उत्तर प्रदेश के थानों में अब सुरक्षा और विधिक सहायता के साथ ही लोगों को जल्द प्राथमिक उपचार भी मिलेगा। शासन की तरफ से पुलिस मुख्यालय को इस आशय का प्रस्ताव भेजकर डीजीपी से ब्यौरा मांगा गया है। व्यवस्था के लागू होते ही हादसे और मारपीट की घटनाओं में घायल लोगों का थाने में ही इलाज कर उन्हें शुरुआती मदद दिलाई जा सकेगी। ये बातें विश्व फार्मासिस्ट दिवस पर है कारागार एवं लोक प्रबंधन मंत्री जय कुमार सिंह जैकी ने कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]फार्मासिस्टों को मिलेंगे नौकरी के अवसर[/penci_blockquote]
उन्होंने कहा कि यूपी के सभी थानों में फार्मासिस्ट की तैनाती की जाएगी। इसके लिए सभी जिलों से थानों का विवरण मांगा जा रहा है। डीजीपी को भी इस संबंध में पत्र लिखा जा चुका है। उन्होंने कहा कि थानों में फार्मासिस्ट तैनात होने से यहां आने वाले घायलों का प्राथमिक उपचार हो सकेगा। आमतौर पर झगड़ा और हादसों में घायल हुए लोग पहले थाने जाकर प्राथमिकी दर्ज कराते हैं। इस बीच उनका खून बहता रहता है। इसमें कई बार घायलों की हालत ज्यादा बिगड़ जाती है। इस नई व्यवस्था से राहत मिलेगी। साथ ही फार्मासिस्टों को नौकरी के अवसर भी मिलेंगे।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पीड़ितों के घंटों खुले रह जाते हैं जख्म[/penci_blockquote]
अब तक चली आ रही व्यवस्था में मारपीट या विवाद में घायल लोगों को पुलिस पहले थाने लाती है। यहां लिखा पढ़ी के बाद उन्हें उपचार और मेडिकल मुआयना के लिए अस्पताल भेजा जाता है। मारपीट में कई बार लोगों के सिर और नाजुक अंगों में गहरी चोटें आती हैं मगर मौजूदा व्यवस्था में उनके घाव घंटों खुले रह जाते हैं और खून बहता रहता है। ऐसे में पीडि़तों को कई बार देर से इलाज मिलता है। ऐसे थाने जो शहर से दूर हैं। वहां घायलों के साथ ही पुलिस को भी ज्यादा दिक्कत पेश आती है। गंभीर रूप से घायलों का त्वरित उपचार जरूरी है। ऐसे में पुलिस की सरकारी जीप कई बार घायलों को अस्पताल पहुंचाने के काम में ही लगी रह जाती है।
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