प्रदेश की बिजली कम्पनियों द्वारा प्रदेश के विभिन्न श्रेणी के विद्युत उपभोक्तााओं की दरों में व्यापक वृद्धि प्रस्ताव पर आज उ.प्र. विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष एसके अग्रवाल की अध्यक्षता में किसान मण्डी भवन सभागार में सार्वजनिक सुनवाई सम्पन्न हुयी। (electricity rates)
- जिसमें बड़ी संख्या में विद्युत उपभोक्ताओं ने भाग लेकर प्रदेश की बिजली कम्पनियों की अक्षमता का खामियाजा प्रदेश की जनता पर न डालने की गुहार लगायी।
- अपना गुस्सा जमकर बिजली कम्पनियों पर निकाला।
- पावर कारपोरेशन की तरफ से निदेशक वाणिज्य संजय सिंह, मध्यांचल एमडी एपी सिंह सहित दर्जनों अभियन्ता चुपचाप आम जनता की आवाज सुनते रहे।
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सीएम को आधी अधूरी स्लाइड दिखाकर अधिकारियों ने बढ़ा दिए रेट
- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि बिजली दर बढ़ोत्तरी के पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने पावर कारपोरेशन के उच्चाधिकारियों द्वारा जो स्लाइड दिखायी गयी थी, वह अधूरी थी।
- यह बात पावर कारपोरेशन के एक उच्चाधिकारी द्वारा आयोग के एक उच्चाधिकारी के सामने कही गयी वहां मै खुद मौजूद था यह भी कहा गया कि मुख्यमंत्री पूरी सलाईड नहीं देख पाये।
- हम लोग चले आयेे और उसके बाद ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में व्यापक बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दे दिया। (electricity rates)
- जो अपने आप में गंभीर मामला है।
- इससे ऐसा सिद्ध होता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को पावर कारपोरेशन के उच्चाधिकारियों द्वारा गुमराह कर इतनी बड़ी टैरिफ बढोत्तरी आयोग को भेज दी गयी।
- उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग उठायी।
- उपभेाक्ता परिषद अध्यक्ष ने आज जिन बिन्दुओं पर बड़ा खुलासा किया उसके साक्ष्य सहित लिखित आपत्तियां व सुझाव आयोग अध्यक्ष को सौंप भी दिये।
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ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिये 3760 करोड़ की सब्सिडी घोषित
- प्रदेश की बिजली कम्पनियों और पावर कारपोरेशन को आडे हाथों लेते उपभोक्ता परिषद् ने कहा कि बिजली कम्पनियों का जो घाटा सन 2001 में 77 करोड़ था।
- अब वह 75 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया।
- जिसके लिये प्रदेश की बिजली कंपनियां जिम्मेदार हैं।
- प्रदेश की बिजली कंपनियों द्वारा सबसे ज्यादा वृद्धि गांव की जनता के घरों की 350 प्रतिशत तक प्रस्तावित की गयी है।
- जबकि सरकार द्वारा ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिये 3760 करोड़ की सब्सिडी घोषित की गयी है।
- प्रदेश के 84 लाख ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं पर प्रति माह लगभग 373 रुपये सब्सिडी का अंश आता है। (electricity rates)
- यदि 180 रुपये प्रति किलोवाट उसमें जोड़ दिया जाये तो यह रुपये 553 होता है।
- रेग्यूलेटरी सरचार्ज व इलेक्ट्रिसिटी डयूटी लगाकर ग्रामीण उपभोक्ता से प्रत्येक माह सब्सिडी सहित कारपोरेशन लगभग 600 रुपये वसूल रहा है।
- इसमें बिजली दर बढ़ोत्तरी का कोई मतलब नहीं।
- एवरेज कास्ट आफ सप्लाई रुपये 6.97 प्रति यूनिट पर उपभेाक्ता परिषद ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि रिटर्न आफ इक्यूटी के मद में 17 पैसा व ओएनडम के मद में कंपनियों द्वारा जो 78 पैसा प्रति यूनिट जोड गया है वह गलत है।
- यह 40 पैसे से ज्यादा नहीं होना चाहिये।
- ऐसे में एवरेज कास्ट आफ सप्लाई स्वतः वर्ष 2016-17 से भी कम आ रही है।
- ऐसे में बिजली बढोत्तरी का कोई मतलब नहीं है।
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अन्नदाता को 5 से 6 रुपये प्रति यूनिट, अमीरों को 3 यूनिट बिजली
- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने एक बडा खुलासा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ने नागर विमानन नीति 2017 में यह प्राविधानित किया गया है कि नये हवाई अडडा बनाने वालों को रुपये 4 प्रति यूनिट बिजली 30 हजार यूनिट तक सस्ती दी जायेगी। (electricity rates)
- यानि की उनकी दरें केवल 3 रुपए प्रति युनिट के करीब होगी।
- यह कैसा दुर्भाग्य है कि प्रदेश के किसान अन्नदाता/ग्रामीण उपभोक्ता की बिजली दरें रुपये 5 से रुपये 6 प्रति यूनिट के बीच और हाई प्रोफाईल हवाई अडडा बनाने वालों की 3 रुपये।
- उपभोक्ता परिषद ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के घोषण पत्र में गरीब उपभोक्ताओं को रू. 3 प्रति यूनिट में बिजली लेने वाला उपभोक्ता क्या नया हवाई अडडा वाला उपभोक्ता है?
- यह देश का दुर्भाग्य है कि किसान और गांव की जनता मंहगाई से मर रही है और प्रदेश की सरकार हवाई अडडा लगाने वालो को सस्ती बिजली की बात कर रही है।
- प्रमुख सचिव ऊर्जा द्वारा भी उसी क्रम में आगे आदेश भी जारी कर दिये गये और कंपनियों को प्रपत्र तैयार करने का निर्देश दिया है।
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पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग
- एचसीएल सिस्टम पर बडा सवाल करते हुए कहा कि रुपये 700 से 800 करोड़ के इस प्रोजेक्ट से जनता को कोई लाभ नहीं हुआ।
- इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करायी जये।
- पावर कारपोरेशन की ट्रांसफार्मेशन क्षमता पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का कुल संयोजित भार लगभग 4 करोड़ 65 लाख किलोवाट है।
- प्रदेश की ट्रांसफार्मेशन क्षमता केवल 3 करोड़ 79 लाख है।
- ऐसे में बिजली कम्पनियों का सिस्टम कांप रहा है जो सुचारू रूप से बिजली नहीं दे सकता।
- ऊपर से 25 प्रतिशत बिजली चोरी का लोड है। (electricity rates)
- घटिया मीटर खरीद पर बडा सवाल करते हुए विस्तार से खुलासा करते हुए कहा गया कि घाटे में चल रहे विभाग की बिजली कम्पनियों ने लोन के सहारे रुपये 548 करोड़ का मीटर खरीद व लगाने का आर्डर दे दिया और करोड़ों के मीटर खरीद पाइप लाइन में।
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834 रुपये की जगह वसूला जा रहा 3097 रुपये
- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने प्रदेश की बिजली कंपनियों पर बडा सवाल करते हुए कहा किसानों के टयूबवेल की दरें जो रुपये 160 प्रति बीएचपी प्रति माह है।
- राजस्व बढ़ाने के लिये फलूग्रिड एजेन्सी ने आयोग द्वारा तय टैरिफ में टेम्पर करके 5 किलोवाट के उपभोक्ता पर 400 यूनिट मानकर उनसे लगभग जो 834 रुपये की जगह रुपये 3097 वसूला जा रहा है जो अपने आप में गंभीर मामला है।
- इसका साक्ष्य भी आयोग को दिया।
- इसी प्रकार उपभोक्ता परिषद ने बिजली कम्पनियों के लगभग 20 डिवीजनों का नाम गिनाते हुए कहा कि यहां पर लाईन हानियां 25 से 45 प्रतिशत तक है।
- पावर कारपोरेशन क्या कर रहा है? (electricity rates)