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पुलिस की समस्या व अपराध पर अंकुश लगाना पहली प्राथमिकता: डीजीपी

op singh new dgp of uttar pradesh first interview

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उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह मंगलवार सुबह अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि यूपी में बढ़ रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए क्षेत्रवार रणनीति बनाकर काम करेंगे। प्रदेश के मुरादाबाद में डीआईजी रहे ओपी सिंह ने बताया कि उस तरीके के आधार पर ही अपराधियों का काम तमाम करने के लिए फार्मूला तैयार किया जाएगा। उनका कहना है कि अभी पुलिस की समस्या व अपराध पर लगाम लगाना प्राथमिकता में है। उन्हें पूरे प्रदेश के अपराध के बारे में जानकारी है। अपराध को देखकर ही अपराधियों के खिलाफ मुहिम चलाई जाएगी।

डीजीपी ओपी सिंह क्षेत्रवार रणनीति बनाकर बदमाशों पर लगाएंगे अंकुश

डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि प्रदेश में बढ़ते अपराध के ग्राफ को कम करना उनका उद्देश्य है। पदभार ग्रहण करने के दौरान बताया कि प्लानिंग में पुलिसकर्मियों की समस्याओं को भी वरीयता दी जाएगी। डीजीपी ने कहा कि पुलिसकर्मियों की कमी को पूरा करने को पहले से पूरा मसौदा तैयार किया है।

पांच हजार दारोगा की होगी सीधी भर्ती, आठ हजार हेड कांस्टेबल बनेंगे दारोगा

डीजीपी ने कहा कि पहली ही खेप में पांच हजार दारोगा की सीधी भर्ती होगी, जबकि आठ हजार हेड कांस्टेबल दारोगा बनेंगे। इसके साथ ही प्रदेश में 2300 दारोगा प्रमोट कर उनको इंस्पेक्टर बनाया जाएगा। उन्होंने अपने बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वह बिहार के गया में 2 जनवरी 1960 को जन्मे ओपी सिंह राजनीतिक विज्ञान से परास्नातक करने के बाद 1983 में आईपीएस के लिए चुने गए थे।

1985 में पहली तैनाती पीटीसी मुरादाबाद में एएसपी अंडर ट्रेनी के रूप में हुई थी। 1993 में वीरता पदक मिला था। उन्हें 1999 और 2007 में राष्ट्रपति की ओर से पुलिस पदक से सम्मानित किए जा चुका है। मुरादाबाद में ओपी सिंह एएसपी के बाद एसएसपी तथा डीआईजी भी रह चुके हैं।

उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं आईपीएस ओपी सिंह

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने पिछले साल 19 सितंबर 2016 को महत्वपूर्ण औद्योगिक और परमाणु प्रतिष्ठानों, नागरिक हवाई अड्डों और मेट्रो की रक्षा करने वाले आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह को नए महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के साथ अपने नए अध्यक्ष का पद संभाला। ओपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच अधिकारी हैं, जो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक के रूप में सेवा कर रहे थे।

उनका कार्यकाल जनवरी 2020 तक है। वीरता के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सजाया जाने वाले वर्तमान में एकमात्र डीजी रैंक के अधिकारी, एनडीआरएफ में कुछ बेहतरीन मानक संचालन प्रक्रियाओं की शुरुआत करने के लिए श्रेय दिया गया है और बड़े पैमाने के दौरान मैदान पर अपने लोगों का नेतृत्व किया है। नेपाल भूकंप बचाव और राहत कार्यों पिछले वर्ष उन्होंने एसपीजी, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में पहले सेवा की थी। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के छात्र रहे हैं और और आपदा प्रबंधन में एमबीए की डिग्री उन्हें प्राप्त है।

आईपीएस ओपी सिंह के पास है ढ़ाई साल का लंबा कार्यकाल

बता दें कि यूपी डीजीपी की रेस में बड़ा फेरबदल करते हुए आईपीएस ओपी सिंह का डीजीपी बनाया गया है। 1983 बैच के आईपीएस अफसर ओपी सिंह को प्रदेश का पुलिस मुखिया बनाया गया। ओपी सिंह डीजी सीआईएसएफ के पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे थे। ओपी सिंह सीनीयरटी में सबसे लंबे कार्यकाल वाले 7वें नंबर के अफसर हैं। उनके पास लंबा कार्यकाल और अनुभव बना है।

ओपी सिंह के पास काम करने के लिए ढ़ाई साल का लंबा वक्त है। गौरतलब है कि योगी सरकार एक ऐसे अफसर की तलाश कर रही थी जिसके पास आगामी लोकसभा चुनाव कराने तक का लंबा वक्त हो। सरकार के हिसाब से ओपी सिंह कसौटी पर खरा उतरते हैं। ओपी सिंह अल्मोड़ा (अब उत्तराखंड में), खीरी, बुलंदशहर, लखनऊ, इलाहाबाद और मुरादाबाद के एसएसपी रह चुके हैं। खीरी में उनका सबसे लंबा कार्यकाल डेढ़ वर्ष रहा। सबसे पहले बतौर ट्रेनी एएसपी वाराणसी में उनकी पहली नियुक्ति हुई थी।

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