फ़र्रूख़ाबाद में सर्दी का सितम जारी है, कहने को तो हालात ठीक है लेकिन जिला प्रशासन एक बार फिर सवालों के घेरे में है, हमारी टीम ने एक बार फिर जिले सार्वजनिक जगहों का निरीक्षण किया जहां खामिया मिली. हालात ऐसे है कि गरीबों के पास ना तो ओढ़ने के लिए कपड़े है ना सर्दी से बचने के लिए अलाव.

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सर्दी का सितम जारी, खुले आसमान में लेटने को मजबूर गरीब

सर्दी का सितम जारी है. कहने को तो हालत ठीक बने हुए हैं लेकिन अगर बात करें जिले के प्रशासन की तो जिला एक बार फिर सवालों के घेरे में है.  हमारी टीम ने एक बार फिर जिले के सार्वजानिक जगहों निरीक्षण किया. जहां खामिया तो थी ही लेकिन हालात ऐसे थे की गरीब को ना तो ओढ़ने को कपड़े थे और ना ही तापने को आग. हमारी टीम की नज़र एक ऐसे व्यक्ति पर पड़ी जो बेसहारा था ना उसके कोई आगे न ही कोई पीछे. बेसहारा व्यक्ति कम्बल की जगह बोरा ओढ़कर रात की गलन को काट रहा था ऐसे बहुत से लोग फर्रुखाबाद रेलवे स्टेशन पर थे जो की बिस्तर की जगह बोरा ओढ़कर जिन्दगी के साथ रात को भी काट रहे थे. प्रशासन चाहे लाख दावे करे लकिन प्रशासन की हकीकत कैमरे पर साफ़ नज़र आ रही थी.

रियालटी चेक में फेल हुए प्रशासन के दावे

वहीें अगर बात प्रशासन के अलाव जलवाने की जाये तो उसके दावे साफ तौर पर झूठे साबित होते है जिले में ना ही कही अलाव जल रहे हैं, हमारे रियालिटी चेक में सबसे पहले रेलवे स्टेशन ही फेल पाया गया जहां ना ही कही लकड़ी जली और जो जल भी रही थी वो आम आदमी कूड़े के ढेर से पन्निया जोड़कर कूड़ा बीनकर जलाया जा रहा था.

कूड़े को जलाकर आग से खुद को बचाते असहाय

यह देखकर जब हमने लोगों से जानना चाहा तब लोगों का वहां पर भी साफ़ कहना था की हम लोगों की कोई भीं सुनने वाला नहीं है. हम लोग कूड़ा बीनकर ही जलाते हैं और इसी तरह जिन्दगी को काटते है अब प्रशासन के दावे साफ़ तौर पर पोल खोलने वाले दिखते है प्रशासन चाहे लाख दावे करे लेकिन कोई भी इनकी कोई भी सुध लेने वाला नहीं है. हमरी टीम दूसरी जगह फतेहगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंची वहा का नजारा और ही था, जो सड़कों से अख़बार ,कूड़ा करकट बीन कर उससे आग जलाकर ठंड को दूर प्रयास कर रहे थे, वही के लोगों से बात की गयी तो हकीकत सामने आई.

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