राजनीतिक दल कितना भी महिला सशक्तिकरण की बात करते रहे हो, लेकिन उनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। महिलाओं को मौका देने की बात करने वाले राजनीतिक दल उन्हें टिकट देने के नाम पर दूरी बनाएं हुए है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां ने जो उम्मीदवार घोषित किये है, उसमें महिलाओं उम्मीदवारों की हिस्सेदारी बेहद चौकाने वाली है।
महिला उम्मीदवारों से पीछे हट रहें दल
- यूपी चुनावी दंगल में भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस चार बड़ी पार्टियां सबसे बड़ी दावेदार हैं।
- इसमें से बसपा, सपा, भाजपा ने अपने ज्यादातर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये है।
- लेकिन इसमें इन दलों ने 10 फीसदी महिलाओं को भी मैदान में नहीं उतारा है।
- बता दें कि चारों पार्टियों के कुल मिलाकर 1137 उम्मीदवारों के नाम घोषित किये है।
- इनमें महज 93 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया गया।
क्या है सच
- बीजेपी अब तक 304 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
- इसमें महज 35 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया है।
- जो कि बीजेपी के कुल उम्मीदवारों 9 फीसद ही है।
- उसमें भी जिन्हें जगह दी गई है, 12 महिला उम्मीदवारों को सुरक्षित सीटों पर ही उतारा है।
- वहीं बसपा ने 401 प्रत्याशियों में महज 20 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है।
- इसमें भी 11 सीटें सुरक्षित हैं।
- बसपा का ने सबसे कम महिला प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।
- वहीं कांग्रेस ने अपनी लिस्ट पर महिला उम्मीदवारों को खास जगह नहीं है।
बचाव में ऊतरी पार्टियां
- बीजेपी की प्रवक्ता डॉ. दीप्ति भारद्वाज इसके बचाव में कहा कि संगठन में महिलाओं की संख्या बहुत है।
- चुनाव जीत-हार को परखने के बाद पार्टी अपना उम्मीदवारी तय करती है।
- वहीं सपा की प्रदेश प्रवक्ता जूही सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव में 20 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया था।