उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में पुलिस की हिरासत में पिटाई से हुई एक व्यक्ति की मौत के बाद मानो सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ जहर उगलने वालों की होड़ लग गई। 24 X 7 ड्यूटी करके लोगों की सुरक्षा करने वाली पुलिस भला किसी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कैसे कर सकती है ये समझ से बाहर है। भले ही इस दुःखद घटना के बाद पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हों लेकिन सच्चाई इससे कुछ और बताई जा रही है। हालांकि इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ फूट रहे गुस्से को देखते हुए एसपी ने थाना प्रभारी सुनील वर्मा और और चौकी इंचार्ज गोपीगंज अखिलेश्वर सिंह यादव को लाइन हाजिर कर पूरे मामले की अपर पुलिस अधीक्षक को मजिस्ट्रियल जाँच करने के आदेश दिए हैं।
गोपीगंज कोतवाली के फूलबाग इलाके का पूरा मामला
पहले हम आप को पूरे मामले से अवगत करा दें। दरअसल मामला गोपीगंज कोतवाली के फूलबाग इलाके का है। यहां रहने वाले रामजी मिश्रा का अपने भाई से जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद था। आरोप है कि मृतक पक्ष जमीन का एक तिहाई हिस्सा मांग रहा था, जबकि उनका भाई आधा हिस्सा ही दे रहा था। इसी विवाद में दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई।इसके निस्तारण के लिए शुक्रवार को वह गोपीगंज कोतवाली गया था। परिजनों का आरोप है कि कोतवाली में इंपेक्टर सुनील वर्मा ने फरियादी को पीटा और बिना लिखापढ़ी किए ही हवालात में डाल दिया। वहां उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजनों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की लेकिन कार्रवाई न होने पर उनका गुस्सा फूट पड़ा।
सड़क पर उतरे थे आक्रोशित लोग
परिजनों का गुस्सा इतना अधिक बढ़ गया कि वे सड़क पर उतर आए। रामजी मिश्रा की पत्नी और बेटियों के साथ सैकड़ों लोगों ने वाराणसी-इलाहाबाद हाईवे जाम कर हंगामा शुरू कर दिया। मरने वाले रामजी की बेटी ने गोपीगंज कोतवाली के इंस्पेक्टर सुनील वर्मा पर 70 हजार रुपया देकर मामले को रफा दफा करने का आरोप लगाया। रामजी की बेटी ने कहा कि इंस्पेक्टर देर रात 70 हजार रुपया देकर मामला खत्म करने का दबाव बना रहे थे। परिजनों की मांग है कि आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। आरोप है कि पुलिस अधिकारी मामले में लीपा पोती करते नजर आ रहे हैं।
हवालात नहीं अस्पताल में हुई रामजी की मौत
जानकारी के मुताबिक, मृतक रामजी मिश्रा और अशोक मिश्रा के साथ शुक्रवार को शौचालय निर्माण को लेकर विवाद हुआ था। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों भाई एक दूसरे की जान के प्यासे हो गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि दोनों के परिवार के बीच जमकर मारपीट हुई। मारपीट की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस दोनों पक्षों को गोपीगंज थाने लेकर गई थी। यहां थाना प्रभारी सुनील वर्मा ने दोनों पक्षों के लोगों को पंचायत के लिए बुलाया था। थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो ही रहा था कि अंदरूनी चोट से गंभीर रूप से घायल रामजी मिश्रा की अचानक तबियत बिगड़ गई। तबियत बिगड़ते ही पुलिस ने फौरन रामजी को अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक का ताल्लुक राजनीतिक होने से दिया गया तूल
स्थानीय लोगों की माने तो मृतक रामजी मिश्रा भाजपा से जुड़े हुए थे। इसलिए उनकी मौत को तूल दे दिया गया। इलाकाई लोगों का आरोप है कि किसी एक छुटभैय्ये कार्यकर्ता ने मृतक की एक बेटी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। वीडियो वायरल होते ही पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और लोग पुलिस को भला बुरा कहने लगे। घटना के बाद जब लोग बेकाबू हो गए और हाइवे जाम कर दिया तो एसपी और डीएम मृतक के परिजनों से मिले। उन्होंने परिवार को आर्थिक मदद सहित मामले की जांच कराने की भी बात कही। अफसरों से जांच का आश्वासन पाकर परिजनों ने हाईवे से जाम खत्म किया। वहीं रामजी के परिजनों से मिलने बीजेपी के भदोही से विधायक रविंद्रनाथ त्रिपाठी भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
परिवार में तीन बेटियां, रो-रो कर बुरा हाल
मृतक रामजी मिश्रा के परिवार में पत्नी कंचन मिश्रा, बेटी रेनू सहित तीन बेटियां और एक छोटा बेटा है। इन लोगों का आरोप है कि पुलिस ने पिता को थाने में बैठाया था लेकिन मिलने नहीं दिया। आखिरी वक्त में पिता से बेटियां बात तक नहीं कर पाई लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो गई। ये बात जरूर है कि परिवार के मुखिया की मौत के बाद पूरा परिवार टूट गया है और सभी का रो-रोकर बुरा हाल है। इस संकट की घड़ी में पुलिस परिजनों के साथ है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि कुछ लोग पुलिस के खिलाफ अपने निजी स्वार्थ के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाकर पुलिस के खिलाफ आक्रोश पैदा करवाना चाहते हैं।