राजधानी के निजी अस्पताल पैसे के लिए जो ना कर दें वह कम है। कभी किसी मरीज को पैसे के लिए बंधक बनाना, कभी किसी मरीज को पैसे के लिए लूटना आम बात हो गई है। ऐसा ही एक मामला हुआ डालीगंज में यहाँ के एक निजी अस्पताल में जिंदा मरीज को मृत बताकर वेंटीलेटर से हटा दिया गया। वहीं परिजन जब मरीज को शव वाहन पर रखने चले, तो उसमें हरकत महसूस हुई। उन्होंने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया। इसके साथ ही एंबुलेंस बुलाकर महिला को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
गणोशगंज निवासी केवला मोंगा (70) को सांस लेने में तकलीफ थी। परिजनों ने उन्हें पांच दिन पहले नाका स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां डॉक्टरों ने मरीज केवला को वेंटीलेटर की आवश्यकता बताकर डालीगंज स्थित जेनिथ हॉस्पिटल रेफर कर दिया। रविवार शाम साढ़े छह बजे केवला को पति चमनलाल मांगा व बेटी सोनिया ने जेनिथ हॉस्पिटल में भर्ती कराया। मगर महिला की हालत में सुधार नहीं हुआ। आरोप है कि मंगलवार रात दो बजे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने केवला को मृत बताकर वेंटीलेटर से हटा दिया। परिजनों का कहना है कि शव को वाहन में ले जाने के लिए जब उठाया तो शरीर में हरकत महसूस हुई। ऐसे में जब ध्यान से देखा तो धड़कन भी चल रही थी। परिजनों ने जानकारी दी तो डॉक्टर ने दोबारा चेक किया तो वह जिंदा निकली।
जेनिथ अस्पताल का डायरेक्टर बताने वाले डॉ. शरद ने कहा कि मरीज केवला के इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई। डॉक्टर ने मरीज का ब्रेन डेड बताया था, और उसे घर या अन्य जगह ले जाने को कहा। मगर तीमारदारों ने मरीज को ही मरा समझ लिया। वहीं पैसा न देना पड़े इसलिए हंगामा करने लगे। एंबुलेंस बुलाकर खुद का स्टाफ भेजकर मरीज को ट्रामा सेंटर भर्ती कराया। अस्पताल का शेष बकाया न देना पड़े इसलिए परिजन गलत आरोप लगा रहे हैं।
मंगलवार रात दो बजे हुए बवाल के बाद एंबुलेंस बुलाकर केवला को ट्रामा सेंटर भेजा गया। सुबह तीन बजे महिला को ट्रामा सेंटर में एंबुबैंग सपोर्ट पर रखा गया। वहीं बुधवार दोपहर करीब दो बजे के करीब वेंटीलेटर खाली होने पर क्रिटिकल केयर यूनिट में शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज की हालत गंभीर है। ट्रामा सेंटर इंचार्ज डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि मरीज केवला का वेंटीलेटर पर इलाज चल रहा है। अभी ट्रामा सेंटर में मरीज को ब्रेन डेड घोषित नहीं किया गया। कारण, मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने के लिए विशेष जांचें की जाती हैं जो कि अभी नहीं हुईं।