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शाश्वत सतर्कता के सर्वोच्च बलिदानियों को नमन- डीजीपी

Police Commemoration Day 2018 Remembering Constable Ankit Tomar Daily Sacrifices for an Eternal Vigil

Police Commemoration Day 2018 Remembering Constable Ankit Tomar Daily Sacrifices for an Eternal Vigil

इस महीने कांस्टेबल अंकित तोमर 28 बरस के हो जाते। शायद अक्टूबर की उदार घूप में त्योहारों का आनन्द भी लेते। लेकिन जनवरी 2 और 3 की उस अंतरिम सर्द रात में उसे इतना आगे के बारे में सोचने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस वक्त उनका सारा ध्यान अपनी बन्दूक की नाल पर केन्द्रित था। जैसे ही एक वांटेड अपराधी ने घात लगाकर अकारण ही शामली पुलिस के एक दल पर गोलियां चलाई, अंकित ने अपनी विशिष्ट बहादुरी के अनुरूप उसका जवाब दिया, जबाबी फायरिंग करते हुए अंकित वहां घुस गए जहां वो अपराधी छुपा था। अफसोस, एक गोली उनके सर में लगी। अपराधी तो मारा गया लेकिन इलाज के दौरान अंकित की मृत्यु हो गई। संभवतः उनके बलिदान के लिए यह रूपक उपयुक्त होगा कि पुष्पगुच्छ की पंखुरियों को किसी विशेष कार्य के लिए असमय ही तोड़ लिया गया हो।

प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1959 में चीन के विरूद्ध युद्ध में दस पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। ये दिन उन्हीं की याद में मनाया जाता है। करम सिंह, डी.सी.आई.ओ., के नेतृत्व में 20 पुलिसकर्मियों की एक टोली दल को ढूॅढने निकला, ये टोही दल एक दिन पहले निकला था लेकिन लौट कर नहीं आया। पूर्वोत्तर लद्दाख में ‘हाॅट स्प्रिंग्स’ नामक स्थान पर चीनी सैनिकों ने खोजी दस्ते पर गोलियां और ग्रेनेड से हमला कर दिया, जिससे हमारे दस बहादुर वीरगति को प्राप्त हुए, सात घायल हो गए और अन्य सुरक्षित निकल आये। चीनियों ने मृतकों के शव तीन हफ्ते बाद लौटाए और तब पूरे पुलिस सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

1960 से इस दिन लद्दाख के इन बहादुर शहीदों और वर्ष के दौरान शहीद हुए अन्य पुलिस कर्मियों की स्मृति में मनाया जाता है। अन्य पुलिस कर्मियों की तरह उस दो मिनट के संक्षिप्त या अत्यधिक लम्बे मौन के समय अधिकतर पुलिसकर्मियों की तरह मेरे विचार भी पुलिस द्वारा उस निरंतर चैकसी की ओर जाते हैं, जिसे करना हम सब के लिए आवश्यक है। पारंरिक रूप से ये मौन बिगुल पर बजाई गई दो उदास धुनों – ‘द लास्ट पोस्ट’ और ‘द राउस’ के बीच आता है। इसमें एक धुन वीर सैनिकों को बताती है कि उस दिन का युद्ध समाप्त हो गया और दूसरी शहीदों और जीवित सैनिकों को जागृत करने का प्रतीक है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने 67 कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों को खोया।

कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मी जैसे अग्निशामक कमलाकांत त्रिपाठी – जिन्होंने अपने सेवा काल में दर्जनों आग बुझायी थी, परन्तु अप्रैल माह में जनपद खीरी के मैगलगंज में पास के गन्ने और गेहूं के खेतों को आग से बचाने का वीर प्रयास करते हुए इनने ऊपर एक पेड़ की जलती हुई शाखा गिरने से इनकी असमय मृत्यु हो गयी। यूॅ तो समाज का हर वर्ग राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान करता है, किन्तु स्मृति दिवस के दिन हम आपसे कहेंगे कि पुलिस के उन महिलाओं और पुरूषों का स्मरण करें, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश और उसके नागरिकों के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और हम ये भी आग्रह करेंगे कि आप उनकोे भी याद कीजिये, जो शरीर पर बिना किसी घाव के मृत्यु को प्राप्त हुए।

कई पुलिसकर्मियों की मृत्यु काम में बढ़ते तनाव के कारण बिगड़ी बीमारियों की वजह से हुई। कई पुलिसकर्मियों को अलग रहना पड़ता है और शायद सदैव ही त्योहारों पर ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, वे अपने परिवार और बच्चों के साथ खुशियों के उक्त विशेष पलों को नहीं बाॅंट पाते हैं, जो मन और मस्तिष्क के लिए दवा का काम करते हैं। ड्यूटी का उत्तरदायित्व निभाते हुए सोने और खाने का समय भी दिनचर्या में निश्चित करना मुश्किल हो जाता है। इन कारणों से होने वाले तनाव की वजय से उनकी छोटी बीमारियाॅं भी जानलेवा हो जाती हैं। यद्यपि चुनौतियाॅं विशाल है परन्तु भर्ती, प्रशिक्षण, समय से प्रोन्नति, अवकाश प्रबंधन, ड्यूटी की बेहतर प्रक्रियाओं तथा पुलिसिंग में आधुनिक तकनीकों के उपयोग तथा निरन्तर वार्ता जैसे प्रयासों से स्थिति को बेहतर बनाया जा रहा है।

आधुनिक समाज में संघर्ष का चरित्र तेजी से बदल रहा है, इसमें बढ़े हुए संचार माध्यमों का योदनान है। विचार प्रतिक्रिया बन जाते हैं और प्रतिक्रिया कार्यवाही में उसी गति से बदलते हैं, जिस गति से डाटा संचारित होता है। यह अनिश्चितता और तेजी कानून स्थापित करने में चुनौतियों को बढ़ा देती है, इसके कारण आने वाली चुनौतियों की पूर्व सूचना मिलने की अवधि धीरे-धीरे कम होती है, जा रही है। हम इस बात का एहसास है कि जिन्होंने हमारे लिए अपने प्राण त्यागे उन्हें हम कुछ दे नहीं सकते, लेकिन हम उन्हें याद जरूर कर सकते हैं और उनको याद करने का सबसे अच्छा तरीका होगा कि हम सब देश के कानून का पालन करने की चेष्टा करें। हमे पूरा विश्वास है कि हम अंकित और अन्य वीरों को निराश नहीं करेंगे। (ओपी सिंह पुलिस महानिदेशक उ.प्र.)

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