उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों और कानून-व्यवस्था की लचर स्थिति पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है।
जांच में गड़बड़ी पर पुलिस को लगायी फटकार:
- उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा आपराधिक मामलों की जांच में गड़बड़ी की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगायी है।
- हाई कोर्ट ने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा है कि, कानून-व्यवस्था सँभालने और अपराधों की जांच के लिए अलग व्यवस्था हो।
- इसके अलावा प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी को दस दिनों में इस पर अमल कराने और 16 सितम्बर तक रिपोर्ट जमा करने के आदेश दिए हैं।
- निर्देशों का पालन न होने की दशा में 19 सितम्बर को उन्हें कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा।
- यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस पीसी त्रिपाठी की बेंच ने गड़बड़ी के आरोपों की सुनवाई के दौरान दिया।
- इसके अलावा हाई कोर्ट ने डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह से वो रिपोर्ट भी मांगी हैं, जिनपर करीब 6 महीने से ज्यादा से जांच चल रही है।
कोर्ट पूछ सकता है ये पॉइंट्स:
- मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की इन पॉइंट्स पर भी नजर रहेगी जैसे कि, मामले का जांच अधिकारी कौन है।
- उत्तर प्रदेश में पुलिस के कितने पद स्वीकृत हैं और कितनी पुलिस तैनात हैं।
- इसके अलावा कितने पद खाली और उन्हें कितने समय में भरा जा सकता है।
- इसके साथ ही कोर्ट ने हर जिले में फॉरेंसिक लैब बनाने के आदेश भी दिये हैं।
- हाई कोर्ट ने पोस्टमोर्टम के बाद रखे गए विसरा पर भी रिपोर्ट मांगी है।
रेप के मामले में रिपोर्ट न दर्ज होने पर यूपी पुलिस को फटकार:
- साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि, पुलिस द्वारा रेप केस की शिकायत दर्ज करने में देरी की जाती है।
- कोर्ट ने आगे कहा कि, किसी तरह रिपोर्ट दर्ज भी हो जाये मेडिकल में देरी कर सबूत मिटाने की कोशिश की जाती है।
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