‘काम बोलता है’ जी हाँ वास्तव में काम बोलता है का समाजवादी पार्टी का नारा वर्तमान समय में भी शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हर किसी की जुबान पर छाया हुआ है। ये हम नहीं बल्कि ग्रामीण खुद बोल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ‘काम अखिलेश का नाम योगी का’ जी हां हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत बने ग्रामीण आवासों की। जो केंद्र सरकार की योजना के बाद उत्तर प्रदेश में अब तक 8 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं। लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में निर्मित करीब 5 लाख आवास अखिलेश सरकार में बनकर तैयार हुये हैं, और योगी सरकार में करीब तीन लाख। लेकिन राजनीती की होड़ में यहाँ 8 लाख बनकर तैयार आवासों का क्रेडिट योगी और उनके सरकार के मंत्री लेने में जुटे है, यदाकदा ऐसी बयानबाजी अक्सर सुनने में आ जाती है।

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राजनीती में श्रेय लेने की होड़ लगी है, ऐसा उत्तर प्रदेश की राजनीती में देखने को मिल रहा है, जी हाँ  ‘काम अखिलेश का नाम योगी का’, हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत बने ग्रामीण आवासों की। जो केंद्र सरकार की योजना के बाद उत्तर प्रदेश में अब तक 8 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं। लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में निर्मित करीब 5 लाख आवास अखिलेश सरकार में बनकर तैयार हुये हैं, और योगी सरकार में करीब तीन लाख। लेकिन राजनीती की होड़ में यहाँ 8 लाख बनकर तैयार आवासों का क्रेडिट योगी और उनके सरकार के मंत्री लेने में जुटे है, यदाकदा ऐसी बयानबाजी अक्सर सुनने में आ जाती है।

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क्या कहती है, ग्रामीण विकास मंत्रालय वेबसाइट की रिपोर्ट

आपको बता दें कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट में प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश में बने आवासों की संख्या व उनमें खर्च धनराशि का विवरण का पारदर्शी आंकड़ा दिया गया है। जिसमें साफतौर पर स्पष्ट है कि साल 2016-17 में कुल ‘5लाख 26हज़ार 5सौ 95’ ( 5,26,595 ) आवास आवंटित किये गए, जब उत्तर प्रदेश में मौजूदा सरकार अखिलेश यादव की थी। वहीं साल 2017-18 में और योगी सरकार की मौजूदगी में कुल ‘2लाख 84हज़ार 8सौ 89’ ( 2,84,889 ) आवास ही आवंटित किये गए हैं। और साल 2018 में अभी तक एक भी आवास आवंटित नही किया गया है, जिसका वेबसाइट में ग्राफलेवल Zero दर्शाया गया है। और केंद्र सरकार की योजना के बाद अब तक कुल ‘8लाख 11 हज़ार 4सौ 84’ ( 8,11,484 ) आवास बने हैं जिसका पूरा श्रेय योगी सरकार लेने में जुटी है।

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वेबसाइट में दर्शाये गए अतिरिक्त आंकड़े

#भौतिक प्रगति (सम्पूर्ण वर्ष, यूपी) –
◆कुल लक्ष्य – 9,71,852
◆कुल ग्रामीण लाभार्थियों का पंजीकरण – 10,22,576
◆कुल जिओ-टैग – 9,70,814
◆कुल स्वीकृत आवास – 8,88,903
◆कुल निर्मित आवास – 8,11,484

#वित्तीय प्रगति रु. में (सम्पूर्ण वर्ष, यूपी) –
●कुल निधि आवंटन – 1,21,90,58,77,000
●कुल फन्ड जारी – 1,14,60,17,86,300
●कुल निधि उपयोग – 1,04,28,43,36,000

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जब uttarpradesh.org टीम पहुँची ग्रामीणों के पास

जब uttarpradesh.org की टीम राजधानी लखनऊ के ग्रामीण इलाकों में पहुंची तो ग्रामीणों का हालचाल जाना, दुःख-दर्द भी जाना, कुछ खुश नजर आये तो कुछ में मायूसी भी दिखी। वहीं हमारी टीम ने उनसे सवाल-जवाब भी किये। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि कॉलोनी मिलने से वो बहुत खुश हैं, तो कुछ का कहना है अभी उन्हें पूरी क़िस्त नहीं मिली है। इतना ही नहीं, उनका कहना है 1लाख 20 हज़ार में अधूरा माकान ही बन रहा है, उन्हें खुद का पैसा भी खर्च करना पड़ रहा है। वहीं इस पूरी छानबीन में यह भी देखने को मिला कि अभी भी कुछ लोग बेघर हैं, जो अभी भी कॉलोनी मिलने की आस लगाये इंतजार में बैठे हैं। आपको बता दें हमारी टीम ने गोसाईंगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत, मीसा, जौखंडी, बजघिया, समेत कई ग्राम पंचायतों में जाकर प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत बने आवासों का निरीक्षण किया और ग्रामीणों से बातचीत की।

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ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी ने खाया पैसा

वहीं कई ग्रामीणों ने प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी पर पैसा खाने का सीधा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ग्राम प्रधान ने सभी से 20-20 हज़ार रुपये की मांग की थी और ग्राम विकास अधिकारी को देने का हवाला दिया था, जिसमें से कुछ लोगों ने पैसे दिए तो कुछ ने विरोध भी किया। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि वीडिओ साहब लाखों रुपये लेकर भी गए। आपको बता दें कि ग्रामीणों के मुताबिक प्रधान ने पैसों के मामले में मुंह खोलने के लिए मना भी किया था, जिसके बाद लोग कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं।

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अखिलेश यादव ने दिए आवास – ग्रामीण

वहीं ग्रामीणों से सवाल-जवाब पर उन्होंने कहा कि कि उन्हें, अखिलेश सरकार में आवास मिला है, इतना ही नहीं जब गांव में तमाम लाभार्थियों से हमारी टीम ने मुलाकात की तो ज्यादातर लोगों का यही जवाब था। इसके बाद जब वास्तविकता जानने के लिए हमारी टीम ने रिसर्च किया तो पता चला की वास्तव में साल 2016-17 में साल 2017-18 की अपेक्षा ज्यादा आवास आवंटित हुए हैं, और उस वक्त प्रदेश में मौजूदा सरकार अखिलेश यादव की थी। आंकड़े साफ कहते हैं कि साल 2016 -17, अखिलेश यादव के समय करीब 5लाख 26हज़ार आवास दिए गए तो वहीं साल 2017-18, योगी सर्कार के समय मात्र 2लाख 84हज़ार आवास दिए गए, लेकिन इन पूरे दो सालों में आवंटित कुल 8 लाख आवासों का क्रेडिट लेने में योगी सरकार और उनके मंत्री लगे हुए हैं।

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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना एक नजर

आपको बता दें कि 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना स्कीम लागू की और इसके तहत शहरी व ग्रामीण गरीब वर्ग सभी को पक्की ईंट का आवास देने का निर्णय लिया गया और 2022 तक सभी को आवास देने का लक्ष्य बनाया गया। जिसके बाद 25 जून 2015 को योजना का शुभारम्भ कर, स्कीम को दो भागों में बाँट दिया गया और शहरी आवास निर्माण कार्य सूडा को व ग्रामीण आवास ग्रामीण विकास मंत्रालय को दिया गया। वहीं शहरी लाभार्थी को 2.5लाख रुपये सरकारी सहयोग व ग्रामीण आवास लाभार्थी को 1 लाख 20 हज़ार रुपये की आर्थिक सहयोग दिए जाने का निर्णय लिया गया। वहीं स्कीम लॉन्चिंग के बाद पूरे हिंदुस्तान से लाभार्थियों के आवेदन होने लगे। जिसके बाद पूरे उत्तर प्रदेश भर में करीब 10 लाख 22 हज़ार आवेदन हुए, जिसमें से करीब 8 लाख 88 हज़ार सदन स्वीकृत हुए और अब तक करीब 8 लाख ग्रामीण आवास बनकर तैयार हो चुके हैं। ग्रामीणों को माकान के भौतिक प्रगति के आधार पर 1लाख 20 हज़ार रूपये को तीन किस्तों में लाभार्थी के खाते में दिया जा रहा है।

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