उ0प्र0 में लगभग 68 लाख अनमीटर्ड (power corporation) विद्युत उपभोक्ताओं के यहाॅ मीटर लगाने की कवायद शुरू होते ही पूर्वान्चल व पश्चिमांचल में ही लगभग 350 से 400 करोड़ के आर्डर किये जाने व मध्यांचल कम्पनी में लगभग 80 से 100 करोड़ मीटर खरीद की प्रक्रिया चालू करने पर हड़बडी़ में उठाये जा रहे कदम पर उपभोक्ता परिषद द्वारा 2 दिन पहले सवाल उठाते हुए क्वालिटी कन्ट्रोल को मजबूत करने एवं मीटरों के सैम्पल की जांच आई0आई0टी0 अथवा किसी उच्च संस्थान से कराने की प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की गयी थी।
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उपभोक्ता परिषद (power corporation) द्वारा मीटरों की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा किये जाने के तुरन्त बाद पावर कार्पोरेशन व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम चौकन्ना हो गया। पावर कार्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक विशाल चौहान ने सभी कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों को गुणवत्ता एवं मानकों चेक करने के लिये यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है कि जिन भी कार्यदायी संस्थाओं द्वारा मीटर आपूर्ति किये गये हैं, आपूर्ति मीटर एवं अन्य सामग्री की गुणवत्ता बनाने हेतु प्रत्येक लाट से सैम्पल मीटर उठाकर उसे सी0पी0आर0आई0 (सेन्ट्रल पावर रिसर्च इन्स्टीट्यूट) मीटर टेस्ट लैब में अविलम्ब परीक्षण कराया जाये। साथ ही रिस्काम भी अपने मीटर टेस्ट लैब में रैण्डम मीटरों का सैम्पल चेक करे।
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उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज मीटरों की गुणवत्ता के मुद्दे पर पावर कार्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक से शक्ति भवन में मुलाकात की और मीटरों की उच्च गुणवत्ता के सम्बन्ध में अनेकों तथ्य उनके सामने रखे। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष द्वारा यह मुद्दा भी उठाया गया कि पूर्व में आई0आई0टी0 कानपुर द्वारा जिन मीटरों में कमियां निकाली गयी थी और जो मीटर जम्प कर रहे थे, उन्हें भी आर्डर दिया गया है। जिस पर गहन छानबीन होनी चाहिए।
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उपभोक्ता परिषद (power corporation) अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में अनेकों मीटर निर्माता कम्पनियां जो टेण्डर में भाग ले रही हैं उनका भाग 2 इसलिये नहीं खोला गया। क्योंकि उनके भाग एक में कुछ तकनीकी खामियों के चलते उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था और सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इन मीटर निर्माताओं से दूसरी कम्पनियों में करोड़ों के आर्डर दिये गये हैं। जो उच्चस्तरीय जांच का मामला है।
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उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष द्वारा पावर कार्पोरेशन प्रबन्ध निदेशक को यह भी अवगत कराया गया कि पूर्वान्चल कम्पनी में मीटर निविदा में उन्हीं मीटर कम्पनियाॅ को टेण्डर में शामिल करने का प्रावधान किया गया। जिनका टर्नओवर 100 करोड़ या उससे ज्यादा होगा। उ0प्र0 की कम्पनियों के लिये यह सीमा 50 करोड़ रखी गयी बड़ी चालाकी से उसमें यह भी अंकित कर दिया गया कि दिल्ली और एन0सी0आर0 बेस कम्पनी के लिये भी 50 करोड़ माना जायेगा। सवाल यह उठता है उ0प्र0 के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये यह व्यवस्था ठीक है लेकिन दिल्ली और एन0सी0आर0 जोड़ने के पीछे कुछ कम्पनियों को पीछे दरवाजे से टेण्डर में शामिल करने हेतु रास्ता साफ किया गया इसकी भी जांच होनी चाहिए।
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पावर कार्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को यह आश्वासन दिया कि बिजली कम्पनियों में क्वालिटी कन्ट्रोल से कोई भी समझौता नहीं होने दिया जायेगा। पूरे मामले की छानबीन की जायेगी और उच्च गुणवत्ता के मीटर ही कम्पनियां लेंगी। प्रबन्ध निदेशक द्वारा वार्ता में यह भी बताया गया कि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन द्वारा तकनीकी विशिष्टीकरण के लिये एक उच्चस्तरीय (power corporation) कमेटी भी बनायी गयी है।