आवंटी की मौत के एक साल बाद एलडीए ने उसी के नाम से विभूतिखंड स्थित व्यावसायिक भूखंड की रजिस्ट्री कर दी। यही नहीं उसी दिन तीसरे पक्ष के नाम पर भी निबंधन कर दिया गया। ये मामला वर्ष 2011 का है, जब इस जमीन के विषय में जानकारी आवंटी की बेटी को हुई तो उसने एलडीए में शिकायत की। एलडीए उपाध्यक्ष ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करा दोनों सेल डीड निरस्त कराने के आदेश बुधवार को दिए।
एलडीए ने करीब 300 वर्ग फीट का एक व्यावसायिक भूखंड विभूतिखंड में अनिल तिवारी के नाम से 2008 में आवंटित किया था। इस भूखंड का बाजार भाव वर्तमान में करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपये है। इस भूखंड के आवंटी अनिल तिवारी की मौत 2010 में हो गई, जबकि साल 2011 में एलडीए के रिकार्ड में अनिल तिवारी के नाम ही रजिस्ट्री कर दी गई। अनिल तिवारी के नाम से आए व्यक्ति की प्राधिकरण ने रजिस्ट्री करवाई और उसी दिन कथित अनिल तिवारी ने एक अन्य व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री कर दी।
इस मामले में अनिल तिवारी की पुत्री ने प्राधिकरण के चक्कर काटने शुरू किए। मामला जब प्राधिकरण उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस प्रकरण पर पूरी रिपोर्ट तलब की। गड़बड़ी सामने आने के बाद उन्होंने व्यावसायिकसंपत्ति प्रभारी डीएम कटियार को इस मामले में गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है। व्यावसायिकसंपत्ति प्रभारी ने बताया कि दोनों डीड निरस्त करवाई जाएंगी। जिसके लिए पहले मुकदमा करवाना जरूरी है।
बसंतकुंज योजना में भी अब समायोजन के फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। यहां कई फाइलें मिली हैं, जिनमें पूर्व उपाध्यक्षों के साइन स्कैन कर के समायोजन कर दिए गए हैं। बसंतकुंज योजना के विवाद जैसे जैसे हल हो रहे हैं, गड़बड़ फाइलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2/182 बी बसंतकुंज में ऐसा प्रकरण सामने आया है। इसमें पूर्व उपाध्यक्ष के फर्जी दस्तख्त कर के उसी योजना में दूसरे भूखंड का समायोजन ले लिया गया है। बसंतकुंज योजना के प्रभारी अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि इस तरह की कई फाइलों में गड़बड़ियों की जांच की जा रही है। ये समायोजन रद कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
गोमती नगर स्थित विकल्पखंड चार में एलडीए ने अवैध रूप से खोले गए एक भवन के गेट को बंद कर दिया। विकल्पखंड-4 के प्लाट नंबर 132 में मंजू सिंह पत्नी दुर्गादत्त सिंह ने ये शिकायत प्राधिकरण में की थी, उनका प्लाट डेड एंड पर है। इसके आगे रास्ता बंद है। इसके बावजूद सोसाइटी के एक भवन का दरवाजा उनके घर के पास खोल दिया गया है। आरोपित पक्ष हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट ने तीन महीने में इस प्रकरण का निस्तारण करने के लिए एलडीए उपाध्यक्ष को अधिकृत किया। जब एलडीए ने सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को बुलाया तो पीड़िता तो आई मगर आरोपित पक्ष से कोई नहीं आया। गुरुवार को एलडीए ने गोमती नगर पुलिस के साथ कार्रवाई कर गेट बंद करवा दिया।