मानव शरीर में दृष्टि सबसे बड़ा वरदान होता है। मौत तो जीवन का सत्य है, मगर किसी योगय व्यक्ति का असमय कोई दुर्घटना हो जाये और उसके अंग प्रभावित हो जायें तो सही मायने में वो राष्ट्र व समाज के साथ-साथ अपने परिवार पर भी बोझ बन जाता है। ड्राईवर के नशा करने के बाद गाड़ी चलाने से उसका अति आत्मविश्वास बढ़ जाता है और कार्यदक्षता में भी कमी आ जाती है जोकि दुर्घटना के अहम कारण होते हैं। ये बातें केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कैंप में कहीं।
प्रो. भट्ट ने कहा कि धुंए के कुप्रभाव से बचने के लिये खासकर ड्राईवरों व कंडक्टरों को गुड़, हल्दी व अदरक का सेवन करते रहना चाहिये जिससे उनके रक्त व फेफड़े की शुद्धि होगी। वीसी ने बताया कि न्यास के साथ केजीएमयू ने एक एमओयू साइन किया है जिसके तहत लखनऊ के 10 गांव गोद लिये गये हैं, जहां पर लोगों को हेल्थ कैंप में चेकअप से लेकर बच्चों का टीकाकरण व दिल व कैंसर जैसे असाध्य रोगों के लिये भी चिकित्सकीय परामर्श दिया जाता है। साथ ही जानकारी दी कि जनपद के अमेठी क्षेत्र में भी केजीएमयू द्वारा एक सार्वजनिक अस्पताल की निर्माण प्रक्रिया चल रही है।
ड्राईविंग सीट पर चालक समेत 60 लोगों का जीवन निर्भर रहता है
बसों की ड्राईविंग सीट पर केवल चालक ही नहीं देखा जाये तो 50-60 सवारियां भी परोक्ष रूप से बैठ रहती हैं। यात्रा के दौरान उनका जीवन इस पर निर्भर रहता है। एक सेकेंड के 100वें हिस्से से यदि जरा सा भी ध्यान हटा तो दुर्घटना हो जाती है। इन अहम बिंदुओं को केजीएमयू ट्रामा सर्जरी के एचओडी डॉ. संदीप तिवारी ने कैंप में उठाया। उन्होंने कहा कि नशा, ओवर टेक, ओवर लोडिंग दुर्घटना के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा यदि ड्राईवर व कंडक्टर के ऊपर समय सीमा में ऑनरोड बस चलाने की बाध्यता होगी तो दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता।