नोंएड़ा और दिल्ली को एक दूसरे से जोड़ने वाले कई ऐसे रोड हैं जिनसे गुजरने पर लाखों लोग रोजाना टोल टैक्स के रूप में डीएनडी को एक निश्चित धनराशि अदा करते हैं। डीएनडी सालों से टोल टैक्स के नाम पर लोगो से पैसे वसूल तो रहा है लेकिन वसूली गई इस रकम के बदले डीएनडी खुद कुछ भी आयकर विभाग को नहीं दे रहा है जिसकी वजह से मुनाफे की मलाई खा रहे डीएनडी पर आयकर विभाग की नजर पड़ गई है। डीएनडी अपनी इनकम के नाम पर आयकर वालों को कई सालों से कोई टैक्स नहीं दे रहा है। डीएनडी ने अब तक टैक्स के नाम पर लोगों से अरबों वसूल कर लिए हैं।
सुंदर, सपाट और शानदार डीएनडी की कहानी में कई झोल हैं। जमीन से लेकर टैक्स तक कई सवाल हैं, लेकिन इन सवालों के जवाब देने के लिए डीएनडी का कोई अधिकारी सामने आया ही नहीं।
7 फरवरी, 2001 को नोएडा डीएनडी शुरू हुआ था। डीएनडी की कुल लंबाई 9.2 किलोमीटर है। नोएडा की तरफ से 31 और मयूर विहार की तरफ से 11 टोल प्लाजा हैं। जहां से डीएनडी पर रोजाना 2 लाख 20 हजार के करीब वाहन गुजरते हैं। जिनसे टैक्स के रूप में डीएनडी को रोजाना 27 लाख रूपए मिलते हैं।
प्रतिदिन हो रही कमाई के हिसाब से कपंनी अब तक अपनी पूरी लागत वसूल कर चुकी है। लेकिन इसके बाद भी यह सवाल बना हुआ है कि कंपनी अपनी लागत वसूल करने के बाद भी लोगों से टैक्स क्यों वसूल रही है। वैसे अब आयकर विभाग इस पूरे मामले पर नजर बनाए है कि डीएनडी के लिए कितनी जमीन थी, डीएनडी कितने में तैयार हुआ और कितना बचा हुआ है।
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