लखनऊ के डालीगंज स्थित प्राचीन महादेव मंदिर मनकामेश्वर मठ मंदिर में इस बार होली के अवसर पर चार दिवसीय फाघोत्सव-2018 का आयोजन अपने चरम पर है उत्सव के दूसरे दिन मंगलवॉर को मनकामेश्वर उपवन घाट पर कंडो(गौधन) की होलिका पूर्ण रूप से श्रृंखलाबद्ध कर दी गई, इस मांगलिक कार्य के अवसर पर मठ-मंदिर की महंत देव्या गिरि ने होलिका पूजन के पश्च्यात पारंपिरक गुलाल से होली खेली, निरंतर तीन साल से आयोजित की जा रही ईको फ्रेंडली होलिका दहन का उद्देश्य पर्यावरण का संतुलन को उचित अनुपात मे रखना है।

इस आयोजन के लिए सम्पूर्ण मनकामेश्वर घाट को अलग-अलग रंग के फूलों से सजाया गया। चंद्र शेखर आज़ाद के बलिदान दिवस के अवसर पर मठ-मंदिर परिसर मे पुष्पांजलि व दीपांजलि का आयोजन किया गया। महंत देव्यागिरि ने चंद्रशेखर आज़ाद के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की इस अवसर पर एफम रेनबो के आर.जे. अनवारुल हसन मौजूद रहे।

Eco-Friendly Holika mankameshwar mandir lucknow

21बच्चों को वैद्यों ने पिलाई सुवर्ण औषधि

मनकामेश्वर मंदिर मठ की ओर से बच्चों का सुवर्णप्राशन संस्कार का आयोजन किया गया। फागोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में योग्य वैद्यों की देखरेख में 21 बच्चों का संस्कार किया गया। इस दौरान आयुर्वेदाचार्यों ने बच्चों को रोगनिवारक औषधि देकर उनके स्वास्थ की मंगलकामना की। दिन में आयोजित कार्यक्रम में सुवर्णप्राशन संस्कार के बारे में वैद्याचार्य हर्ष तिवारी ने जानकारी दी। उन्होंने बच्चों के अभिभावकों को बताया कि आधुनिक चिकित्सा प्राणाली में जिस तरह बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए कई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है।

उसी तरह आयुर्वेद में बच्चों का सुवर्ण प्राशन संस्कार विधि का प्रावधान है। यह आयुर्वेदिक इम्युनाइजेशन प्रक्रिया है। जिससे बच्चों में रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिससे वह निरोगी रहते हैं। इस औषधि को स्वर्ण भस्म आदि औषधियों से निर्मित किया जाता है। जिसे लिक्विड के रुप में पिलाया जाता है। गौरजा, शिवा मिश्रा, तृप्ति सिंह, विहान सिंह, कल्याणी, अभिनव, कुमकुम, सोनू, मोनू, तिलकराम आदि बच्चो ने इस दवा का सेवन किया।

सुवर्ण प्राशन संस्कार से होता है सर्वांगीण विकास

महंत देव्यागिरि ने बताया कि सुवर्ण प्राशन संस्कार बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक विकास के लिए प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। महर्षि कश्यप ने अपने ग्रंथ कश्यप संहिता में इसके लाभों का वर्णन किया है। आचार्य शिवराम अवस्थी ने बताया कि कश्यप संहिता के मुताबिक बुद्धि, बल, उम्र बढ़ाना, आकर्षण, मानसिक विकास आदि में वृद्धि कर रोगरहित करने में सुवर्ण प्राशन संस्कार कारगर है। बच्चों को एक महीने तक रोजाना सुवर्ण प्राशन देने से बच्चे का संपूर्ण शारीरिक विकास होता है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बच्चे और उनके अभिभावक मौजूद थे।

सर्वधर्म व देश शांति के लिए की गई 11 सेवादारो ने की विशेष महाआरती

प्रदोश व्रत व नरसिम्हा द्वादशी के शुभ अवसर पर सर्वधर्म व देश शांति के लिए मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि ने मंदिर परिसर में स्थित भगवान विष्णु अवतार भगवान राम की रामदरबार समक्ष एवं महादेव की विशेष महाआरती की इस अवसर फागोत्सव के दूसरे दिन होने के कारण महादेव के शिवलिंग को ब्रह्ममहूर्त मे केसरिया श्रृंगारित किया गया। आचार्य शिवराम अवस्थी के आचार्यत्व में सभी सेवादार पारम्परिक वेशभूषा में महाआरती की इस आरती को देख श्रद्धालु भाविभोर हो गए। विजय मिश्रा, अमन शुक्ला, अमित गुप्ता ,दीपू ठाकुर, बृजेश सिंह, अमित मिश्रा, तरुण, आदित्य मिश्र, मुकेश, अंकुर पांडेय, मोहित कश्यप, हिमांशु गुप्ता, मन्नी, कृष्णा सिंह व गजेंद्र प्रताप सिंह की अहम भूमिका रही।

बलिदान दिवस पर याद किए गए चंद्रशेखर आज़ाद

मठ-मंदिर परिसर मे चंद्रशेखर आज़ाद पुण्यतिथि के उपलक्ष पर पुष्पांजलि व दीपांजलि का आयोजन किया गया। महंत देव्यागिरि ने चंद्रशेखर आज़ाद के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की इस अवसर पर एफम रेनबो के आर.जे. अनवारुल हसन मौजूद रहे। अनवारुल हसन ने चंदशेखर आज़ाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की आज़ाद बचपन में महात्मा गांधी से प्रभावित थे।

मां जगरानी से काशी में संस्कृत पढ़ने की आज्ञा लेकर घर से निकले। दिसंबर 1921 गांधी जी के असहयोग आंदोलन का आरम्भिक दौर था, उस समय मात्र चौदह वर्ष की आयु में बालक चंद्रशेखर ने इस आंदोलन में भाग लिया। चंद्रशेखर गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित किया गया। चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आज़ाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर ‘जेलखाना’ बताया। उन्हें अल्पायु के कारण कारागार का दंड न देकर 15 कोड़ों की सजा हुई। हर कोड़े की मार पर, ‘वन्दे मातरम्‌’ और ‘महात्मा गाँधी की जय’ का उच्च उद्घोष करने वाले बालक चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी को इस घटना के पश्चात् सार्वजनिक रूप से चंद्रशेखर ‘आज़ाद’ कहा जाने लगा।

हाइलाइट-

-21 बच्चों को सुवर्ण औषधि पीला मनाया गया सुवर्णप्राशन संस्कार।
-केसरिया शिवलिंग श्रृंगार के साथ की गई विशेष प्रदोष व नरसिम्हा द्वादशी महाआरती।
-पुष्पांजलि व दीपांजलि के साथ पुण्यतिथि पर याद किए गए चंद्रशेखर आज़ाद, एफम रेनबो के आर.जे. अनवारुल हसन ने अपने अंदाज़ मे जीवन पर डाला प्रकाश।

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Web Title : Phagotsav 2018: Eco-Friendly Holika pushpanjali and Deepanjali
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