उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला के फलावदा कस्बे के मोहल्ला पंछाली पट्टी स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने दलित बच्चों का स्कूल में एडमिशन करने को मना कर दिया। इसके चलते ग्रामीणों ने किया हंगामा। यहां पर अनुसूचित जाति की महिला ने संप्रदाय विशेष के प्राधानाध्यापक पर दुत्कारकर भगाने का आरोप लगाया। इसका वीडियो वायरल होने और हिंदु संगठनों के हंगामे के बाद आरोपित प्रधानाध्यापक बैकफुट पर आकर पक्ष रखने लगा।
जानकारी के अनुसार, मंगलवार प्रातः मोहल्ला जगजीवन राम निवासी पीड़ित महिला सुनीता पत्नी संतरपाल ने बताया कि वह कस्बे के ही मोहल्ला पंछाली पट्टी स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में अपने दोनों बच्चों का एडमिशन कराने स्कूल के प्रधानाध्यापक रहीसुद्दीन के पास पहुंच कर अपने दोनों बच्चों का एडमिशन करने के लिए कहा। तो स्कूल के प्रधानाध्यापक रहीसुद्दीन ने महिला को बताया कि इस स्कूल में दलित बच्चों का एडमिशन नहीं हो सकता।
महिला ने निराश होकर स्कूल के आस-पास गणमान्य लोगों से कहां कि स्कूल का मास्टर उसके दोनों बच्चों का एडमिशन करने से इसलिए मना कर दिया कि वह दलित है। यह बात सुनकर मोहल्ले के गणमान्य लोगों ने स्कूल में पहुंचकर प्रधानाध्यापक को दलित महिला के साथ इस तरह के व्यवहार को लेकर प्रधानाध्यापक को आड़े हाथों लेकर जमकर खरी खोटी सुनाई और उसके खिलाफ स्कूल में जमकर हंगामा किया। तब जाकर बड़ी मुश्किल से प्रधानाध्यापक ने बच्चों का एडमिशन करने के लिए आश्वासन दिया।
इस दौरान मुख्य रूप से बजरंग दल के महामंत्री जयसिंह सैनी कवल सिंह विजय पाल सिंह बृजपाल सिंह हरफूल सिंह रतन सिंह सोनू सुनील ओमी लाल आदि रहे हैं। फोटो परिचय प्रधानाध्यापक की महिला और ग्रामीणों से होती नोक झोक। इस संबंध में प्रार्थना विद्यालय के प्रधानाध्यापक रहीसउद्दीन का कहना है कि उन्होंने दलित महिला के बच्चों का एडमिशन करने के लिए मना नहीं किया बल्कि बच्चों के आधार कार्ड मांगे गए थे। वह आधार कार्ड नहीं लाई और बिना आधार कार्ड के स्कूल में एडमिशन नहीं हो सकता। महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं ऐसा नहीं है वह बच्चों का एडमिशन कर रहे हैं।