हत्या के मामले में है सलाखों के पीछे इकलौती वारिस ; आखिरकार कौन दे बूढ़ी मां को मुखाग्नि, चार दिनों से मां का पार्थिव शव घर के दरवाजे पर है रखा
सुलतानपुर ।
दरअसल चार दिनों से सत्तर वर्षीय इसराजी का पार्थिव शव घर के दरवाजे पर रखा हुआ है। शीतलहर के बावजूद शव को रोकने के लिए बर्फ भी लगाई गई है। बावजूद इसके अब शव से दुर्गन्ध आने लगी है। रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोगों का तांता भी लगा है। लेकिन शव का अंतिम संस्कार नही हो रहा। वजह ह कि सनातन धर्म के अनुसार पुत्र ही चिता को मुखाग्नि देता है , लेकिन इस बूढ़ी मां के इकलौते बेटे राजेश को पुलिस ने दो माह पूर्व हत्या के एक मामले में जेल भेज दिया है, परिजनो की मांग है कि प्रशासन उसे पैरोल दे ताकि वो मां को मुखाग्नि दे सके। लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते जिला प्रशासन पैरोल देने में असमर्थ है तो वहीं दूसरी तरफ परिजनों ने सुलतानपुर जिला एवं सत्र न्यायालय में पैरोल स्वीकृत को लेकर फरियाद लगाई है , जिसपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने ट्वीट कर कहा है कि सक्षम न्यायालय से मानवीय आधार पर पैरोल के लिए अनुरोध किया गया है ।
अमेठी के मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव का मामला
दरअसल पूरा मामला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी के मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव का है। मृतका की पुत्री सुधा तिवारी का कहना है कि मेरा भाई जो दोषी नही है उसे दोषी बनाकर जेल भेज दिया गया है। मेरी माता जी का चार दिन पूर्व स्वर्गवास हो गया है । लेकिन भाई के जेल में होने के चलते कोई अंतिम संस्कार करने के लिए नही है, उनका एक ही बेटा है। हम लोग यही चाहते हैं उनको मुखाग्नि उनका खुद का बेटा दे। लेकिन प्रशासन नही मान रहा है हम लोग बहुत प्रार्थना बहुत विनती किए हैं। लेकिन कोई सुन नही रहा है, यहां तक की डीएम साहब भी नही सुन रहे हैं। तीन दिन से परेशान हैं आज चौथा दिन है मेरी माता जी का पार्थिव शरीर रखा है। डीएम और सीएम साहब से निवेदन है कि हमारे भाई को दो घंटे- चार घंटे के लिए छोड़ दें मुखाग्नि करके चाहे तो मेरे भाई को फिर ले जा सकते हैं।
मौसेरा भाई बोला हिंदू रीति रिवाज से बेटे को ही है मां के अंतिम संस्कार का अधिकार
वहीं मृतक के बहन के पुत्र राम कृष्ण मिश्रा ने बताया कि मृतका मेरी मौसी हैं बचपन से यही रहा हूं उन्होंने ही हमें पाल पोस के बड़ा किया है। मामला ये है के बंदोईया में जो प्रधान पति की हत्या हुई थी उसमें हमारे बड़े भाई को अभियुक्त बनाया गया है वो मौसी के इकलौती संतान हैं और अभी जेल में है। अभी उसमें जांच की प्रक्रिया चल रही है। मौसी की मौत को सत्तर घंटे से अधिक हो गया है हम प्रशासन ने तब से अनुरोध कर रहे हैं कि वो अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लेकर चले आएं और मुखाग्नि दिलवा कर लेकर चले जाएं। लेकिन प्रशासन का कोई सहयोग नही मिल रहा है प्रशासन उदासीन बैठा हुआ है। हमने डीएम साहब से परसों ही मुलाकात किया था उन्होंने पहली बार कहा था कि 72 घंटे का हमको पावर है हम 72 घंटे का पैरोल दे दे रहे हैं वो अंतिम संस्कार करें और वापस जेल चले जाएंगे। लेकिन रात में डीएम साहब ने कुछ कानूनों का हवाला देकर मनाकर दिया। उन्होंने सजायाफ्ता कैदियों का हवाला देकर मना किया। तब से कल भी हमने प्रयास किया, पांच बार उनके स्टेनो से बात हुई। लेकिन बाद में उन्होंने हमारा फोन आटो रिजेक्ट पर लगा दिया। फोन उठकर के अपने आप कट जा रहा है। आज डीएम साहब से कोई बात नही हो पाई। अब हम इंतेजार कर रहे हैं इसके अलावा कोई विकल्प नही है, क्योंकि हिंदू रीति रिवाज से बेटे को ही अधिकार है मां के अंतिम संस्कार करने का। हम उम्मीद कर रहे हैं प्रशासन हमारी सुनेगा और इनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराएगा।
कानूनविद बोले विचाराधीन कैदी को अदालत से है पैरोल देने का अधिकार
बता दें कि 29-30 अक्टूबर की रात मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव में दलित महिला ग्राम प्रधान के पति अर्जुन की जलाकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में 30 अक्टूबर को ही राजेश मिश्रा को अरेस्ट कर जेल भेजा था। इस मामले पर अधिवक्ता दीवानी न्यायालय सुलतानपुर श्याम दीक्षित ने बताया कि डीएम को किसी अभियुक्त को पैरोल देने का अधिकार नही है। उन्होंने बताया कि अगर अभियुक्त सजायाफ्ता मुल्जिम है तो वो शासन का मुल्जिम है। शासन को रिपोर्ट भेजकर डीएम पैरोल दे सकता है। लेकिन अगर अभियुक्त सजायाफ्ता नहीं है तो जिस अदालत ने उसे जेल भेजा है वही अदालत उसे पैरोल दे सकती है ।