स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि सच्चे मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीते है. इसी बात को अपने जीवन का मिशन बनाकर लखनऊ की पूजा विश्वकर्मा पिछले 11 सालों से गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही है. खेल कूद में अपना जीवन बेकार कर रहे बच्चों का जीवन सुधारने के लिए पूजा 12 साल की उम्र से बालमंच के नाम से अभियान चला रही है.

आठवीं तक मुफ़्त हो शिक्षा:

पूजा का कहना है कि आठवीं तक शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूल नाम की कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए. ऐसा होगा तब जाकर लोगों में समानता का अधिकार आएगा. पूजा झुग्गी झोपड़ी में रह रहे बच्चों की ज़िन्दगी को सही राह देने में लगी है.

वह इस काम को 2007 से अंजाम दे रही है. मड़ियांव के झुग्गी-झोपड़ी वाले क्षेत्र में उस समय तक एक भी बच्चा स्कूल नहीं जाता था। पूजा के प्रयास से बच्चों ने न सिर्फ स्कूल जाना शुरू किया बल्कि बाल मंच में भी इस समय करीब 100 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]बालमंच के माध्यम से बच्चों को आत्मनिर्भर बना रही पूजा,11 साल से चला रही अभियान [/penci_blockquote]

बड़ी बहन ने शुरू किया था अभियान:

पूजा की बड़ी बहन ने बालमंच का ये अभियान शुरू किया था. बाद में जब वो किसी अन्य काम में लग गई जिससे बालमंच में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई बंद होने की नौबत आ गई. छठीं क्लास में पढ़ रही पूजा ने जिम्मेदारी लेते हुए इस अभियान में सक्रीय भूमिका निभाई.

पूजा इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रही हैं। उनके प्रयासों से अब तक 1000 बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला पा चुके है. स्नातक की डिग्री के बाद पूजा सोशल वर्क में परास्नातक करके अपना जीवन अपने अभियान को समर्पित करना चाहती है.

क्या है बालमंच:

बालमंच में न केवल बच्चे अपनी शिक्षा प्राप्त करते है बल्कि यहाँ वे अपनी प्रतिभा का भी प्रदर्शन करते है. यहाँ उनके शिक्षा के अलावा अन्य क्षेत्रों की भी जानकारी दी जाती है.  यहाँ बच्चों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

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