केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में चलायी जा रही “प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना” यानि की सौभाग्य योजना के तहत भारत सरकार ने लगभग 16320 करोड़ पूरे देश में खर्च करने का निर्णय लिया है। जिसमें 12320 करोड़ सकलीय बजटीय समर्थन शामिल है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवारों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिये जा रहे हैं तथा अन्य को अनेकों किस्तों के आधार पर नया कनेक्शन दिया जाना है।
निश्चित तौर पर यह कहना गलत नहीं होगा कि देश व प्रदेश में जो गरीब परिवार अभी तक बिजली का कनेक्शन चाह कर भी नहीं ले पाये थे और आज मेगा कैम्पों में फ्री कनेक्शन लेने के लिये लाइन में लगे है। उनके घर में उजाला रहे यह सरकारों का नैतिक दायित्व है। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि क्या गरीब परिवार केवल फ्री बिजली कनेक्शन पा लेने से सतत अपने घर को उजाला रख पायेगा? यह तभी सम्भव है जब केन्द्र व राज्य सरकार सौभाग्य योजना के तहत बीपीएल परिवारों के लिये एक नयी बिजली दर की श्रेणी बनाये और जिसकी बिजली दर सब्सिडी के आधार पर बहुत सस्ती हो।
गरीब परिवार महज फ्री कनेक्शन पा लेने से उजाले में सतत नहीं रह पायेगा जब तक उसकी बिजली दरें बहुत ज्यादा सस्ती न की जायें जिससे वह उसको वहन करने योग्य हो और यदि सरकार की केवल यह योजना है कि हर घर को बिजली मिल जाये, बल्ब टंग जायें तो कोई बात नहीं? उपभोक्ता परिषद इस योजना की सफलता के लिये केन्द्र व उप्र सरकार को सौभाग्य योजना के लिये अलग सस्ती बिजली दर की श्रेणी बनाने की मांग करता है।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली का उपभोग देश व प्रदेश की जनता 2 तरीके से करती है। एक उपभोक्ता के लिये बिजली कच्चा माल है तो वहीं आम घरेलू किसानों, ग्रामीणों व गरीबों के लिये बिजली महज एक आवश्यकता है। ऐसे में वर्तमान में लागू महंगी बिजली दर का भुगतान आज भी प्रदेश के ग्रामीण उपभोक्ता आसानी से नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि कहीं न कहीं उनकी एक सीमित आय का साधन है। ऐसे में केन्द्र व उप्र सरकार को इस योजना की सफलता के लिये व्यापक कार्य योजना बनाना होगा और गरीबों के लिये बिजली सस्ती करनी होगी।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार को उज्जवला योजना के तहत गरीबों को फ्री में गैस कनेक्शन की योजना पर ध्यान देना चाहिए। आज कुछ वर्ष बाद जिनके घरों में गैस सिलेण्डर तो उपलब्ध है लेकिन गरीबी के चलते वह सिलेण्डर नहीं भरवा पा रहे हैं और पुनः लकड़ी पर खाना बनाने के लिये मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में यह योजना भी बिजली कनेक्शन होते हुए महंगाई की मार के चलते लालटेन युग में न पहुंचा दें, इस पर केन्द्र व उप्र सरकार को गम्भीरता से विचार करना चाहिए।