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पॉलिथीन बैन से 100 करोड़ की इंडस्‍ट्री पर पड़ेगा प्रभाव

Polythene Ban government will stop imposing 100 million industry

Polythene Ban government will stop imposing 100 million industry

आज से प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी के निर्देशानुसार पॉलीथिन पर रोक लगा दी गयी हैं. प्लास्टिक पर नियन्त्रण इससे पहले भी लगा लेकिन विफल हो गया. पर इस बार सरकार प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए चरण दर चरण योजना बना कर कार्यरत है. वहीं यूपी में पॉलीथिन का कारोबार इतना बड़े स्तर का है कि इससे आसानी से नियंत्रित करना काफी मुश्किल है. लेकिन सरकार उपयोगकर्ता और उत्पादक दोनों स्तर पर प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए कार्य कर रही है. 

आज से पॉलीथिन पर प्रतिबंध:

वैसे तो देश में इससे पहले भी कई राज्यों में पॉलीथिन पर प्रतिबंध लग चुका है. लेकिन यूपी 19वां राज्य है जो पॉलीथिन पर प्रतिबंध को लेकर हरकत में आया है. इसके लिए सभी जिलों को पॉलीथिन बैग को पूर्ण रूप से बंद करने को लेकर निर्देश दिए जा चुके हैं.

पॉलीथिन बैन कर पूरे प्रदेश को प्रदुषण मुक्त करने की दिशा में ठोस कदम उथाते हुए प्रशासन ने दंड का भी प्रावधान किया है. इसमें पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों को छह महीने तक की कैद और अधिकतम एक लाख रुपए के जुर्माना भरना पड़ सकता है.

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यहाँ ये भी याद दिलाना जरुरी है कि प्रदेश में इससे पहले भी पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है जो कि विफल साबित हुआ था. लेकिन इस बार कठोरता से पॉलीथिन बैन करने को लेकर सरकार तत्पर है और इसके लिए सरकार ने चरणबध्य तरीके से काम करने का प्लान बनाया हैं. गौरतलब ये भी है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी को यूपी कैबिनेट पहले ही मंजूरी दे चुकी है.

सरकार की पॉलीथिन प्रतिबंध पर चरणबध्य योजना:

प्लास्टिक पर पूरी तरीके से नियन्त्रण पाने के लिए सरकार चरणबध्य तरीके से एक योजना के तहत काम कर रही है. इसके लिए प्रदेश में आज यानी 15 जुलाई से 50 माइक्रॉन तक की पॉलिथीन और उससे बने उत्पाद को बैन किया गया है.

बता दें की इससे पहले साल 2000 में 20 माइक्रॉन से पतली पॉलिथीन पर ही प्रतिबंध था. लेकिन इस बाद 50 माइक्रॉन तक की पॉलिथीन को बैन किया गया है.

-ये योजना करीब एक महीने तक लागू रहेंगी. जिसके बाद प्लास्टिक बैन का दूसरा चरण शुरू किया जायेगा.

-इसके दूसरे चरण में 15 अगस्त यानी एक महीने बाद से प्रदेश में प्लास्टिक और थर्मोकोल से बनी थाली, कप, प्लेट, कटोरी, गिलास के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जायेगा.

-चरणों में प्लास्टिक के हर तरह के उत्पाद, जो कि हमारे पर्यावरण के लिए नुकसान दायक हैं, उन पर रोक लगाई जाएगी.

-वहीं इसके तीसरे चरण में 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती से सभी तरह के नॉन डिस्पोजेबल प्लास्टिक उत्पादों को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.

निर्माताओं के लिए लाइसेंस व्यवस्था:

प्लास्टिक बैन को लेकर केवल चरण दर चरण प्लास्टिक के उत्पादों को प्रतिबंधित करने मंत्र से उनके इस्तेमाल पर रोक लगना कठिन है. जरुरी ये हैं कि इनके निर्माण पर भी प्रतिबंध लगे. इससे जब प्लास्टिक बाजार में होगी ही नहीं तो उपयोग में कैसे आएगी.

सरकार भी इस बात को भली भांति जानती हैं. इसके लिए सरकार पॉलिथीन निर्माताओं पर दबाव बनाएगी. पॉलिथीन निर्माण निर्माताओं के लिए लाइसेंस व्यवस्था शुरू करने की भी योजना बन रही हैं.

पॉलिथीन बैन से बचने का उत्पादकों ने निकाला था तरीका:

बता दें कि इससे पहले अखिलेश सरकार मे साल 2015 में पॉलिथीन बैन हुई थी. जब पॉलिथीन पर बैन लगाया गया था तो उस समय कि सरकार ने प्रदेश भर में अभियान चलाकर बड़ी संख्या में इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद भी किया गया था. लेकिन उस दौरान जब्त की गई पॉलिथीन के निस्तारण की कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गयी और न ही दुकानदारों और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर कार्रवाई की नीति तय की गयी. जिसकी वजह से ये अभियान असफल हो गया.

यूपी में 50 माइक्रोन तक पतली पॉलीथिन प्रतिबंधित, जुर्माना और जेल का भी प्रावधान

2000 से ज्यादा फैक्ट्रियां:

सरकार के इस फैसले के साथ ये जानना भी जरुरी है कि पॉलिथीन का यूपी में बहुत बड़ा व्यवसाय है. यूपी में इसका कारोबार लगभग 100 करोड़ रुपये का है.

प्रदेश के 6 प्रमुख शहरों में प्लास्टिक से बने उत्पादों का धड़ल्ले से उत्पादन होता है. इनमें राजधानी लखनऊ के साथ ही कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा और सहारनपुर शामिल हैं.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक़ अकेले राजधानी लखनऊ में ही करीब 50 टन से अधिक पॉलिथीन या कैरी बैग की डेली खपत है.

राजधानी में करीब 60 और प्रदेश में 2000 से अधिक फैक्ट्रियों में इनका निर्माण हो रहा है. इन शहरों से पूरे प्रदेश में पॉलिथीन की सप्लाई की जा रही है.

यूपी प्लास्टिक प्रोडक्ट एसोसिएशन ने बताया है कि छोटी फैक्ट्रियों में रोज कम से कम 3 क्विंटल बैग बनते हैं. वहीं बड़े प्लांट्स में चार से पांच टन तक रोज उत्पादन है.

चलाया जा रहा अभियान:

पॉलिथीन का इतना बड़ा कारोबार यूपी में फैले होने कि वजह से ही पॉलिथीन पर नियन्त्रण करना सरकार के लिए मुश्किल होता है. इसीलिए  को सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर टीमें गठित की जा रही हैं.

वहीं प्रदेश के सभी नगर निगमों में पॉलिथीन पर नियन्त्रण के लिए अभियान चल रहा है. इसमें प्रदेश के दूसरे विभाग भी शामिल हैं.

इस अभियान की लगातार मॉनीटरिंग भी की जा रही है. इसके तहत डीएम की ओर से अभियान की रिपोर्ट शासन को रोजाना भेजी जाएगी. इसमें छापेमारी के दौरान फोटो, ​वीडियो के साथ जुर्माने का पूरा ब्योरा भी देना होगा.

क्यों जरुरी है प्लास्टिक बैन:

बता दें कि हर साल ढ़ाई लाख टन प्लास्टिक बतौर अवशिष्ट सामने आते हैं. इससे न केवल जल प्रवाह मे परेशानी होती है बल्कि भूमि प्रदूषण भी बढ़ता है, जिससे कृषि भी प्रभावित होती है. प्लास्टिक हजारों साल तक नष्ट नहीं होती. जिसकी वजह से जैवविविधता को नुकसान होता है.

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