राजधानी लखनऊ में हजारों की संख्या में पटरी दुकानदारों ने इकठ्ठा होकर नगर निगम मुख्यलय का घेराव कर जमकर नारेबाजी की। प्रर्दशनकारियों ने विधायक निवास दारुलसफा के सामने की रोड को जाम कर दिया और जमकर हंगामा काटा। पुलिस ने कैपिटल तिराहे के पास प्रदर्शनकारियों को बैरिकेडिंग लगाकर रोका तो वह और उग्र हो गए। प्रदर्शन में भारी मात्रा में महिलाएं भी शामिल थी। आक्रोशित पटरी दुकानदारों के नेता बैरिकेडिंग पर चढ़ गए और नारेबाजी करने लगे। दोपहर बाद तक चले प्रदर्शन के बाद अधिकारियों के आश्वासन पर प्रदर्शनकारी शांत हुये। प्रदर्शनकारियों ने नगर निगम और पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपनी दुकानें लगाने और स्थाई जगह देने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि पुलिस और नगर निगम के द्वारा दुकानें लगाने के लिए की जा रही वसूली भी तत्काल बंद की जाये। प्रदर्शन के दौरान यातायात भी बाधित हो गया। उधर ई-रिक्शा चालक संघ के तत्वावधान में लखनऊ के विभिन्न इलाकों में ई-रिक्शा चालकों ने एसएसपी के आदेश के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एसएसपी पर लगाया तुगलकी फरमान जारी करने का आरोप[/penci_blockquote]
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी के तुगलकी फरमान के बाद शहर भर के पटरी दुकानदारों ने लखनऊ फुटपाथ व्यापार समन्वय समिति के नेतृत्व में पुलिस और नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एसएसपी ने शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई मार्गों पर ई-रिक्शा की एंट्री पर रोक लगा दी है। साथ ही पटरी दुकानदारों को भी सड़क किनारे दुकानें लगाने से मना कर दिया है। डीएम और एसएसपी के निर्देश के बाद पुलिस और नगर निगम मिलकर अवैध अतिक्रमण रोज हटा रहा है। इससे राहगीरों को तो जाम से मुक्ति मिली है लेकिन पटरी दुकानदारों का रोजगार छिन गया है। पटरी दुकानदारों का आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस ने पटरी दुकानदारों को हटा दिया है। आक्रोशित दुकानदार अपनी और अपने परिवार का पेट पालने के लिए दुकान लगाने के लिए जगह दिए जाने की मांग पर अड़े थे।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]प्रशासनिक अधिकारियों से पटरी दुकानदारों ने मांगी स्थाई जगह[/penci_blockquote]
नगर निगम और पुलिस के मनचाहे तरीके से अतिक्रमण हटाने के विरोध में आज शहर भर के पटरी दुकानदारों ने नगर निगम मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। निगम कर्मचारियों और पुलिस के खिलाफ आक्रोश के चलते निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन करीब 4 घंटा चला। लखनऊ फुटपाथ व्यापार समन्वय समिति ने पटरी दुकानदारों द्वारा झेली जाने वाली समस्याओं का विरोध किया। समिति के अध्यक्ष गोकुल प्रसाद ने बताया कि कई जगह पटरी दुकानदारों का पंजीकरण होने के बाद भी कभी निगम अधिकारी तो कभी पुलिस बल अभियान चला कर उन्हें हटा देता है। उन्होंने आगे बताया कि कोर्ट ने आदेश भी दिए थे कि अतिक्रमण हटाने से पहले उनके लिए जगह चिन्हित की जाए। पर फिर भी निगम की ओर से इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने बताया की कुछ जोनो में निगम की ओर से वेंडिंग जोन निर्धारित किये गए है, वहां से भी पटरी दुकानदारों को हटा दिया जाता है। साथ ही पंजीकरण की बात कहने पर निगम अधिकारी कहते है कि सर्वे करना पडेगा। साथ ही पीली लाइन खीचने का प्रस्ताव पास होने पर भी अभी तक सभी जोनो में लाइन नहीं खीचीं गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना के दुकानदारों की दुकानें हटा दी हैं। इससे वह रोड पर आ गए हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पुलिस और नगर निगम कर्मचारियों का हर दुकानदार से रेट फिक्स[/penci_blockquote]
पटरी दुकादारों का आरोप है कि निगम कर्मचारी सर्वे के नाम पर खाना पूर्ती करते हैं। वह 100 से 200 रूपए एक दुकानदार से लेते हैं। इसी तरह स्थानीय पुलिस भी 50 से 100 रुपये हर दुकानदार से वसूलती है। इसी कारण लोगों ने दुकान अपने परिवार जनों के नाम पंजीकरण करा के किराए पर देना शुरू कर दिया है। दुकानदारों ने यह भी कहा कि पंजीकरण की प्रक्रिया डिजिटल करने की बात हुई थी जो आज तक नहीं हुई। अपर नगर आयुक्त ने कहा कि वह मानते है कि निगम की कार्यप्रणाली इस मामले में उतनी तेज़ नहीं हो पाई है जितनी होनी चाहिए थी। उन्होनें आश्वासन दिया कि वह इस मसले पर जल्द ही अन्य विभागों से बात करके निर्णय लेंगे।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पटरी दुकानदारों की छिन गई रोजी रोटी [/penci_blockquote]
बताते चले कि इसी सन्दर्भ में पटरी दुकानदारों, डीएम, एस एस पी, एसपी ट्रैफिक, एलडीए, पीडब्लूडी, डूडा के प्रतिनिधि समेत सभी जोनल अधिकारी और नगर अभियंता की बैठक हुई थी जिसमें सभी समस्याएं राखी गई थी। लेकिन कोई हल नहीं निकला था। इसके बादइंजीनियरिंग कॉलेज के पास निगम द्वारा चलाए जा रहे अभियान में पुलिस ने बल प्रयोग भी किया था। इसके बाद पटरी दुकानदार नेता अनुपम शुक्ला ने विरोध करते हुए नगर निगम के दस्ते से कहा कि पटरी नियमन 2014 के अन्तगर्त जो बिल लाया गया था, आखिर उसका नगर निगम पालन क्यों नहीं कर रहा है? पटरी दुकानदारों को पार्षदों का साथ भी मिला था। लेकिन कुछ रोज पहले से पुलिस और नगर निगम ने साथ मिलकर पटरी दुकानदारों की रोजी रोटी छीन ली। एक दुकानदार ने कहा कि उसने सोचा कि कहीं गली में दुकान लगा लें वह जैसे ही दुकान लगाने गया कि बिक्री भी नहीं हो पाई थी कि पुलिस ने सप्रू मार्ग पर 5 हजार का चालान ठोंक दिया। अब वह जुर्माना कहाँ से भर पायेगा।
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