एक तरफ उत्तर प्रदेश की राजधानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर डीजीपी से लेकर एसएसपी सहित तमाम पुलिस अधिकारी कमान संभाले हुए थे। पुलिस हर चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था कायम करने में जुटी थी। वहीं गाजीपुर थाने में तैनात एक सिपाही ने पुलिस महकमें की लुटिया डुबो डाली। दरअसल यहां एक डॉक्टर की नौकरी के पिता को पुलिस उठा ले गई थी, डॉक्टर जब थाने जानकारी लेने पहुंचा तो पुलिसकर्मियों ने अभद्रता की। पीड़ित का आरोप है कि विरोध करने पर तीन पुलिसकर्मियों ने उसे कमरे में बंद करके बेंत और पाइप से पीटा। थर्ड डिग्री देने के बाद डॉक्टर को संदिग्ध लोगों के बैरक में बंद कर दिया। पीड़ित के परिजनों के पहुँचने के बाद काफी हंगामा हुआ तो पुलिस ने डॉक्टर को छोड़ दिया। थाना स्तर पर कोई कार्रवाई ना होने पर पीड़ित एसएसपी कलानिधि नैथानी से मिला। एसएसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी सिपाही को लाइन हाजिर कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस उपमहानिरीक्षक को दिए गए शिकायती पत्र में फ्लैट नंबर 201 यूपीआरएनएन (UPRNN) कॉलोनी सेक्टर-19 इंदिरा नगर लखनऊ निवासी डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह पुत्र विनोद कुमार सिंह ने बताया कि वह वर्तमान समय में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इमरजेंसी मेडिसिन में चिकित्सक के पद पर कार्यरत है। शुक्रवार की रात करीब 12:15 बजे मेरे यहां कार्यरत नौकरानी ने मुझे जानकारी दी कि उसके पिता को कुछ पुलिसकर्मी गाजीपुर थाने उठाकर ले गए हैं, मेरी मदद करें।
इसके बाद पीड़ित गाजीपुर थाने पर गया और मौके पर मौजूद आरक्षी अमित कुमार व अन्य पुलिसकर्मियों से अपनी नौकरानी के पिता के बारे में पूछा। आरोप है कि उन्होंने मेरा परिचय जानने के बाद भी भद्दी-भद्दी गालियां देना शुरु कर दिया। आरोप है कि 3 पुलिसकर्मी घसीटते हुए थाना परिसर में बने एक कमरे के भीतर ले गए और मुझे बेंत और पाइप से बेरहमी से पीटा। आरोप है कि सिपाही बंद करने की लगातार धमकी दे रहे थे।
आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने हवालात में पहले से बंद कुछ संदिग्ध लोगों के साथ मुझे बंद कर दिया। आरोप ये ही है कि सिपाही कुछ छपे हुए फार्म पर हस्ताक्षर बनाने के लिए दबाव बनाते रहे। थोड़ी देर के बाद पीड़ित का परिवार आ गया। इसके बाद बड़ी मुश्किल से पुलिसकर्मियों ने उसे छोड़ा। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने पीड़ित की जेब में रखे करीब 8000 रुपये जबरदस्ती छीन लिए।
पीड़ित ने आलाधिकारियों से गुहार लगाई तो मामला एसएसपी कलानिधि नैथानी के संज्ञान में आया। एसएसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरक्षी अमित कुमार को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया। एसएसपी ने आरोपी सिपाही के खिलाफ विभागीय जांच करने के भी निर्देश दिए हैं। इस घटना से शहर के नागरिकों की मान मर्यादा पुलिस ने खो दी है। लोगों की सुरक्षा करने का दावा करने वाली लखनऊ पुलिस अपराधियों को पकड़ने में तो नाकाम है लेकिन नागरिकों की धुनाई करने पर आमदा हो गई है।