उत्तर प्रदेश की पिछली सभी सरकारों ने प्रदेश वासियों के लिए कई निर्माण कार्य करने के साथ कई सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई थीं. जिनसे लोगों का जीवन आसान हो सके. लेकिन लोगों के लिए बनवाई गई इन चीजों की सुध जैसे सरकार ने लेना छोड़ा वैसे ही अपनी आवाज़ सरकार तक न पहुंचा पाने वाली गरीब जनता ने भी ख़राब हुई इन चीजों का इस्तेमाल अलग ढंग से करना शुरू कर दिया. आइये राजधानी लखनऊ की कुछ ऐसी ही अति आधुनिक चीजों से आप का परिचय करते हैं.
सिविल अस्पताल के पास लगा हैंडपंप-
- सिविल अस्पताल के पास सरकार ने लोगों कपानी पिने के लिए हैंडपंप लगवाया था.
- लेकिन अब उपेक्षाओं की मार झेल रहे है हैंडपंप की हालत अब ऐसी है की इसे चलने वाले का पसीना तो निकल सकता है लेकिन से हैंडपंप से पानी नही निकल सकता.
- लिहाज़ा खराब हो चुके इस हैंडपंप का सदुपयोग अब पास का एक गरीब पंचर बनाने वाला करता है.
- बता दें कि इस हैंडपंप का इस्तेमाल पंचर दुकानदार अपने टायरों की सुरक्षा के लिए करता है.
- देखा जाए तो ये गलत है, लेकिन अगर सरकार इसक ध्यान देती तो शायद ये नौबत न आती.
- तब शायद आसपास के लोग भी इस तपती गर्मी में इस हैंडपंप के ठन्डे पानी का इस्तेमाल कर रहे होते.
महानगर लेस उपकेन्द्र के बाहर बना साईकिल ट्रैक-
- पूर्व की सपा सरकार में लखनऊ में साईकिल ट्रैक का निर्माण किया गया था.
- जिसके उद्देश्य ये था की लोग ज्यादा से ज्यादा साईकिल का इस्तेमाल करें.
- जिससे न केवल इंधन की बचत हो बल्कि इससे लोगों का स्वास्थ्य भी बना रहे.
- लेकिन महानगर में लेसा उपकेन्द्र के पास बने साईकिल ट्रैक पर लेस का ही कब्ज़ा है.
- ये साईकिल ट्रैक अब ख़राब ट्रांसफार्मर रखने के काम आ रहा है.
- लेकिन लेसा वालों को इसकी कोई फ़िक्र नही के लोग कहाँ से निकलेंगे.
- लेसा को कुछ कहना तो किसी ने सही नहीं समझा लेकिन इस जगह इस इस्तेमाल अब दूसरी तरह शुरू हो गया.
- बता दें की इस जगह पर लोग अब बाइक पार्किंग करते हैं.
लोहिय पथ डिवाइडर पर बना गरीब का अस्थाई अति आधुनिक घर-
- तस्वीर में दिख रहा ये मिनी आधुनिक घर दरसल लोहिया पथ पर बने डिवाइडर पर बना हुआ है.
- इस घर को बनाने में गरीब ने अपनी पूरी इंजीनियरिंग लगा दी.
- इस घर में न सिर्फ खाना बनाने का चूल्हा है बल्कि बारिश को रोकने के लिए तैयार की गई छत भी है.
- यही नही इस घर में ज़मीन पर और उसके उपर भी सो सकते हैं.
- साथ ही जिस पेड़ पर ये घर है उस पर बीके के शीशे भी लगाये गए हैं.
- जिससे लेटे लेटे ही अपना साथ ही आने जाने वालों का भी दर्शन बड़े आराम से किया जा सकता है.
- हालांकि पॉश इलाके में बनाया गया ये घर एक दिन में नही बना होगा.
- लेकिन इसे देखते हुए ये ज़रूर कहा जा सकता है की अगर सरकार ने इन गरीबों को किसी बस्ती या आवास में स्थान दिया होता.
- तो आज ये गरीबों गुस्ताखी करते हुए से ऐसे घरों में न रहते.