उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्त्वावधान में सम्मान समारोह का आयोजन मुख्यमंत्री आवास, कालिदास मार्ग, लखनऊ में किया गया। योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मान समारोह के गौरव को बढ़ाया। समारोह की अध्यक्षता हृदय नारायण दीक्षित, अध्यक्ष, विधानसभा, उत्तर प्रदेश द्वारा गयी।
मुख्य अतिथि योगी आदित्यनाथ, सभाध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित एवं डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त,कार्यकारी अध्यक्ष, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, शिशिर, निदेशक, उ.प्र. हिन्दी संस्थान सहित अन्य मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय की छात्राओं नीलू पाण्डेय, साहिल कौशिक तूलिका, रूबी शुक्ला, यमन वर्मा तबले पर अनुज वर्मा एवं हारमोनियम पर राज द्वारा कमलेश द्विवेदी के निर्देशन में की गयी।
कार्यक्रम के दौरान डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त ने कहा- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा वर्ष 2016 के लिए प्रदान किये जाने वाले सम्मान के उपलक्ष्य में माँ सरस्वती के प्राकट्य दिवस एवं महाप्राण निराला के जन्मदिन वसंत पंचमी के इस पावन अवसर पर आयेाजित आज के इस कार्यक्रम के अध्यक्ष उ.प्र. विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित इस सारस्वत समारोह के मुख्य अतिथि उ.प्र. के मुख्यमंत्री एवं उ.प्र. हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ।
भारत-भारती सम्मान से सम्मानित वयोवृद्ध एवं ज्ञानवृद्ध, भारतीय काव्यशास्त्र के मर्मज्ञ डाॅ. आनन्द प्रकाश दीक्षित, साहित्यानुशीलन समिति चेन्नई के इन्दरराज वैद भाषा, सम्मान समारोह के इस अवसर पर भगवान राम के अनुज शेषावतार लक्ष्मण द्वारा बसायी गई इस लक्ष्मणावती नगरी जो लक्ष्मणपुर से लखनौती से होते हुए अब लखनऊ के नाम से जानी जाती है में आप सबका हार्दिक स्वागत है। सम्मानित बन्धुओं, यह हिन्दी संस्थान के लिए बहुत ही प्रीतिकर एवं सुखद संयोग है कि मुख्यमंत्री जो हमारे संस्थान के मुखिया भी हैं, ने उदारतापूर्वक सम्मान समारोह में अपना बहुमूल्य समय ही नहीं दिया अपितु अपने आवास पर ही समारोह को आयोजित करने की कृपापूर्वक स्वीकृति प्रदान की।
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उन्होंने कहा हम मुख्यमंत्री का उनके आवास पर ही संस्थान की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हृदय से स्वागत करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष के भी आभारी हैं कि उन्होंने अत्यन्त आत्मीयता प्रदर्शित करते हुए सहजता के साथ हमारे अनुरोध को स्वीकार किया और यहाँ पधारे हैं, उनका स्वागत करते हैं। उन सभी साहित्यकार चिन्तक बन्धुओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उनका स्वागत करते हैं, जिन्होंने हिन्दी संस्थान द्वारा दिये गये सम्मानों को स्वीकार किया और यहाँ उपस्थित हैं। सभी आमंत्रित अतिथियों के प्रति भी आभार प्रकट करते हुए उनका हार्दिक स्वागत करते हैं, जिन्होंने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से हमें गौरावान्वित किया है।
उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में चार दिवंगत साहित्यकारों – हनुमान प्रसाद पोद्दार, पं. विद्यानिवास मिश्र, ठाकुर राम अधार सिंह तथा देवेन्द्र कुमार बंगाली पर पुस्तिका प्रकाशित करने की योजना है। संस्थान 18 से 30 वर्ष के आयुवर्ग के नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके बीच कहानी एवं कविता प्रतियोगिता भी आयोजित करने जा रहा है। हिन्दी भाषा एवं साहित्य के संवर्धन एवं उसके स्वस्थ तथा सकारात्मक विकास हेतु लेखक सम्मेलन भी संस्थान आयोजित करेगा।
मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूँ इसकी संख्या 20 करने पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुग्रह करें। संस्थान दो विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान प्रदान करता है। इसकी पुरस्कार राशि पचास हजार से एक लाख किये जाने तथा विभिन्न विधाओं के अन्तर्गत दिये जाने वाले नामित एवं सर्जना पुरस्कारों की राशि क्रमशः पचास हजार से पचहत्तर हजार एवं बीस हजार से बढ़ाकर चालीस हजार किये जाने का निवेदन भी करना चाहता हूँ। संस्थान के द्वारा अभी 34 विधाओं के अन्तर्गत पुरस्कार दिये जाते हैं। इसमें भी वृद्धि की आवश्यकता का अनुभव किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने भारत-भारती सम्मान से डाॅ. आनन्द प्रकाश दीक्षित, लोहिया साहित्य सम्मान से आनन्द मिश्र ‘अभय’, हिन्दी गौरव सम्मान से डाॅ. विद्याबिन्दु सिंह से महात्मा गांधी साहित्य सम्मान से डाॅ. नन्द किशोर आचार्य, पं. दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान से डाॅ. महेश चन्द्र शर्मा, अवन्तीबाई साहित्य सम्मान से प्रो. नेत्रपाल सिंह, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से डाॅ. इंदर राज बैद्य, साहित्य भूषण सम्मान से डाॅ. रामशरण गौड, प्रो. (डाॅ.) जय प्रकाश, डाॅ. गणेश नारायण शुक्ल, डाॅ. वेद प्रकाश अभिताभ, मधुकर अष्ठाना, विजय रंजन, डाॅ. श्रीराम परिहार, प्रो. सुरेन्द्र दुबे, डाॅ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, बल्देव भाई शर्मा, लोक भूषण सम्मान से डाॅ. आद्याप्रसाद सिंह ‘प्रदीप’, कला भूषण सम्मान से डाॅ. मंजुला चतुर्वेदी, विद्या भूषण सम्मान से डाॅ. हरिशंकर मिश्र, विज्ञान भूषण सम्मान से देवेन्द्र मेवाड़ी।
पत्रकारिता भूषण सम्मान से राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ से बाल साहित्य भारती सम्मान से भगवती प्रसाद द्विवेदी, मधुलिमये साहित्य सम्मान से शिवनारायण मिश्र पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान से डाॅ. हरिजोशी, विधि भूषण सम्मान से डाॅ. रामअवतार सिंह, सौहार्द सम्मान से मनोहरमयुम यमुना देवी, प्रकाश भातम्बे्रकर, डाॅ. बाबू कृष्ण मूर्ति, प्रो. ओम्प्रकाश पाण्डेय, डाॅ. जे.एल. रेड्डी, श्री नन्द कुमार मनोचा ‘वारिज’, डाॅ. गंगेश गुंजन, वी. रवीन्द्रन, डाॅ. राजलक्ष्मी कृष्णन, डाॅ. यासमीन सुलताना नकवी, डाॅ. शशि शेखर तोषखानी, प्रो. प्रेमसुमन शर्मा एवं डाॅ. प्रणव शर्मा शास्त्री, नामित पुरस्कार से रमाशंकर, डाॅ. ज्ञानवती दीक्षित।
डाॅ. दिनेश पाठक ‘शशि’, चन्देश्वर ‘परवाना’, डाॅ. शिवमंगल सिंह ‘मंगल’, डाॅ. अजय कुमार सिन्हा, आचार्य पण्डित उमाशंकर मिश्र ‘रसेन्दु’, रवीन्द्र प्रताप सिंह, डाॅ. देवव्रत चौबे, डाॅ. सुशील कुमार पाण्डेय ‘साहित्येन्दु’, रविनंदन सिंह, डाॅ. दया शंकर त्रिपाठी, डाॅ. प्रणव भारती, शीलेन्द्र कुमार वशिष्ठ, डाॅ. पशुपतिनाथ उपाध्याय, डाॅ. सरला अवस्थी, डाॅ. नुज़हत फ़ात्मा, डाॅ. गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’, डाॅ. विनीता सिंघल, आरती मिश्र ‘आश्चर्य’, शंकर सुल्तानपुरी, डाॅ. योगेश, डाॅ. बीरेन्द्र कुमार चन्द्रसखी, अमित कुमार सिंह सम्पा. कृष्ण मुरारी ‘विकल’, शीला शर्मा, डाॅ. चन्द्रभानु शर्मा एवं कौशलेन्द्र को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। डाॅ. मंजु मोदी, छत्रपाल (जोगिन्दर पाल सराफ), रामनिरंजन गोयनका के प्रतिनिधि ने पुरस्कार ग्रहण किया।
भारत भारती सम्मान-2016 से सम्मानित डाॅ. आनन्द प्रकाश दीक्षित ने कहा -हिन्दी के अनुरागियों का सम्मान पूरे भारतवर्ष में हो यह भाव हिन्दी संस्थान का है। त्रिभाषा सूत्र पर ध्यान देना आवश्यक है तभी हिन्दी की उन्नत्ति सम्भव है। राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान से सम्मानित साहित्यनुशीलन संस्था, मद्रास के प्रतिनिधि इन्दरराज वैद ने संस्था का परिचय देते हुए हिन्दी के प्रति समर्पण के भाव को प्रदर्शित किया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा -साहित्य का मूल भाव सबका हित है। साहित्यकार समाज को दिशा देने पर महत्वपूर्ण काम करते हैं इसलिए प्रणम्य हैं। हिन्दी सेवियों तथा रचनाकारों और विद्वानों का सम्मान, राष्ट्रभाषा का सम्मान है। भारत की प्राचीन उज्ज्वल परम्परा का सम्मान है। हिन्दी भाषा और साहित्य राष्ट्र की सांस्कृतिक अस्मिता की अभिव्यक्ति का माध्यम है। विश्व के लगभग एक सौ पचहत्तर देशों के विश्वविद्यालयों में यह पढ़ाई जाती है। यह स्थिति इसकी अतिशय लोकप्रियता का प्रमाण है। हिन्दी की इस व्याप्ति और इसकी शक्ति को हमें खण्डित नहीं होने देना है। जनपदीय बोलियों को साथ लेकर हिन्दी निरन्तर आगे बढ़ती रहे यही प्रयास करना है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में हृदय नारायण दीक्षित ने अपने वक्तव्य में कहा -समाज के संस्कारों को जीवित करने में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान है। साहित्यकार विशेषरूप से हिन्दीतर भाषी प्रदेशों से पधारे विद्वानों को मैं प्रणाम करना चाहता हूँ। आभार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक शिशिर ने कहा – उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के द्वारा आयोजित सम्मान समारोह 2016 के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे मुख्यमंत्री के प्रति हिन्दी संस्थान परिवार विशेष रूप से आभारी है आपने व्यस्ततम कार्यक्रम में से साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिए समय दिया एवं उनके सम्मान में भोज का आयोजन भी किया। विधान सभा अध्यक्ष के प्रति भी हम आभारी हैं आपने कृपापूर्वक समारोह की अध्यक्षता करना स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से आभारी हैं संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष के प्रति आपने इस भव्य सम्मान समारोह के आयोजन का अवसर हमें प्रदान किया। हम आभारी हैं सभी सम्मानित साहित्यकारों एवं उनके परिजनों के प्रति भी जो हमारे आमंत्रण पर यहाँ पधारे और सम्मान ग्रहण किया। हम पत्रकार, मीडियाकर्मियों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं जो निरन्तर हमारी उपलब्धियों को महत्व देते हुए उसे प्रकाशित और प्रसारित करते हैं। मुख्यमंत्री जी के आवास पर आयोजित समारोह में सहयोग करने वाले सभी अधिकारियों के प्रति भी हम कृतज्ञ हैं। समारोह के अन्त में भारखण्डे संगीत विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा वन्दे मातरम् का गायन किया गया। समारोह का संचालन डाॅ. अमिता दुबे, सम्पादक, उ.प्र. हिन्दी संस्थान ने किया।