प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश को स्वच्छ बनाने के प्रयास में जुटे हों लेकिन पीएम के स्वच्छ भारत मिशन ड्रीम प्रोजेक्ट को खुद उनकी ही पार्टी के नगर पालिका अध्यक्ष और जिला प्रशासन के अधिकारी ध्वस्त करने में जुटे हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिला का है। यहां सफाई का ढिंढोरा पीटने वाले नगर पालिका के अध्यक्ष के घनी आबादी वाले शहर कोतवाली के बभनैया टोला क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने की भट्ठियां धधक रही हैं। जिला प्रशासन भी उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के आदेशों को ठेंगे पर रखकर आंखे बंद करके बैठा है। लाखों की घनी आबादी वाले इलाके में धुएं के जरिये हवा में मीठा जहर घोला जा रहा है। इस जहरीले धुएं की चपेट में आने से क्षेत्र के लोगों में हार्ट अटैक और टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन जिम्मेदार कमीशनखोरी के चक्कर में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]हजारों प्रार्थनपत्र और विरोध भी नहीं आ रहा काम[/penci_blockquote]
स्थानीय नागरिकों की माने तो जहरीले धुएं से सांस संबंधी बीमारियां, दिल का दौरा, टीबी जैसी घातक बीमारियां फैल रही हैं। पूरा इलाका बीमारियों का अड्डा बन चुका है। बीमारी के चलते लगातार हो रही हार्ट अटैक से मौतें इसका उदाहरण हैं। प्रशासन के नाक के नीचे चल रही मौत की भट्ठियां कब बन्द होंगी ये बड़ा सवाल है।पीड़ित नागरिकों ने बताया कि उन्होंने प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रशासन को हजारों प्रार्थना पत्र दिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों ने सैकड़ो बार विरोध किया लेकिन अधिकारियों के लिए सब बेअसर रहा। प्रदूषण विभाग की सह पर अवैध रूप से बीच शहर में चल रही रासायनिक भट्ठियों के धुएं की जद में घनी आबादी के हजारों परिवार हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वोट बैंक की राजनीति के कारण धधक रहीं रासायनिक भट्ठियां[/penci_blockquote]
बता दें कि मिर्जापुर में उच्च न्यायालय के आदेश को किनारे कर महीने की वसूली पर प्रदूषण विभाग मौत की भट्ठियां संचालित करवा रहा है। क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड सोनभद्र 6 महीने में आवासीय क्षेत्र से भठ्ठी हटाने की नोटिस भेज कर चुप्पी साधे बैठा है। एक साल से ऊपर बीत जाने के बाद भी न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रदूषण फैलाने वाली भट्ठियां जिला प्रशासन नहीं हटवा पाया। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जनपद में जिलाधिकारी ने नगर मजिस्ट्रेट सहित नगर पालिका के अधिकारियो की 5 सदस्यीय टीम बना कर भठ्ठियो को बंद कराने काआदेश दिया था। वोट बैंक की राजनीति के चलते प्रदूषण कारी भट्ठियां नहीं बन्द हो पाई। अब देखने वाली बात ये होगी क्या प्रशासन ये रासायनिक भट्ठियां बंद करवा पायेगा या नहीं ये देखने वाली बात होगी।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]देश के टॉप-10 वायु प्रदूषित शहरों में यूपी के 8 शहर[/penci_blockquote]
बता दें कि राजधानी दिल्ली और यूपी के कई शहरों का पूरे देश में सबसे बुरा हाल कानपुर का रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक रविवार को यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 420 पहुंच गया। सिर्फ कानपुर ही नहीं, प्रदेश के सात और शहर वायु प्रदूषण के लिहाज से टॉप टेन में रहे। लखनऊ (323) की स्थिति भी अच्छी नहीं दिखी। हवा में कुछ सुधार होने के बावजूद यह देश में 12वें स्थान पर रहा। मौसम विज्ञानियों ने चेताया है कि अभी तो शुरुआत है, प्रदूषण का सबसे खराब रूप दिखना बाकी है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के एनवॉरन्मेंटल इफर्मेशन सिस्टम (एनविस) सेंटर की को-कोऑर्डिनेटर डॉ. बबिता कुमारी का कहना है कि वायु प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण इंडस्ट्री से निकलने वाला धुआं है। लखनऊ यूनिवर्सिटी के जियॉलजी डिपार्टमेंट के प्रफेसर और मौसम विशेषज्ञ डॉ. ध्रुव सेन सिंह के मुताबिक जैसे-जैसे तापमान गिरेगा और हवा की गति में कमी आएगी, शहरों की एयर क्वॉलिटी में और गिरावट देखने को मिलेगी। हरियाली की जगह ले रहे कंक्रीट के जंगल तो अपना असर दिखाएंगे ही। पेड़ों की पत्तियां प्रदूषण के साथ-साथ धूल के कणों को भी सोख लेती हैं। लेकिन जब पेड़ ही नहीं होंगे तो यह काम कौन करेगा। इसके अलावा किसान अब भी पराली जला रहे हैं। उससे निकलने वाला धुंआ भी प्रदूषण और बढ़ाएगा।
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