पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ में सिख युवकों को मौत के घाट उतारने के दोषी ठहराए गए 47 पुलिसकर्मियों को सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पुलिसकर्मियों और उनके परिवारीजनों की कोर्ट रूम में नारेबाजी और तोड़फोड़ को सीबीआई के न्यायाधीश ने कोर्ट की अवमानना माना है।
विशेष जज ने कहा कि इसी दौरान क्षेत्राधिकारी राधेश्याम राय, प्रभारी निरीक्षक कैसरबाग महंथ यादव, क्षेत्राधिकारी अभय नाथ त्रिपाठी, निरीक्षक जसकरन सिंह, अशोक कुमार मिश्रा, दरोगा सुधाकर पांडेय, राम नरायन यादव, रमेश चंद्र, राजेश सिंह तथा चन्द्रमोहन वहां मौजूद थे। इन लोगों ने अराजकता फैलाने वालों को नियंत्रित करने की बजाये उन्हें उकसाया। यही नहीं ये पुलिस वाले दोषियों को सिगरेट व पान मसाला उपलब्ध कराते रहे और दोषी कोर्ट रूम में सिगरेट पीते रहे।
आरोपियों ने कोर्ट रूम की कुर्सियों पर कब्जा कर लिया। सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक एससी जायसवाल को धक्का देकर उनकी कुर्सी छीन ली। इतना ही नहीं सीबीआई के अधिकारियों को गोली मारने की धमकी दी। दोषियों ने न्यायपालिका व सीबीआई मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।
कोर्ट के पेशकार अनिल कुमार श्रीवास्तव ने रोकने की कोशिश की तो पेशकार पर हमला बोल दिया। उन्होनें किसी तरह भागकर जज के चैंबर में पनाह ली।
कोर्ट परिसर की स्थिति लगातार बिगड़ने पर विशेष जज ने जिला जज को फोन करके बताया कि उनका कोर्ट मुहर्रिर राधेमोहन पांडेय दोषसिद्ध अपराधियों की सजा का वारंट नहीं ले रहा है और व्यवस्था खराब होती जा रही है। इस पर कोर्ट में तैनात पीएसी के जवानों ने विशेष जज के चेंबर के सामने सुरक्षा व्यवस्था संभाल ली।
इस बीच स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लखनऊ के कुछ वरिष्ठ एडीजे व सीजेएम विशेष जज के चेंबर में गए तथा क्षेत्राधिकारी राधेश्याम राय को व्यवस्था नियंत्रित करने व सभी सजायाफ्ता को जेल भेजने के निर्देश दिए।