गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया 31 साल से खुद को अगवा(Kidnapped) बताने वाला मिस्ट्री बॉय
गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे शातिर व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 31 वर्षों से खुद को अपहृत (Kidnapped) बच्चा बताकर अलग-अलग परिवारों में “बेटा” या “भाई” बनकर रह रहा था। पुलिस की जांच में सामने आया कि यह व्यक्ति बचपन से ही चोरी करता था, जिससे परेशान होकर उसके परिवार ने उसे घर से बेदखल कर दिया था। इसके बाद, उसने अपनी पहचान बदलकर अलग-अलग परिवारों में शरण ली।
#गाजियाबाद :पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो खुद को 31 साल पहले अपहृत बच्चा बताकर अलग-अलग परिवारों में बेटा बनकर घुसपैठ करता था।
जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी बचपन से चोरी करता था, जिससे परेशान होकर उसके असली परिवार ने उसे बेदखल कर दिया था। इसके बाद उसने अपनी पहचान… pic.twitter.com/NbLqNGzHZE— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) December 6, 2024
आरोपी की चालाकी
आरोपी इंद्रराज, जो खुद को राजू या भीम के नाम से भी पहचानता था, किसी भी परिवार में घुसने के बाद जल्द ही उनकी संपत्ति पर ध्यान केंद्रित करता था। पुलिस को शक है कि उसका मुख्य मकसद इन परिवारों की संपत्तियों पर कब्जा करना था। वह परिवार के बच्चों को दूर करने और खुद को परिवार का महत्वपूर्ण सदस्य साबित करने की कोशिश करता था।
गिरफ्तारी का मामला
गाजियाबाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि आरोपी अलग-अलग थानों में जाकर खुद को पीड़ित बताता था। खोड़ा थाने में उसने पुलिस की “खातिरदारी” तक करवा ली, जहां उसे जूते, कपड़े और भोजन तक मुहैया कराया गया। इसके बाद सोशल मीडिया और मीडिया में खबरें फैलने पर कोई न कोई परिवार उसे अपना बताकर ले जाता था। आरोपी उन परिवारों में से ऐसा परिवार चुनता था, जहां उसे अधिक लाभ मिलने की संभावना होती।
कई ठिकानों पर रहा
पुलिस अब तक आरोपी के पांच ठिकानों का पता लगा चुकी है। इनमें से एक देहरादून है, जहां वह मोनू शर्मा बनकर एक परिवार के साथ रहा। वहीं साहिबाबाद में उसने खुद को भीम उर्फ राजू बताया और एक परिवार में रहना शुरू कर दिया। साहिबाबाद के परिवार को उसकी गतिविधियों पर शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने पुलिस से शिकायत की।
डीएनए टेस्ट से होगा खुलासा
पुलिस ने आरोपी और उसके तथाकथित पिता का डीएनए टेस्ट भी करवाने के लिए सैंपल भेजा है। पुलिस को शक है कि उसने चार या उससे अधिक परिवारों को भी ठगा हो सकता है।
आरोपी की सफाई
इंद्रराज ने पुलिस को बताया कि उसकी मां की मृत्यु के बाद घर में काफी परेशानियां थीं, जिसके चलते वह दूसरों के घर में रोटी के लिए रहने लगा। हालांकि, उसकी गतिविधियों से स्पष्ट है कि उसकी मंशा केवल शरण लेना नहीं, बल्कि संपत्ति हड़पने की थी।
परिवारों को समझने की कला
आरोपी इतना शातिर था कि परिवार के सदस्यों की बातचीत सुनकर यह समझ लेता था कि परिवार में कितने सदस्य हैं और उनकी संपत्ति की स्थिति क्या है। इसके बाद वह खुद को परिवार का हिस्सा साबित करने में लग जाता था।
पुलिस की सतर्कता
गाजियाबाद पुलिस आरोपी की पूरी आपराधिक पृष्ठभूमि खंगाल रही है। इस केस ने न केवल आरोपी की चालाकी को उजागर किया है, बल्कि पुलिस प्रशासन को भी सतर्क कर दिया है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी पहचान बदलकर लोगों को ठगता रहा और संपत्ति हड़पने की कोशिश करता रहा।
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