बीस दिन से जारी कशमकश के बाद आखिरकार यूपी के डीजीपी पद की कुर्सी पर ओपी सिंह की ताजपोशी हो गयी। अब वह डीजी सीआईएसएफ का पद छोड़कर यूपी वापस आ गए। इसके बाद उन्हें डीजीपी पद सौंपे जाने का औपचारिक आदेश जारी कर दिया गया। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि ओपी सिंह ने मंगलवार को यूपी कैडर में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। वह सुबह सबसे पहले हनुमान मंदिर पहुंचे और यहां हनुमान जी के दर्शन करने के बाद वह पुलिस मुख्यालय पहुंचे यहां उन्होंने चार्ज ग्रहण किया।

उत्तर प्रदेश पुलिस के नए महानिदेशक आईपीएस ओपी सिंह ने मंगलवार को अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। डीजीपी के रेस में जो अफसर आगे बताये जा रहे थे उनकी हवाइयां उड़ी हुई हैं। गौरतलब है तत्कालीन डीजीपी सुलखान सिंह तीन महीने का एक्सटेंशन मिलने के बाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नए डीजीपी ओपी सिंह को रविवार को केंद्र से रिलीव कर दिया गया था।

उन्हें सोमवार को सीआईसीएफ के अधिकारियों ने रैतिक परेड करके भावभीनी विदाई दी। नए डीजीपी के राजधानी पहुंचने के बाद से पुलिस के आलाअधिकारी उन्हें सुबह से ही पुष्पगुच्छ देकर बधाई देते नजर आये। चार्ज ग्रहण करने के बाद डीजीपी ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर जोर दिया। हालांकि यूपी की कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए उनके पास काफी चुनौतियां होंगी।

आईपीएस ओपी सिंह के पास है ढ़ाई साल का लंबा कार्यकाल

बता दें कि यूपी डीजीपी की रेस में बड़ा फेरबदल करते हुए आईपीएस ओपी सिंह का डीजीपी बनाया गया है। 1983 बैच के आईपीएस अफसर ओपी सिंह को प्रदेश का पुलिस मुखिया बनाया गया। ओपी सिंह डीजी सीआईएसएफ के पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे थे। ओपी सिंह सीनीयरटी में सबसे लंबे कार्यकाल वाले 7वें नंबर के अफसर हैं। उनके पास लंबा कार्यकाल और अनुभव बना है। ओपी सिंह के पास काम करने के लिए ढ़ाई साल का लंबा वक्त है। गौरतलब है कि योगी सरकार एक ऐसे अफसर की तलाश कर रही थी जिसके पास आगामी लोकसभा चुनाव कराने तक का लंबा वक्त हो। सरकार के हिसाब से ओपी सिंह कसौटी पर खरा उतरते हैं।

लंबे कार्यकाल के बाद मूल कैडर में हुई वापसी

आखिरकार केंद्र सरकार ने सीआईएसएफ के प्रमुख ओपी सिंह को उनके कैडर उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त कर दिया। अब वह राज्य के पुलिस महानिदेश (डीजीपी) की जिम्मेदारी संभालेंगे। वह पिछले साल सितंबर से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के प्रमुख की भूमिका निभा रहे थे। सीआईएसएफ के कामकाज की व्यवस्था में कुछ बड़े बदलावों का श्रेय उनको दिया जाता है।

सीआईएसएफ का प्रमुख बनने से पहले वह राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के प्रमुख के तौर पर काम कर रहे थे। एनडीआरफ में उन्होंने कई बार अपने लोगों का आगे बढ़कर नेतृत्व किया। ओपी सिंह अल्मोड़ा (अब उत्तराखंड में), खीरी, बुलंदशहर, लखनऊ, इलाहाबाद और मुरादाबाद के एसएसपी रह चुके हैं। खीरी में उनका सबसे लंबा कार्यकाल डेढ़ वर्ष रहा। सबसे पहले बतौर ट्रेनी एएसपी वाराणसी में उनकी पहली नियुक्ति हुई थी।

काफी अनुभवी पुलिस अधिकारी हैं ओपी सिंह

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने पिछले साल 19 सितंबर 2016 को महत्वपूर्ण औद्योगिक और परमाणु प्रतिष्ठानों, नागरिक हवाई अड्डों और मेट्रो की रक्षा करने वाले आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह को नए महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के साथ अपने नए अध्यक्ष का पद संभाला। ओपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच अधिकारी हैं, जो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक के रूप में सेवा कर रहे थे।

उनका कार्यकाल जनवरी 2020 तक है। वीरता के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सजाया जाने वाले वर्तमान में एकमात्र डीजी रैंक के अधिकारी, एनडीआरएफ में कुछ बेहतरीन मानक संचालन प्रक्रियाओं की शुरुआत करने के लिए श्रेय दिया गया है और बड़े पैमाने के दौरान मैदान पर अपने लोगों का नेतृत्व किया है। नेपाल भूकंप बचाव और राहत कार्यों पिछले वर्ष उन्होंने एसपीजी, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में पहले सेवा की थी। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के छात्र रहे हैं और और आपदा प्रबंधन में एमबीए की डिग्री उन्हें प्राप्त है।

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