राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइमरी और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में घोटाले का मामला सामने आया था। बताया जा रहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मदद से ग्राम पंचायत सचिव व प्रधान ने अध्यापकों के साथ मिलकर स्कूल निर्माण के लिए बजट की बंदरबांट कर ली। इसके चलते स्कूल का निर्माण नहीं हो सका। हालात ये हैं कि स्कूल के भीतर जमा गंदे पानी ने तालाब का रूप ले लिया है और इसमें बच्चे रोजाना मछली पकड़ते हैं। ये हाल केवल एक स्कूल का नहीं है ग्रामीण इलाके में लगभग सभी स्कूलों का हाल यही है। इस संबंध में ग्राम प्रधान का कहना है कि बजट मिला ही नहीं जबकि हकीकत ये है कि पैसों की बंदरबांट के स्कूल के प्रधानाचार्य ने कई बार शिकायत भी की लेकिन ग्राम प्रधान के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। ग्राम प्रधान की अय्यासी के चलते मासूम बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
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ग्राम पंचायत सचिव के साथ पैसों की हो गई बंदरबाट
ये तस्वीरें बख्शी का तालाब विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत नारायणपुर गोधना की हैं। गोधना प्राथमिक विद्यालय के अंदर बच्चे मछलियां पकड़ते दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय के सौंदर्यीकरण और निर्माण के लिए वर्ष 2016 में 80 हजार रुपये सरकारी धन आवंटित किया गया था। ये पैसा ग्राम प्रधान के द्वारा बंदरबांट कर लिया गया। इसकी शिकायत कई बार प्रधानाध्यापक के द्वारा प्रधान से की गई। आरोप है कि शिकायत करने के बावजूद भी ग्राम प्रधान तालाबनुमा गड्ढे में मिटटी नहीं डलवा रहे हैं। इस संबंध में ग्राम प्रधान का कहना है कि हमारे पास कोई बजट मौजूद नहीं है।
विद्यालय में शौचालय तक नहीं, सफाईकर्मी भी नहीं आता
प्रधानाध्यापक केके सिंह ने बताया कि मरम्मत का बजट प्रधान के पास मौजूद है। लेकिन वह इस्तेमाल करने पर कतरा रहे हैं। आरोप है कि ग्राम प्रधान ने ग्राम पंचायत सचिव के साथ मिलकर पैसों की आपस में ही बंदरबांट कर ली। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत नारायणपुर गोहना में सफाईकर्मी तो कभी आते ही नहीं। प्रधानाध्यापक ने बताया सफाई कर्मी सालों से नजर नहीं आ रहे। विद्यालय में शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधान व ग्राम विकास सचिव मिलकर स्वच्छ भारत मिशन अभियान को पलीता लगा रहे हैं लेकिन जिम्मेदार आंख बंद कारके बैठे हुए हैं।
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साल गुजर गया लेकिन काम नहीं हुआ पूरा
सर्व शिक्षा अभियान के तहत सत्र 2016 -17 में राजधानी स्थित बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों के निर्माण के लिए सर्व शिक्षा अभियान की ओर से बजट जारी किया गया था। इस बजट से चिन्हित स्कूलों में अतिरिक्त क्लास रूम का निर्माण, चहारदीवारी और नए स्कूल कैंपसों का निर्माण होना था। इसके तहत एक्स्ट्रा क्लास रूम, नए स्कूल बिल्डिंग और स्कूलों में चहारदीवारी का निर्माण कार्य प्रस्तावित था। लेकिन समय सीमा गुजर जाने के बाद भी एक्स्ट्रा क्लास रूम, चहारदीवारी का निर्माण पूरा नहीं हो पाया।
करीब 70 फीसदी स्कूलों में काम अधूरा
सर्व शिक्षा अभियान में इस तरह के घोटाले का यह कोई पहला मामला नहीं है। शहर में प्राथमिक स्कूलों के निर्माण कार्यों को पूरा कराने के लिए करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा चुका है। जिसमें से अभी तक करीब 70 फीसदी स्कूलों में आज तक निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। इस खुलासा खुद बेसिक शिक्षा विभाग के जांच में भी सामने आ चुका है। वहीं विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे मामले के जांच के बजाए इस दबाने में लगे हुए है।
इन स्कूलों में सामने आया गड़बड़ी का मामला
पू.मा.वि हडाईन खेड़ा, प्रा.वि. हडाईन खेड़ा, प्रा.वि, अमौसी, प्रा.वि. आलमनगर, प्रा.वि. मर्दन खेड़ा, प्रा.वि. शंकर पुरवा सेकेंड, प्रा.वि. आशियाना, प्रा.वि. प्रेमवतीनगर, प्रा.वि. बरीकला, प्रा.वि. केसरी खेड़ा प्रा.वि. भिलावां, प्रा.वि. भक्ती खेड़ा, प्रा.वि. खरिका फर्स्ट पू.मा.वि.बेहसा, प्रा.वि. कनौसी, प्रा.वि.सुगामऊ, प्रा.वि. पानीगांव, प्रा.वि. उजरियांव, प्रा.वि. चांदन, प्रा.वि. हरदासी खेड़ा, प्रा.वि. मक्का खेड़ा, प्रा.वि. नादरगंज, प्रा.वि. गिन्दन खेड़ा, प्रा.वि. बेहटवा में स्कूलों के निर्माण में गड़बडि़यां सामने आयीं हैं। स्कूलों में बजट भेज दिया गया पर काम पूरा नहीं हुआ था।
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