्चीस लाख की बिकी।
  • एलडीए पीआरओ अशोक पाल सिंह का कहना है कि जीएसटी आदि को लेकर लोगों में भ्रम था।
  • वहीं, यह संपत्तियां कई बार लग चुकी थीं। इसके बाद भी 21  करोड़ रुपए की आमदनी हो गई।

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