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पुराने शौक को जीवित रखने के लिए कबूतरों के अद्भुत नजारे का आयोजन

कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाता है तो वहीं कुछ लोगों के लिए जीवन में बहुत ही ज्यादा प्यारे होते है। कबूतरों की अलग-अलग कहानियां आपने सुनी व पढ़ी होंगी। फिल्मी दुनिया में कबूतर विशेष महत्व रखते हैं। तो वहीं पुराने जमाने में जब कोई संदेश भेजने का साधन उपलब्ध नहीं था तब कबूतरों के माध्यम से एक जगह से दूसरे जगह तक जाकर अपना संदेश देते थे। कबूतरों के उड़ने की रफ्तार 140 किलोमीटर प्रतिघण्टा है और इन्हीं कबूतरों से बेहद लगाव है दिल्ली के अनिल सूद का।

80 कबूतरों की दिखाई गई प्रदर्शनी

दिल्ली चांदनी चौक से विशेष रूप से लखनऊ आए अनिल सूद ने 140 किलो मीटर की रफ्तार कबूतरों को उड़ाया। लखनऊ के पुराने शौक को जीवित रखने के लिया इस अद्भुत नजारे का आयोजन चौक सराय माली खान में किशन साहू के घर पर किया गया। जिसे देखने के लिए लोगों ने काफी संख्या में हुजुम उमड़ा रहा। लोग अपने-अपने छतों से इस प्रदर्शनी का लुफ्त उठा रहे थे।

1400 कबूतरों की है फौज

इस कार्यक्रम का आयोजन राम कृष्ण साहू (किशन) द्वारा किया गया है। बताया कि अनिल सूद ने दिल्ली में 1400 कबूतर पाले हैं तथा उनको तेज रफ्तार से उड़ने की ट्रेनिंग देते हैं। प्रदर्शन के बाद किशन साहू को खलीफा का खिताब भी दिया गया।

कबूतरों को खिलाया जाता है बादाम, काजू, किशमिश

अनिल सूद ने बताया कि कबूतरों को स्वस्थ रखने के लिए काजू किशमिश बादाम, दूध आदि पौष्टिक वस्तुएं खिलाई जाती है। ताकि कबूतरों के शारीरिक रूप से मजबूत रहें। वहीं उनको रोज सुबह उड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है तथा इन्हें ट्रेनिंग के कम्पटीशन के उद्देश्य से दी जाती है।

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