विधानसभा में संदिग्ध पदार्थ के PETN होने की पुष्टि को लेकर अभी भी कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं. जाँच को लेकर चल रही बहस के बीच एक और खुलासे में सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है.
एक्सपायरी डेट की किट से की गई थी पाउडर की जांच:
- विधानसभा में संदिग्ध पाउडर पाए जाने के बाद उसे जाँच के लिए भेज दिया गया था.
- लेकिन इस जाँच को लेकर तब सवाल उठे जब आगरा FSL के अनुसार संदिग्ध पदार्थ PETN नहीं था.
- गृह विभाग ने आनन-फानन में इस खबर को नकारते हुए लखनऊ FSL की रिपोर्ट को सही बताया था.
- वहीँ लखनऊ FSL को लेकर भी सवाल उठे थे कि जो टीम जाँच में शामिल थी वो अनुभवहीन थी.
- वहीँ FSL चीफ के भ्रष्टाचार में शामिल होने की ख़बरें भी थी.
- लेकिन इसी बीच एक और खुलासे ने इस जाँच पर सवाल उठा दिए हैं.
- विधानसभा में संदिग्ध पाउडर की जांच में लापरवाही बरती गई.
- एक्सपायरी डेट की किट से की पाउडर की जांच गई थी
- जांच दल ने शासन को को रिपोर्ट सौंप दी है.
- डीजी टेक्निकल सर्विस ने जांच में डॉयरेक्टर को दोषी पाया है.
- अलग बयानों से डॉयरेक्टर संदेह के घेरे में आ गए हैं.
- संदिग्ध पाउडर को PETN बताया जा रहा था.
- सीएम योगी तक ने इसे PETN बता दिया था.
- डॉयरेक्टर के खिलाफ़ बड़ा एक्शन हो सकता है.
लखनऊ FSL की जाँच सवालों के घेरे में:
- लेकिन इस रिपोर्ट के बाद सरकार सकते में है.
- सरकार लखनऊ FSL की रिपोर्ट को सही बताने में जुटी है.
- लेकिन जाँच करने करने वाले क्या इतने दक्ष थे कि वो पाउडर की पहचान कर सकें.
- ये बात सामने आयी है कि जिन लोगों की टीम ने संदिग्ध पदार्थ की जाँच की उन्होंने पहली बार इस प्रकार का टेस्ट किया था.
- आगरा FSL की टीम इस प्रकार के विस्फोटक की जाँच के लिए सक्षम मानी जाती है.
- वहां पहले भी कई टेस्ट किये जा चुके हैं.
- आगरा में केमिकल एक्सपर्ट की टीम ने पहले भी विस्फोटकों की जाँच की है.
- फिर गृह विभाग आगरा FSL को टेस्ट के लिए सक्षम क्यों नहीं मान रहा है.
- लखनऊ FSL की लापरवाही के बावजूद उनकी रिपोर्ट को तरजीह देने के पीछे सरक़ार की मंशा क्या है?
गलत रिपोर्ट बनाने के आरोपी की रिपोर्ट पर योगी सरकार को भरोसा:
- लखनऊ FSL की रिपोर्ट जाँच के घेरे में है और फिर भी सरकार का कहना है कि आगरा को रिपोर्ट नहीं सौंपी गई.
- किरकिरी होने के बाद अब जो बातें सामने आयी हैं, उससे सरकार घिरती दिखाई दे रही है.
- सवाल ये है कि भ्रष्टाचार के आरोप और गलत रिपोर्ट देने के कारण ट्रायल झेल रहे अधिकारी को क्यों बचाने का प्रयास किया जा रहा है.
- श्याम बिहारी उपाध्याय यूपी से पहले बिहार में फोरेंसिक लैब में सेवाएं दे रहे थे.
- उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे वहीँ सबसे बड़ा आरोप उनपर गलत फोरेंसिक रिपोर्ट देने का था.
- बिहार में उनके खिलाफ कई मामले सामने आये जिनमें उनका ट्रायल हुआ.
जाँच में नहीं मिला कुछ, सरकार घिरी:
- वहीँ अभी तक जाँच में कुछ भी नहीं पाया गया है.
- तो आखिरी निगाह इसी बात पर जमी हुई है कि पाया जाने वाले संदिग्ध पदार्थ विस्फोटक था या नहीं.
- इसे आतंकी हमले की साजिश बताना भी योगी सरकार को मुश्किलों में डालता दिखाई दे रहा है.
- तलाशी के दौरान पान-गुटखे की पीक और रैपर के अलावा कुछ नहीं