भीमा-कोरेगाँव में दलितों पर हुयी घटना के विरोध को लेकर कानपुर में सर्व धर्म के लोगो ने पैदल मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया. पैदल मार्च कर रहे सर्व धर्म के लोगो का कहना था कि आजादी के बाद भी दलितों पर अत्याचार हो रहा है. कानपुर के सभी धर्मो के लोग दलितों पर हो रहे अत्याचार का विरोध कर रहे है. महाराष्ट्र के पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में दो पक्षों के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के विरोध में कानपुर में प्रदर्शन
कानपुर महानगर में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे ये वो लोग है जो दलित और पिछड़े वर्गों से आते है. कानपुर के परेड चौराहे से शुरू हुआ इनका विरोध नानाराव पार्क पर जाकर समाप्त हुआ. प्रदर्शन ने भाग ले रहे सिख समाज के लोगों का कहना था हमारा यह विरोध सिर्फ कोरे गांव की घटना को लेकर नहीं है. आजादी के बाद से समान्तर अधिकार हर धर्म और मजहब के लोगों को दिया गया था अब वो ख़तम हो रहा है. सिख समाज के लोगो का यह भी कहना है की जब चौरासी दंगा हुआ उसके बाद से आज तक सिख समाज के लोगो को न्याय नहीं मिला.
सभी को मिले समान अधिकार
वंही विरोध प्रदर्शन में शिरकत करने पहुंचे शहर काजी का कहना है कि देश में अल्पसंख्यक के साथ जुल्म हो रहा है. पुणे में दलितों पर हमला किया गया जिससे लगता है की दलित समाज देश में असुरक्षित है. इनका यह भी कहना है कि चौरासी के दंगे में सिखों पर अत्याचार हुआ उसका इन्साफ अभी तक नहीं मिला. ईसाईयों के साथ उनके गिरजाघरों पर हमले हो रहे है. जिस तरह का अत्याचार अल्पसंख्यकों पर हो रहा है इसको बर्दास्त नहीं किया जायेगा.
गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर भाजपा और लगातार आरोप लग रहे हैं. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी ये मुद्दा उठा था जबकि बसपा सुप्रीमो ने भी बीजेपी पर दलितों का शोषण और उनको दबाने की राजनीति करने का आरोप लगाया था.
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