पूरे देश में मुस्लिम समाज द्वारा शब-ए-बारात का त्यौहार मनाया गया। इस त्यौहार के लिए कब्रिस्तान कमेटियों ने कब्रिस्तान, दरगाहों, मस्जिद के आसपास की जगह को खूब लाइटों से सजाया। ऐसा कहा जाता है कि शब-ए-बारात छुटकारे की रात होती है। इस्लाम मजहब में इस रात को इबादत की रात कहा जाता है। इस रात को लोग अपने गुनाहों की माफी के लिए दिन में रोजा रखकर रात में कब्रिस्तान पर जाकर कब्रों पर जाकर अपने पूर्वजों को याद करके रोते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
क्यों मनाई जाती है शब-ए-बारात?
- शब-ए-बारात को छुटकारे की रात कहा जाता है।
- मुस्लिम धर्मगुरुओं के अनुसार, मुस्लिम कैलेंडर के हिसाब से शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बारात का पर्व मनाया जाता है।
- यह रमजान से 15 दिन पहले मनाया जाता है।
- बता दें कि 28 मई को रमजान की पहली तारीख यानि पहला रोजा है।
- आमतौर पर सूजी का हलवा, चने की दाल का हलवा या कुछ मीठा भी बांटा जाता है।
- इस दिन उन सभी लोगों के लिए दुआ की जाती है जो दुनिया से जा चुके हैं और उनके नाम का खाना गरीबों को खिलाया जाता है।
- इस दिन पूरे साल का हिसाब होता है और अगले साल के काम तय किए जाते हैं यानि कौन पैदा होगा, कौन मरेगा, किसे कितनी रोजी मिलेगी।
- इसी के चलते अपने गुनाहों की माफी मांग कर आगे की जिंदगी अच्छी गुजारने का मौका दिया जाता है।
- शब-ए-बारात को शाम होते ही अल्लाह की रहमतें नाजिल होती है।
- अल्लाह ताआला इरशाद फरमाता है कि कोई मगफिरत तलबगार है जिसे बख्श दूं, कोई रिज्क का तलबगार है जिसको रिज्क दूं, है कोई मुसीबत में जिसे मुसीबत से निजात दूं।
- शब-ए- बरात के मौके पर मुस्लिम इलाकों में शानदार सजावट होती है और जल्से का एहतेमाम किया जाता है।
- रात में मुस्लिम इलाकों में शब-ए-बरात की भरपूर रौनक रहती है।
- शब-ए-बरात की रात शहर में कई स्थानों पर सारी रात इबादत और तिलावत का दौर चलता है।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.