एक तरफ पूरा देश आज 69वें गणतंत्र का जश्म मना रहा है। मुख्यमंत्री से लेकर नेता देश में विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं कि सरकार आखिरी पंक्ति तक विकास और अपनी योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है। लेकिन फतेहपुर में स्वास्थ्य सेवाओं का कितना बुरा हाल है। इसकी एक ऐसी तस्वीर आज हम आपको दिखाएंगे कि आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि योगी सरकार में आखिर ये क्या हो रहा है।
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सड़क हादसे में घायल हुआ था बुजुर्ग
फतेहपुर के नेशनल हाईवे के कल्याणपुर थाना क्षेत्र के कल्याणपुर गांव में 7 जनवरी को सड़क हादसे में बुजुर्ग गंभीर रुप से घायल हो गया था। हादसे में उसके पैर पर चोट आई थी। इसके इलाज के लिए परिजनों ने अस्पताल ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन जब एंबुलेस नहीं पहुंची। परिजन बूढ़े पिता को चारपाई पर कंधे में लादकर करीब 2 किलोमीटर पैदल लेकर अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे। इलाज कराने के बाद फिर दोबारा चारपाई पर लादकर वापस लेकर अपने गांव पहुंचे। तस्वीरें अपने आप में ये बताने को काफी हैं कि आखिर सूबे में योगी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितनी संजीदा है। हालांकि इस मामले में अधिकारी हैं कि कुछ बोलने तक को तैयार नहीं हैं।
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कई बार काल करने के बाद भी नहीं पहुंची एंबुलेंस
पीड़ित परिजनों ने बताया कि गोला पासवान को वह दूसरे दिन घायल को मरहम पट्टी के लिए पीएचसी गोपालगंज पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को काल किया लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। परिजन बुर्जुग को चारपाई में बैठा कर पीएचसी ले गए। उस दिन से हर दूसरे दिन चारपाई पर बुर्जुग को बैठा कंधों का सहारा देकर अस्पताल ले जाते हैं। एक महिला, किशोरी और बच्चे चारपाई पर वृद्ध को बैठाकर अस्पताल की ओर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। गोला पासवान की माली हालत ठीक नहीं है। उसके तीन बेटे राजू, कुलदीप व राजेश और तीन बेटियां मनू, बीनू व रेनू सभी मजदूरी पर निर्भर हैं। कमाई इतनी है कि 12 लोगों के परिवार का पेट भरना मुश्किल हो रहा है। पिता के इलाज के लिए रुपए नहीं हैं। घर का चूल्हा जले इस लिए तीनों बेटे मजदूरी के लिए जाते हैं और बेटियां अपनी मां सियादुलारी से साथ पिता की देखभाल करती हैं।
फतेहपुर जिला में 56 इमरजेंसी वाहन
स्वास्थ्य विभाग के पास मरीजों को एक काल पर अस्पताल पहुंचाने के लिए 54 इमरजेंसी वाहन मौजूद है। जिसमें 102 एबुंलेंस सेवा के 33, 108 एबुंलेंस सेवा के 21 वाहन और एएलएफ (इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट) सेवा के दो वाहनों की फौज है। इसके बावजूद इसके कंधों पर मरीजों के अस्पताल पहुंचना कई सवाल खड़े करती है। एमओआईसी गोपालगंज डॉ. अमलेश जोशी ने कहा कि मरीज का इलाज कर घर भेज दिया गया था। एम्बुलेंस सेवा लखनऊ से आपरेट होती है, इस लिए एक ही मरीज को रोज एम्बुलेंस सेवा मुहैया करा पाना संभव नहीं है। स्थानीय लोगों ने जब परिजनों के कंधे पर चारपाई और उस पर बैठे वृद्ध को देखा तो उनका कलेजा पसीज गया।
इससे पहले एम्बुलेंस न मिलने से गर्भवती को ई-रिक्शा पर हुआ था प्रसव
14 दिसम्बर 2017 को लखनऊ के चिनहट की गर्भवती सादिया (28) को गुरुवार सुबह 9:45 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। इस पर परिवारीजनों ने एंबुलेंस नंबर 102 डायल किया। फोन करने पर एंबुलेंस के इंतजार करने की बात कही गई। करीब 1 घंटे तक परिवारीजन बार-बार 102 एंबुलेंस को फोन लगाते रहे लेकिन वह नहीं आई। इधर गर्भवती की हालत बिगड़ने पर परिवारीजन ई-रिक्शा से लोहिया अस्पताल ले जा रहे थे तभी रास्ते में प्रसव हो गया। अस्पताल पहुंचने पर तुरंत जच्चा और बच्चा को भर्ती कर लिया गया।